06
Feb
कवि : देव बडी कशमकश है बड़ी कशमकश है, ना दिल अपने बस है ना जान अपने बस है, बड़ी कशमकश है, किसी ने लगाया है दौलत का चश्मा, कहीं है लगा बस उम्मीदों का मजमा, है मशगूल दुनिया नही कोई बस है, बड़ी कशमकश है बड़ी कशमकश है, जो लगता है सबको सही वो सही है, ज़माने का दस्तूर अब भी वही है, ना समझे जो कोई तो उसकी समझ है, बड़ी कशमकश है बड़ी कशमकश है, थे जो दोस्त कल तक हुए वो पराए, कई दीप यादों के हमने बुझाए, कहो किसको कैसे यकीं हम दिलाए, हुई दिल…