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इतिहास

विशेष : आपातकाल का वह काला दिन

विशेष : आपातकाल का वह काला दिन

अरविंद जयतिलक 25 जून, 1975 को देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गर्दन मरोड़कर देश में आपातकाल थोप दिया था। उन्होंने न सिर्फ संविधान की धज्जियां उड़ायी बल्कि जनतांत्रिक मूल्यों को भी नजरअंदाज कर मानवीय मूल्यों की निर्ममता से हत्या की। देश कराह उठा। अब जब भी 25 जून का दिन आता है लोकतंत्र के कलेजे पर आपातकाल की टीसें दर्द देने लगती है। उसी टीस का नतीजा है कि आपातकाल के साढ़े चार-पांच दशक बाद भी देश उस भयानक दौर को भूल नहीं पाता है। इन पांच दशकों में देश में…
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इतिहास के सबसे काले दिनों में शुमार जलियावाला बाग़ हत्याकांड

इतिहास के सबसे काले दिनों में शुमार जलियावाला बाग़ हत्याकांड

साल 1919, दिन 13 अप्रैल, जगह अमृतसर का जलियावाला बाग़| वैसाखी के दिन यहाँ पर जनसभा के लिए हजारों लोग जुटे थे| तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजिनोल्ड दायर ने फायरिंग का आदेश दे दिया| जिसके बाद पूरा पार्क हरे की जगह लाल हो गया| यहाँ स्थित कुआँ लाशों से भर गया| आज भी इतिहास के सबसे काले दिनों में शुमार जलियावाला बाग़ कांड के शहीदों को देश श्रधांजली दे रहा है|   पीएम नरेंद्र मोदी  ने भी  ट्वीट कर कहा, '1919 में आज के दिन जलियांवाला बाग में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि. उनका अद्वितीय साहस और बलिदान आने वाली पीढ़ियों…
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विश्व रंगमंच दिवस : ईसा पूर्व से हो रहा है  मंचन

विश्व रंगमंच दिवस : ईसा पूर्व से हो रहा है मंचन

लेखक : डॉ आलोक चांटिया वर्ष 1961 में फ्रांस के जीन काक ट्यू द्वारा 27 मार्च को पहला विश्व रंगमंच दिवस मनाने का संकल्प आरंभ किया गया था जिसका उद्देश्य था कि रंगमंच और शांति की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाए और बस तभी से इसी थीम पर हर वर्ष विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है कि रंगमंच मानव संस्कृति के लिए कोई नया शब्द हो क्योंकि छठी ईसवी पूर्व से ही रंगमंच के प्रमाण मिलने लगे और यह रंगमंच जिसे आप अंग्रेजी में थिएटर कहते हैं या एक ग्रीक शब्द थियोट्रान शब्द से उत्पन्न हुआ…
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आजादी के समय लौह पुरूष ने कहा था  : “एक हजार साल हमने 80 फीसद हिन्दुस्तान एक किया”

आजादी के समय लौह पुरूष ने कहा था  : “एक हजार साल हमने 80 फीसद हिन्दुस्तान एक किया”

देश की आजादी लगभग तय हो चुकी थी लेकिन इस आजादी की कीमत अंग्रेज देश के कई टुकड़ों की रूप में वसूल करना चाहते थे! अलग- अलग रियासतें अपना राज्य चाहती थीं तो पाकिस्तान की मांग चरम पर पहुँच गई थी! देश में आपसी नफ़रत का महल पनपने लगा था! अंग्रेज चाहते भी यही थे कि आजाद भारत पूरी तरह से खंडित और अशांत हो! ऐसे में देश को एक करने के बीड़ा उठाया महापुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने! आज इसी महापुरुष की जयंती है! भारत के लौहपुरुष के नाम से जाने- जाने वाले सरदार पटेल का आजादी के…
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आजादी का अमृत महोत्सव : माउंटवेटन ने खड़े कर दिये थे… तय तारीख से एक वर्ष पहले देनी पड़ी आजादी 

आजादी का अमृत महोत्सव : माउंटवेटन ने खड़े कर दिये थे… तय तारीख से एक वर्ष पहले देनी पड़ी आजादी 

देश आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर स्वतंत्रता दिवस का पर्व मना रहा है  क्या आप जानते हैं कि 15 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाते हैं? इसके पीछे का कारण बेहद दिलचस्प है।  भारत के अंतिम ब्रिटिश गवर्नर-जनरल लार्ड माउंटबेटन को ब्रिटिश संसद ने 30 जून 1948 तक सत्ता ट्रांसफर करने का जनादेश दिया था। लेकिन उस समय देश में हिंसक अभियानों को दौर शुरू हो गया था। दो राष्ट्रों कि मांग चरम पर पहुँच गई थी जिसके बाद माउंटबेटन ने निर्धारित तिथि से एक वर्ष पहले 15 अगस्त 1947 को सत्ता हस्तांतरण तय किया। देश के…
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विभाजन विभीषिका– स्मृति दिवस मना शहीदों को श्रद्धांजली दी

