Friday, November 22, 2024
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फिल्म्स, बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन और ड्रग्स

डॉ सरनजीत सिंह

फिटनेस एंड स्पोर्ट्स मेडिसिन स्पेशलिस्ट

ट्रांसफॉर्मेशन का हिंदी में अर्थ होता है, बदलाव या परिवर्तन. वहीं बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन का मतलब है शरीर में परिवर्तन लाना जिसमें बॉडी की शेप, साइज, वज़न, फिटनेस, स्ट्रेंथ, स्टैमिना, सहनशीलता, व्यक्तित्व आदि में बदलाव लाया जाता है. प्राकृतिक तरीके से बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन करना एक बहुत वैज्ञानिक और जटिल प्रक्रिया है. इसमें वैज्ञानिक तरीके से एक्सरसाइज करना, संतुलित आहार लेना, उचित नींद और एक सकारात्मक सोच की ज़रुरत होती है. अब जैसा कि हम सभी जानते हैं कि फ़िल्में हमारे समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का प्रभाव डालती हैं. शारीरिक बदलाव की चमत्कारिक शुरुवात हॉलीवुड के सबसे नामचीन एक्शन हीरो आर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर ने की जो फिल्मों में आने से पहले एक बॉडीबिल्डर था और कई बार ‘मिस्टर ओलम्पिया’ का ख़िताब जीत चुका था. फिल्मों में आने से पहले उसे एक्टिंग का कोई तजुर्बा नहीं था. लोग तो सिर्फ़ उसके करिश्माई शरीर के दीवाने थे जिसके चलते अर्नाल्ड बहुत जल्द उनका पसंदीदा एक्शन हीरो बन गया था. अर्नाल्ड ने एक के बाद एक तमाम हिट फ़िल्में दीं और देखते ही देखते उसका नाम दुनिया के सबसे अमीर फ़िल्मी कलाकारों में शामिल हो गया. बाद में वो कैलिफ़ोर्निया का गवर्नर भी बना. अर्नाल्ड की ही तरह हॉलीवुड के एक और एक्शन हीरो सिल्विस्टर स्टेलोन ने भी अपने करिश्माई शरीर की मदद से बहुत लोकप्रियता और दौलत हासिल की. इसके बाद तो एक्शन, रोमांटिक हर तरह के छोटे-बड़े फ़िल्मी कलाकारों में बड़े-बड़े आर्म्स, गोल शोल्डर्स, पतली कमर और ‘6’ पैक्स बनाने का चलन शुरू हो गया. इसके लिए वो जिम्स में घंटों एक्सरसाइज करने लगे और अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखने लगे. दुनिया की कई बड़ी-बड़ी पत्रिकाओं, अख़बारों और टी वी शोज में उनके ट्रेनिंग प्रोग्राम्स और डाइट प्लान्स की चर्चा होने लगी जिससे आम लोगों में भी अपने चहते कलाकारों जैसा दिखने की होड़ लग गयी.

हमारा बॉलीवुड भी इससे अछूता नहीं रहा. यहाँ के फ़िल्मी कलाकार भी हॉलीवुड के कलाकारों की तर्ज़ पर अपने शरीर को बेहतर बनाने की रेस में लग गए. हमारे देश में इसकी शुरुवात करने में बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान का बहुत बड़ा रोल रहा. हर नौजवान उसके जैसा शरीर बनाने की चाहत करने लगा और देखते ही देखते सलमान की लोकप्रियता इतनी बढ़ गयी कि रातों-रात वो इंडस्ट्री के सबसे महंगे कलाकारों में जाना जाने लगा. इसके बाद संजय दत्त, सुनील शेट्टी और कई फ़िल्मी कलाकारों ने इस चलन को आगे बढ़ाने का काम किया और उनको भी इससे अपार सफलता मिली. ऐसा नहीं है कि इसका प्रभाव सिर्फ़ पुरुष अभिनेताओं तक ही सीमित रहा, इसकी छाप बॉलीवुड की अभिनेत्रयों पर भी पड़ी. उन्होंने भी हॉलीवुड की अभिनेत्रियों की तरह स्लिम-ट्रिम और ग्लैमरस दिखने के लिए अपने वज़न को नियंत्रित करने की कवायत शुरू कर दी. इसका असर टी वी और विज्ञापनों में काम करने वाले कलाकारों पर भी हुआ. इस सबसे जिम्स और हेल्थ क्लब बिजनेस को भी बढ़ावा मिला जो आज अरबों की इंडस्ट्री बन चुका है.

