लेखक : मनीष शुक्ल
अरे यार! खाली ही चाय ले आई हो… चिप्स या पापड़ ही भून लेती तो कसम से मजा आ जाता… जैसे ही अभिषेक ने अपनी फरमाइश ‘इन्दु’ को सुनाई तो तुरंत झल्लाकर बोली- बारात में नहीं आए हो तुम लोग, जो दिनभर ऑर्डर मारा करते हो। कभी पानी ले आओ, कभी चाय ले आओ, अब चिप्स और पापड़ ले आओ। ऊपर से आपके साहबजादे… बिलकुल तुम पर ही गए हैं, कभी ममा मोमोज बना दो, कभी मैगी बना दो, कभी इडली बना दो… लॉक डाउन न हो गया, होम पिकनिक हो गया !
‘अरे भागवान ! क्यों गुस्सा हो रही हो, कुच्छों मत लाओ। बस तुम पास आकर बैठ जाओ। मुझे सब कुछ मिल जाएगा।‘ इन्दु के गुस्से पर अभिषेक ने मरहम लगाने की कोशिश की ही थी, कमरे से आवाज आई, ममा मेरी मैक्रोनी बन गई क्या! यह सुनते ही मानों इन्दु के जख्मों पर यश ने नमक छिड़क दिया हो, वो गुस्सा होकर फिर किचन में चली गई।
हे भगवान! लॉक डाउन है या मेरे लिए मुसीबतों का अंबार। सुना है, सरकार इसको आगे बढ़ाने जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो ये दोनों अपनी फरमाइशें कर- करके मुझे पागल ही कर देंगे। इससे अच्छा तो भूकंप ही जाए!!! शायद ऊपर वाला इन्दु की इच्छा पूरा करने का बहाना ही ढूंढ रहा था। वो चाय लेकर अभिषेक के पास पहुंची ही थी कि अचानक छत का पंखा अपने आप हिलने लगा। दोनों की नजरें छत की ओर गई ही थी कि किचन से बर्तनों के गिरने की आवाज आई। अभिषेक के मुंह से निकला। लगता है भूकंप आ गया। जी हाँ! ऊपर वाले ने इन्दु की पुकार सुन ली थी। ये भूकंप ही था। धरती डोल रही थी। मोबाइल की नोटिफिकेशन में भी भूकंप आने के संकेत आ रहे थे। इन्दु के मुंह से निकला। ऊपर वाले ! जीवन भर इतनी दुआएं मांगी लेकिन आपने कभी पुकार नहीं सुनी आज गुस्से में भूकंप शब्द क्या मुंह से निकला और आपने सच में धरती हिला दी। आखिर पूरी दुनियाँ में क्या मैं ही मिली हूँ आपको, जिसकी हर तरह से परीक्षा ले रहे हैं। अभिषेक घबराकर बोला, चलो घर के बाहर निकल चलें, कहीं घर की दीवारें हमारे ऊपर ही न गिर पड़ें लेकिन लॉक डाउन!! इन्दु ने अपनी शंका जाहिर की। अरे जब भूकंप से बचेंगे, तभी तो लॉक डाउन का पालन करेंगे वरना करोना से पहले भूकंप के झटके से ही मर जाएंगे। बस फिर क्या था। पूरा परिवार देखते ही देखते सड़क पर आ जाता है। और फिर एक- एक करके पूरा मोहल्ला सड़क पर खड़ा दिखाई देता है। ऐसा लगता है मानों वैसाखी का मेला लग गया हो। चारों ओर शोर और हाहाकार। ऊपर वाला एक आपदा का दूसरी आपदा से कंपटीशन कराने में जुट गया था। अब तक पूरी दुनियाँ करोना की दहशत से घरों में दुबकी थी लेकिन भूकंप की आहट ने करोना का भूत भगा दिया था। अब सब लोग मिलकर करोना की जगह भूकंप से बचने के लिए ऑन द स्पॉट अपनी- अपनी जान बचाने में लगे थे। ऊपर वाला भी नीचे वालों को नाच नाचकर मन ही मन खुश था।
सबके मुंह पर मास्क लगे थे फिर भी दिल से राम- राम ही निकल रहा था। बस यही प्रार्थना थी कि हे भगवान, इस बार माफ कर दो, अब भविष्य में कोई पाप नहीं करेंगे। तभी पीछे से आवाज आती है श्रीवास्तव जी! आजकल नजर नहीं आते हैं। अभिषेक पीछे मुड़कर देखता है तो साक्षात शर्मा जी खड़े नजर आते हैं। ‘क्या नजर आएँ, भाई साहब, इस करोना ने घर में बांधकर रख दिया है। दिन भर घर में बोर होता रहता हूँ लेकिन कर भी क्या सकता हूँ। बस पत्नी और बच्चों कि सेवा में जीवन गुजार रहा हूँ।‘ अभिषेक की आवाज इन्दु के कानों तक जा रही थी। वो मन ही मन बुदबुदाई कि अगर भूकंप से बच गए तो घर में मैं तुम्हें नहीं छोडूंगी । इन्दु से नजर मिलते ही अभिषेक बात बदलते हुए कहता है कि मेरी पत्नी तो बेचारी दिन रात हम सब की सेवा में लगी रहती है। आप सुनाइए कैसे कट रहे रहे हैं आपके दिन। यह सुनते ही शर्मा जी की दुखती रग पर जैसे हाथ रख दिया हो… क्या दिन क्या रात। घर में कभी अच्छे दिन कट सकते हैं। अब ऑफिस से निकलने की बाद न शाम वाली पार्टी हो रही हैं और न ही बाहर की रौनक देख पा रहा हूँ। बस घर का दाल चावल खाकर प्रभु के गुणगान कर रहा हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे भरी जवानी में सन्यास आश्रम में चला गया हूँ। लॉक डाउन ने हाथों के साथ- साथ शरीर और आत्मा को भी सेनेटाइज कर दिया है। शर्मा जी की हाँ में हाँ मिलाते हुए अभिषेक कहता है कि पता नहीं अब दुनियाँ की रौनक दोबारा देख पाएंगे या फिर घर से सीधा ऊपर निकल लेंगे सब लोग। अभिषेक और शर्मा की तर्ज पर इन्दु भी मोहल्ले की सहेलियों से उनका हालचाल लेने लगती है। हर किसी के अपने दुख हैं जो मिलते ही उजागर होने लगते हैं। यश भी अपने दोस्तों के साथ सड़क पर ही खेलने लगता है। देखते ही देखते मौत का खौफ जीवन के उत्सव में बदल जाता है लेकिन ऊपर वाले की तरह ही सरकार को भी इस समय जनता की खुशियाँ गंवारा नहीं हैं। इतनी में पुलिस की गाड़ी आकर मोहल्ले के मोड़ पर रुकती है और उससे उतरते ही पुलिस वाले अपनी- अपनी लठियाँ फटकारने लगते हैं। देखते ही देखते मेला फिर वीराने में बदल जाता है। जाते- जाते पुलिस वाले शर्मा जी और अभिषेक के दो- दो रसीद कर देते हैं। साथ ही ये चेतावनी देते हैं कि अगली बार भूकंप आए या सुनामी अगर कोई भी घर से बाहर निकला तो पहले तो उसका लाठियों से स्वागत किया जाएगा। बाद में जेल में क्वारंटाइन कर दिया जाएगा। अब च्वाइस है आपकी क्योंकि ज़िंदगी है आपकी!!