विभाजन विभीषिका– स्मृति दिवस मना शहीदों को श्रद्धांजली दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से 14 अगस्त को सभी 1918 सांगठनिक मंडलों पर देश के बंटवारे की दुःखद घटना की स्मृति में विभाजन विभीषिका– स्मृति दिवस मनाया जा रहा है । स्वतंत्रता दिवस से पहले भारत विभाजन की विभीषिका की याद में पूरे देश में बीजेपी ने मौन जुलूस निकाला।  बीजेपी नेता और कार्यकर्ताओं ने तिरंगा लेकर मौन जुलूस निकालकर विभिषिका को याद किया। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी ट्वीट कर उन्होंने शहीदों को याद किया। सीएम योगी ने अपने ट्वीट में लिखा, "विध्वंसात्मक मजहबी मानसिकता के…
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कारगिल विजय दिवस : पाक के धोखे की निशानी, 18 हजार फीट की ऊंचाई पर वीर सपूतों के शौर्य की  कहानी

कारगिल विजय दिवस : पाक के धोखे की निशानी, 18 हजार फीट की ऊंचाई पर वीर सपूतों के शौर्य की  कहानी

भारत और पाकिस्तान यूँ तो सबसे करीबी पडोसी हैं... इस पडोसी से रिश्ते सुधारने ने के लिए फरवरी 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने भारत से लाहौर तक बस यात्रा की थी... लेकिन चंद महीनों के भतार ही पाकिस्तान ने एकबार फिर भारत पीठ में छुरा भोंका... जिसका नतीजा कारगिल युद्ध के रूप में सामने आया... जिसके बाद भारत के वीर सपूतों ने आज से 23 साल पहले 18 हजार फुट की उंचाई पर पाक घुसपैठियों को मुहतोड़ जवाब दिया... और 26 जुलाई को कारगिल पर दोबारा फतह हासिल की... कारगिल युद्ध से पहले फरवरी में अटल और…
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जलियावाला बाग़ फाइल्स : प्ले की कहानी, नाटककार की जुबानी

जलियावाला बाग़ फाइल्स : प्ले की कहानी, नाटककार की जुबानी

लेखक व निर्देशक : विपिन कुमार जलियावाला बाग़, हमेशा से ही मेरे लिए एक भारतीय होने के नाते एक भावुक  रहा है! मेरा जन्म अमृतसर में हुआ, वहीँ मेरी शिक्षा हुई, बचपन बीता, मै जवान हुआ! थिएटर सीखा! Jallianwalan bagh के बारे में मैं हमेशा सोचता रहा हूँ कि वो कितना दर्दनाक दृश्य होगा जब डायर ने गोली चलवा कर निर्दोष लोगों को मार डाला था! हमारी  फिल्मों या नाटकों में भी आख़िर किसी तरह की चर्चा या इस घटना के कारणों पर कोई ज़्यादा काम नहीं किया गया! मैं ये जानना चाहता था कि क्या कारण थे,इस हत्याकांड के…
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मीडिया को अपना नजरिया चुनने की हो आजादी

मीडिया को अपना नजरिया चुनने की हो आजादी

राष्ट्रीयता का बीजमंत्र है मूल्यवादी पत्रकारिता -अरविंद जयतिलक दुनिया भर में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मीडिया की आजादी पर हमलों से मीडिया की रक्षा तथा अपने प्राणों की आहुति देने वाले पत्रकारों को श्रद्धांजलि के तौर पर मनाया जाता है। प्रेस की स्वतंत्रता के बीच मूल्य आधारित पत्रकारिता आज की मीडिया की सबसे बड़ी चुनौती है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में मीडिया को अपना नजरिया चुनने की आजादी के साथ उसका सकारात्मक पक्ष तभी फलीभूत होता है जब पत्रकारिता मूल्यवादी हो। भारत में मूल्य आधारित पत्रकारिता की नींव स्वतंत्रता आंदोलन के वक्त ही पड़ गयी। उसी दौरान दीनबंधु सीएफ एंड्रयूज ने…
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राष्ट्रवाद के क्रांतिनायक भगत सिंह

राष्ट्रवाद के क्रांतिनायक भगत सिंह

अरविंद जयतिलक युवाओं के क्रांतिनायक भगत सिंह के जीवन की अनेक ऐसी बातें हैं जो देश के युवाओं को राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा से भर देती है। 23 वर्ष की उम्र में ही भगत सिंह ने अपने लेखन और राष्ट्रभक्ति के बरक्स एक ऐसा आंदोलन खड़ा कर दिया जिससे दशकों तक भारत की युवा पीढ़ी प्रेरणा लेती रहेगी। भगत सिंह ने अपनी गरिमामय शहादत और आंदोलित विचारों से देश-दुनिया को संदेश दिया कि क्रांतिकारी आंदोलन के पीछे उनका मकसद अंध राष्ट्रवाद नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना थी। हालांकि यह त्रासदी है कि आजादी के चार दशक बाद तक भगत सिंह…
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