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देव- दिलीप और राज की त्रिमूर्ति ने बनाया बालीवुड का रास्ता

देव- दिलीप और राज की त्रिमूर्ति ने बनाया बालीवुड का रास्ता

लेखक : दिलीप कुमार ग्रेट शोमैन राज कपूर साहब करिश्माई फ़िल्मकार, अदाकार थे. राज कपूर साहब सिनेमैटोग्राफी में जादूगर थे. सिनेमाई समझ ऐसी की सीन शूट करते हुए कैमरा पर्सन राजसाहब से पूछता कि साहब कैमरे का एंगल ठीक है. मासूमियत भरी अदायगी यथार्थ भाव के बादशाह राज कपूर साहब का न भोलापन जब पर्दे पर उकेरते थे, तो दर्शकों के मन में भावनाओं का निर्झर ज्वार उमड़ता था. सिने प्रेमी राज कपूर साहब की अदायगी के साथ बह पड़ते थे. राज कपूर का नाम जेहन में आता है, तो सबसे पहले श्री 420, मेरा नाम जोकर, आवारा, बरसात, अंदाज़,…
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देवानंद- सुरैया : प्रेम जो अधूरा होकर भी मुकम्मल हो गया

देवानंद- सुरैया : प्रेम जो अधूरा होकर भी मुकम्मल हो गया

लेखक : दिलीप कुमार इस निरंकुश दुनिया में अगर रोमियो - जूलिएट, हीर - रांझा थे, तो हमारे प्रिय देव साहब एवं सुरैय्या जी भी थे. वैसे भी इस निरंकुश दुनिया में प्रेम करना सबसे ज्यादा ख़तरनाक रहा ख़ासकर भारतीय परिवेश में जहां इंसानो से ज्यादा ग़ुरूर को तरजीह दी जाती हो. देव साहब एवं उनकी प्रेयसी सुरैय्या जी की अमर प्रेम कहानी का जिक्र आज भी बड़ी अदब के साथ किया जाता है. यूँ तो देवानंद साहब को खुशमिजाज, उदासी में भी खुशी ढूंढ लाने वाले महबूब थे, लेकिन अपनी प्रियतमा सुरैय्या जी के लिए देव साहब ने बेशुमार…
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‘सीआईडी’ ने तैयार की थी सस्पेंस थ्रिलर सिनेमा की जमीन  

‘सीआईडी’ ने तैयार की थी सस्पेंस थ्रिलर सिनेमा की जमीन  

लेखक- दिलीप कुमार गोल्डन एरा का एक - एक गीत एक - एक फ़िल्म कई कहानियों को समेटे हुए है. सिनेमा के इस दौर को स्वर्णिम काल कहां जाता है. इस सस्पेंस थ्रिलर फ़िल्म से हिन्दी सिनेमा में तीन - तीन धूमकेतुओ का उदय हुआ था.  एक तो मिस्ट्री मेकर राज खोसला, वहीदा रहमान, एवं महमूद इसके साथ ही गुरुदत्त साहब एवं देव साहब की मित्रता और प्रगाढ़ हो चली थी.  गुरुदत्त साहब ने अपने असिस्टेंट राज खोसला को बतौर डायरेक्टर ब्रेक दिया था. 'सीआईडी' के बाद खोसला ने तीन और फिल्मों में देव साहब के साथ काम किया लेकिन…
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जीनत अमान की दास्तान … अभी न जाओ छोड़ के…!

जीनत अमान की दास्तान … अभी न जाओ छोड़ के…!

दिलीप कुमार लेखक देव साहब के अपने दौर में या उनके दशकों बाद या आज के दौर में "अभी न जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं" ऐसे गुनगुनाती फीमेल फैन्स दिखती हैं तो यूँ लगता है, कि वो अपने हीरो देवानंद साहब को प्रेम प्रस्ताव भेज रही हैं. तीन पीढ़ियों में संवेदनशील प्रेमी के रूप में देव साहब सिल्वर स्क्रीन को जीते हुए, चले गए.... हिन्दी सिनेमा में शायद ही कोई नायिका रही हो जिसने देव साहब के साथ रोमांस करने की इच्छा न जाहिर की हो, महिलाओं में देव साहब का सुपरस्टारडम, दीवानगी अपने चरम पर थी. बहुत…
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कालापानी की काहनी : नजर लागी राजा…  देवानन्द ने राज खोसला को कर दिया अमर!

कालापानी की काहनी : नजर लागी राजा…  देवानन्द ने राज खोसला को कर दिया अमर!

दिलीप कुमार स्तंभकार देव साहब, मधुबाला, एवं नलिनी जयवंत अभिनीत,  राज खोसला के निर्देशन में देव साहब के नव केतन बैनर तले बनी फिल्म 'काला पानी' एक ऐसे व्यक्ति कि कहानी है, जो अपने निर्दोष पिता के उम्रकैद की सजा को गलत सिद्ध करना चाहता है। राज खोसला देव साहब की खोज थे। इनको पहला ब्रेक देव साहब ने ही दिया था।  बाद में ये गुरुदत्त साहब के अस्सिटेंट के रूप में कार्य करते थे। देव साहब प्रतिभा पहचान लेने की पारखी नज़र के मालिक थे, उन्होंने बड़े - बड़े निर्देशकों के साथ कभी काम नहीं किया. उन्होंने जिसके साथ…
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नूतन और देवानन्द यानि फिल्म काला की दो धाराओं का मिलन

नूतन और देवानन्द यानि फिल्म काला की दो धाराओं का मिलन

दिलीप कुमार देखो रूठा न करो दिलीप कुमार लेखक    "तेरे घर के सामने" एक कॉमेडी, रोमांटिक फिल्म है.जो सामाजिक संदेश भी दे जाती है कि "जो कुछ नया है वह बुरा नहीं है, न ही वह सब कुछ पुराना अच्छा है"कहानी एक युवा आर्किटेक्चर राकेश (देवानंद) की है, जो पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारत लौटता है.  उसे एक आधुनिक भारतीय लड़की सुलेखा (नूतन) से प्यार हो जाता है, जो भारतीय संस्कृति और अपने माता-पिता की इच्छाओं का सम्मान करती है. उन दोनों के पिता परस्पर एक - दूसरे के जानी दुष्मन होते हैं.  कभी भी झगड़ना बंद…
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