Thursday, November 21, 2024
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एकबार फिर सुप्रीम कोर्ट ने बुलंद की देश की आवाज

आर्टिकिल 19 A यानी अभिव्यक्ति की आजादी हमेशा ही बहस का मुद्दा रही है| जहाँ एक ओर कहा गया है दूसरे की नाक शुरू होते ही आपके बोलने की आजादी समाप्त हो जाती है| वहीँ ‘बोल के लब  आजाद हैं तेरे’ जैसे नारों के जरिये क्रांति की नई अलख जगाई जाती है| देश में सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद एकबार अभिव्यक्ति की आजादी चर्चा में है| सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर हाल ही मलयाली न्यूज़ चैनल पर लगा बैन हटा दिया है| ये बैन सरकार  ने लगाया था| सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार की आलोचना से जुड़ी ख़बर चलाना या सरकार की आलोचना करना देश विरोधी नहीं है| कोर्ट के आदेश के अनुसार इस तरह की रिपोर्टिंग को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताकर किसी मीडिया संस्थान के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती|   

कोर्ट ने कहा है कि इस तरह से किसी मीडिया चैनल के सिक्योरिटी क्लीयरेंस पर रोक नहीं लगाई जा सकती| मीडिया अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र है| ओपिनियन रखने की स्वतंत्रता को देश की सुरक्षा के नाम पर रोकने से अभिव्यक्ति की आजादी और प्रेस की स्वतंत्रता पर बहुत बुरा असर पड़ेगा|  

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि चैनल के शेयर होलडर्स के जमाते इस्लामी के साथ लिंक होने जैसी हवा-हवाई बातों की वजह से भी चैनल पर बैन सही नहीं है| सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के फैसले पर भी अचरज जताया| 

अगर देखा जाए तो कुछ ही समय में सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी बार बोलने को लेकर सख्ती दिखाई है| पहला मामला हेट स्पीच से जुड़ा था और ताज़ा केरल के एक न्यूज़ चैनल पर बैन से जुड़ा था| पिछले मामले में तो सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नपुंसक तक कह दिया था| वहीं न्यूज चैनल बैन के मामले में कहा गया है कि अगर किसी मीडिया संस्थान  की कवरेज या राय में सरकार की आलोचना की जाती है. तो इसे देश विरोधी नहीं माना जाएगा|  

मीडिया के सवाल उठाने के अधिकार पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देश विरोध जैसे शब्दों के इस्तेमाल करने पर भी सख्त टिप्पणी की है|   यह सच है सरकार की ओर से पहली बार कोई कारवाई नहीं की गई है| आजादी के बाद देश के संविधान में नागरिकों को अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की आजादी दी थी| संविधान में अनुच्छेद 19 से 22 तक कई सारे अधिकार हैं जिससे देश के नागरिकों की आवाज को कोई दबा न सके| ऐसे जब- जब सरकारें इस तरह के निर्णय लेती हैं| तब- तव न्यायालय जनता की आवाज को बुलंद करने का आदेश देकर संविधान को मजबूत करता है|  

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