10
Jul
लेखक : दिलीप कुमार गुरुदत्त साहब का नाम जेहन में आते ही आता है, एक अधूरापन, कुछ टूटा बिखरा हुआ... सिनेमा का वो स्वर्णिम दौर जिसमें गुरुदत्त साहब का अविस्मरणीय योगदान हमेशा याद रहेगा.. कहते हैं प्रतिभा उम्र की पाबंद नहीं होती...गुरुदत्त साहब के लिए यह बात उस दौर में सटीक बैठती थी. फिर चाहे महबूब खान, विमल रॉय, बलराज साहनी, सोहराब मोदी, सत्यजीत रे, देव साहब हो, या दिलीप साहब, या राज कपूर साहब ही क्यों न हों... गुरुदत्त साहब लगभग सभी से उम्र में छोटे ही थे, लेकिन इन सभी बड़े - बड़े धूमकेतुओ के बीच गुरुदत्त साहब…