लखनऊ : कल्याणी फाउंडेशन एवं लिटरेरी वारियर ग्रुप की ओर से 21वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में देश भर के 10 चर्चित साहित्यकारों की पुस्तकों का विमोचन किया गया| इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष प्रो जयंत खोत ने साहित्य, कला और संगीत को समाज और राष्ट्र की तस्वीर बताया| कार्यक्रम संयोजक डॉ मनीष शुक्ल ने कहा कि वर्तमान दौर में साहित्य की नदी से लेखन की अनेकों धारा निकल रही हैं| पुस्तकें हों या सोशल मीडिया हर क्षेत्र में लेखन की धारा को स्वच्छ रखना लेखकों का काम है| इसलिए सृजन संवेदनशील और ज़िम्मेदारी भरा होना चाहिए| काव्य गोष्ठी में मुंबई, पुणे से लेकर लखीमपुर तक के कवियों ने समा बांध दिया|
राष्ट्रीय पुस्तक मेले में शनिवार को पुस्तक विमोचन का नया रिकार्ड बना| कार्यक्रम में डॉ रेणु मिश्रा के काव्य संग्रह मन पाखी, नीलम सक्सेना के परिंदो का लिबास, प्रीती पांडे के रचना संग्रह अरुणिमा मेरी कल्म से, डॉ किरण डायल स्नेही की आध्या, यू बी तिवारी की किताब अंधकार से प्रकाश की ओर और अजय कुमार वर्मा की रचना मेरे दिल में बसे हैं भोले का विमोचन किया गया| इसके साथ ही सुनील चौधरी, अर्चना जैन, अर्चना बहादुर जुतशी और पुष्पा सिंह की पुस्तकों का विमोचन किया गया| कविता पाठ में हरप्रीत कौर, सरिता, शशिकला, मणि सक्सेना, गायत्री जोशी आदि ने समा बांध दिया| काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि सूर्य कुमार पांडेय ने कहा कि लेखन स्वांत: सुखाय के लिए किया जाता है| पाठक उसी रचना को पसंद करते हैं जो उसके दिल को छू जाती है| लिटरेरी वारियर ग्रुप की संस्थापिका डॉ रेणु मिश्रा एवं नीलम सक्सेना मौजूदा दौर में अभिव्यक्ति को तकनीकी और कला का संगम बताया| अति विशिष्ट अतिथि फिल्म लेखक श्रीधर अग्निहोत्री, वरिष्ठ एंकर आलोक राजा, वरिष्ठ साहित्यकार सफलता त्रिपाठी, वरिष्ठ साहित्यकार संजीव जयसवाल ’संजय,’पंचानन मिश्रा, डॉ शिल्पी शुक्ला, शिखा द्वेवेदी, जरीन अंसारी ने विचार प्रकट किए|