28
Jun
मनीष शुक्ल सत्ता की सही- गलत नीतियों का विरोध करना लोकतन्त्र में अधिकार भी है और कर्तव्य भी है । कहा जाता है कि विरोध लोकतन्त्र को मजबूत बनाता है और खूबसूरत भी। इसीलिए लोकतन्त्र की खूबसूरती को चार चंद लगाने के लिए विरोध करने वालों की नई प्रजाति तैयार हुई है। जिसका मकसद विरोध के लिए विरोध किया जाए और इतना तेज किया जाए कि देश सबकुछ छोडकर उनका तमाशा देखने लगे। सत्ता पक्ष ऐसे क्रांतिवीरों को आन्दोलनजीवी का नाम देती है तो विपक्ष उन्हें आंदोलनकारी मानकर उनके पीछे खड़ा हो जाता है। फिर चाहे ये जुझारू पत्थर फेंके,…