अब जैसा कि मैंने ऊपर ज़िक्र किया की प्राकृतिक तरीके से बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन करना एक बहुत वैज्ञानिक और जटिल प्रक्रिया है जिसमें बहुत सयंम और समय लगता है. इसके लिए पूरे समर्पण और प्रतिबद्धता की ज़रुरत होती है. आज कल के ज़्यादातर नौजवानों में इसका आभाव रहता है, वो सब कुछ जल्द से जल्द पा लेना चाहते हैं और यही कारण है कि अपने शरीर में मनचाहा बदलाव पाने के लिए भी वो शार्टकट्स तलाशने लगे हैं. इसके चलते वो कुछ ऐसी गलतियां करते हैं जिससे उनमें इंजरीज या स्वास्थ्य से जुड़ी दूसरी समस्याएं होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं जो कभी-कभी उनके लिए प्राणघातक साबित हो जाती हैं. कम से कम समय में अपना लक्ष्य पाने के लिए वो ज़रुरत से ज़्यादा एक्सरसाइज करने लगते हैं, मिलावटी और बिना किसी वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित फ़ूड सप्लीमेंट्स का सेवन करने लगते हैं. सबसे ज़्यादा बुरा तो तब होता है जब वो शारीरिक परिवर्तन के लिए अत्यधिक प्रबल और ख़तरनाक दवाओं का प्रयोग करने लगते हैं. पिछले करीब 20-25 सालों में इस तरह की दवाओं का प्रयोग देश के हर छोटे-बड़े शहरों में होने लगा है. आसानी से उपलब्ध हो जाने और इन पर कोई रोक न होने के कारण इनके व्यापार की जड़ें बहुत गहराई तक फ़ैल चुकी हैं. इन दवाओं के दुष्प्रयोग से नौजवानों को स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याएं हो रही हैं और अभी तक ना जानें कितने अपनी जान तक गवां चुके हैं.

अब यहाँ हैरान करने वाली बात ये है कि इन दवाओं को प्रयोग करने का सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत भी हॉलीवुड और बॉलीवुड के कलाकार ही रहे हैं. उनमें से ज़्यादातर कलाकारों ने कड़ी मेहनत और संतुलित आहार के साथ इन खतरनाक दवाओं का प्रयोग किया और अप्राकृतिक तरीके से अपने शरीर में बदलाव किये. अपनी शोहरत खो जाने के डर से उन्होंने तो इन दवाओं के प्रयोग को कभी भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया फिर भी इस रहस्य को ज़्यादा समय तक छुपाया न जा सका. आज फिल्म, टी वी और मॉडलिंग इंडस्ट्री से जुड़ा हर कलाकार इन दवाओं के प्रभाव को भली-भांति जानता है और रोल या विज्ञापन की मांग होने पर इनके इस्तेमाल से कतई गुरेज़ नहीं करता. सबसे बड़ी समस्या ये है कि गंभीर दुष्प्रभाव होने बावज़ूद आज तक इन दवाओं पर कोई रोक नहीं लग सकी है. इन दवाओं का व्यापार धड़ल्ले से चल रहा है और खूब फल-फूल रहा है. इनमें मुख्य रूप से प्रयोग की जाने वाली दवाएं – एनाबोलिक स्टेरॉयड, ह्यूमन ग्रोथ हॉर्मोन, स्टिमुलैंट्स, बीटा टू अगोनिस्ट्स और डाइयरेटिक्स (वाटर पिल्स) होती हैं. इनमें भी सबसे ज़्यादा प्रयोग एनाबोलिक स्टेरॉयड का होता है. इन्हें इस्तेमाल करने से आप बिना थके ज़्यादा देर तक एक्सरसाइज कर सकते हैं, आप ज़्यादा वज़न उठा सकते हैं जिससे आपकी मांस-पेशियों में बहुत जल्दी और बहुत अधिक विकास होता हैं.ह्यूमन ग्रोथ हॉर्मोन भी कुछ इसी तरह का काम करने के साथ-साथ एक एंटी-एजिंग ड्रग का काम करता है जिससे आप अधिक उम्र का होने पर भी जवान दिखते हैं. बीटा टू अगोनिस्ट्स और डाइयरेटिक्स का प्रयोग वज़न काम करने और शरीर में फैट की मात्रा को कम करने में होता है जिससे आप स्लिम दिख सकें और ‘6’ पैक्स दिख सकें. ये सभी बहुत प्रबल और ख़तरनाक दवाएं होती हैं. स्वास्थ्य सबंधी गंभीर समस्या होने पर ही इन दवाओं का प्रयोग किया जाता है. इन समस्याओं के दौरान डॉक्टर्स इनकी बहुत कम डोज़ का प्रयोग करते हैं जबकि अप्राकृतिक रूप से शारीरिक परिवर्तन के लिए इसकी कई गुनी अधिक मात्रा का प्रयोग किया जाता है. ऐसा करने पर इसके कई शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभाव हो सकते हैं. इसके शारीरिक दुष्प्रभाव हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी गंभीर समस्याएं होना, ब्रेन हेमरेज या स्ट्रोक होना, लिवर और किडनी खराब होना, कुछ ख़ास तरह के कैंसर का होना, पुरुषों में सीने के विकास (गायनेकोमास्टिया), नपुंसकता, सर के बालों का झड़ना और शरीर के बालों का बढ़ना, मुहांसे निकलना और आवाज़ में बदलाव आना हो सकते हैं. इन दवाओं के प्रयोग से होने वाले मानसिक दुष्प्रभाव इन्हे इस्तेमाल करने वालों के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों, दोस्तों और समाज के लिए भी बहुत घातक हो सकते हैं. इनमें मुख्य रूप से बहुत आक्रामक हो जाना, उनके स्वाभाव में बहुत उतार-चढ़ाव और चिड़चिड़ापन होना, डिप्रेशन होना, यादाश्त कमज़ोर होना और यहाँ तक की उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति आना तक शामिल हैं.

