Wednesday, November 27, 2024
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शपथ ग्रहण : तब मोदी की बारी थी… और अब योगी की…

आनन्द अग्निहोत्री

उत्तर प्रदेश का मुखिया तय हो गया। तय तो पहले से था, सिर्फ औपचारिकता निभानी शेष थी। आज मुखिया की ताजपोशी भी हो जायेगी। गवाह बनेगा इकाना स्टेडियम और देश की नामचीन हस्तियां। सब कुछ साफ है कि शुक्रवार को क्या होना है। अभी तक जो साफ नहीं है, वह यह कि मुखिया योगी आदित्यनाथ की नयी सरकार में उनके सिपहसालार कौन-कौन होंगे। इसके लिए सुबह 10 बजे तक इंतजार करना होगा। सम्भवत: यह कार्य ही सबसे मुश्किल है जिसके लिए चुनाव नतीजे आने के बाद से कवायद चल रही है। अंतिम क्षणों तक इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। इसका मुख्य कारण है नया लक्ष्य जिसे हासिल करने के लिए अब ज्यादा वक्त नहीं है।

निश्चित रूप से पांच साल तक योगी आदित्यनाथ यूपी की बागडोर निर्विघ्न थामे रहे। दोबारा बहुमत हासिल कर उन्होंने इस बात को साबित भी कर दिया है कि सूबे में भाजपा की बुनियाद बहुत मजबूत हो गयी है। लेकिन यक्ष लक्ष्य है उतनी ही मजबूत इमारत बनाने का। जो नयी सियासी चौसर सामने आयी है, उसमें पासे फेंकना आसान नहीं है। पिछली बार के विपरीत इस बार विधानसभा में योगी आदित्यनाथ के सामने मजबूत विपक्ष होगा। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने लोकसभा से इस्तीफा देकर घोषित कर दिया है कि वह विधानसभा में योगी का दृढ़ता से सामना करेंगे। कहने का तात्पर्य यह कि भले ही योगी सरकार के पास पूर्ण बहुमत है लेकिन इस बार विपक्ष भी कमजोर नहीं है। योगी को सरकार चलाने में विपक्ष के कड़े विरोध का सामना तो करना ही होगा।

इसीलिए योगी के सिपहसालार तैयार करने के लिए लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सियासी मंथन हुआ। योगी की कैबिनेट में ऐसे विधायकों को तरजीह दी जायेगी जो केन्द्र सरकार के मानकों पर खरे उतरते हों। इसमें सियासी, जातिगत जैसे समीकरणों का ध्यान तो रखा ही जा रहा है, इस पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि वे योगी को सरकार चलाने में मददगार साबित हों। सर्वाधिक ध्यान इस प्वाइंट पर दिया जा रहा है कि ये मंत्री वर्ष 2024 में होने वाले आम चुनाव में मोदी सरकार को फतह दिलाने में कारगर सिद्ध हों।

यह तो पहले से ही माना जाता है कि दिल्ली की सल्तनत का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक संसदीय सीटें हैं। जाहिर है अगर दिल्ली पर काबिज होना है तो सूबे की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर फतह हासिल करनी होगी। उत्तर प्रदेश में योगी और भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने में मोदी सरकार और उनके मंत्रियों ने पूरी ताकत झोंक दी। नतीजे भी इसी के अनुरूप आये। सीएम योगी के समक्ष सरकार को लोकप्रियता दिलाने की जिम्मेदारी तो है ही, सबसे बड़ा दायित्व दिल्ली के तख्तोताज पर नरेन्द्र मोदी को फिर से सुशोभित करने का है। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद भावना के अतिरेक में डूबे योगी आदित्यनाथ के मुख से ये शब्द बरबस निकल पड़े। उन्होंने कहा कि अब उन्हें नरेन्द्र मोदी का सपना पूरा करना है। यानि योगी को दोबारा स्थापित करने का दायित्व मोदी सरकार ने निभा दिया, अब बारी योगी की है। यह कार्य आसान नहीं है। इस बार भाजपा के पक्ष में जो वोट गये हैं, वे किसी लहर के नहीं बल्कि सरकार के कार्यों के हैं। आगे कोई लहर चलेगी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं ली जा सकती। विपक्ष के नेता बनने जा रहे अखिलेश यादव स्वयं उत्तर प्रदेश के समर में उतर आये हैं। दूसरी बात यह कि विधानसभा चुनाव और आम चुनाव के मुद्दे भी अलग होते हैं। ऐसे में सशक्त विपक्ष का सामना करना कोई हंसी-ठट्ठा नहीं साबित होगा। इसके लिए पूरी शिद्दत के साथ योगी सरकार को मेहनत करनी होगी, तभी वे मोदी को दिल्ली का तख्त फिर से दिला पाने में सहायक साबित होंगे।

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