25
Mar
मनीष शुक्ल कहानी दशकों पुरानी है| बदस्तूर जारी है| समय के साथ दर्द, पीड़ा और पलायन बढ़ता जा रहा है| रिपोर्ट पर रिपोर्ट जारी हो रही हैं लेकिन कहानी है जो ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है| ये कहानी है हमारे पहाड़ी राज्यों के बेतरतीब विकास की| जिसकी वजह से पहाड़ दरक रहे हैं| धरती सिसक रही है| इस आपदा की कहानी को ख़त्म करने के लिए रहत पैकेज दिए जा रहे हैं| जांचें और आयोग बनाकर दायित्वों की इतिश्री हो रही है| पर मर्ज बढ़ता ही जा रहा है| बात ठीक बीस साल पहले की…