इन दवाओं का सबसे ज़्यादा दुष्प्रभाव युवाओं में देखने को मिलता है, वो अपने चहेते फ़िल्मी कलाकारों के हाव-भाव, उनके कपड़ों, उनके स्टाइल के साथ-साथ उनकी बॉडी की कॉपी करने की कोशिश करते हैं, उनके जैसा दिखना चाहते हैं. इसके अलावा जिस तरह आजकल सोशल मीडिया में एक्सरसाइज करते हुए की या शर्टलेस फोटो पोस्ट करना एक स्टाइल स्टेटमेंट बन चुका है, युवा जल्द से जल्द रिजल्ट पाने की होड़ में बिना डॉक्टर की सलाह के इन दवाओं का सेवन करने लगते हैं. कुछ समय तक इन दवाओं का सेवन करने पर उन्हें इसकी लत लग जाती है क्योंकि जैसे हि वो इनका प्रयोग बंद करते हैं, इन दवाओं से मिलने वाला अस्वाभाविक शारीरिक परिवर्तन समाप्त होने लगता है, उनमें आत्मविश्वास की कमी हो जाती है और फिर वो इन्हें नहीं छोड़ पाते. इस समस्या का सबसे बड़ा कारण ये है कि इनको इस्तेमाल करने वाले ये कभी ये स्वीकार ही नहीं करते कि वो इनका प्रयोग करते हैं.वो इन दवाओं से होने वाली शुरूआती समस्याओं को नज़रअंदाज़ करते जाते है और अंततः जब इनके घातक परिणाम आने लगते हैं तब उन्हें संभालना डॉक्टर्स के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है. यहाँ तक कि कई बार ऐसे युवाओं की समय से पहले मौत हो जाती है और इसके कारणों का भी पता नहीं चल पता. यहाँ ये जानना बहुत ज़रूरी है कि फ़िल्मी कलाकार इन दवाओं का प्रयोग स्पोर्ट्स मेडिसिन स्पेशलिस्ट की देख रेख में करते हैं और कोई भी शुरूआती लक्षण होने पर वो सतर्क हो जाते हैं और अपने आपको इनसे होने वाले गंभीर दुष्प्रभावों से बचा लेते हैं.

इस समस्या के समाधान के लिए सबसे पहले इन दवाओं की ख़रीद-फरोख्त के लिए सख्त कानून बनाने होंगे और युवाओं को इनसे होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति अवगत कराना होगा. माता-पिता को भी अपने बच्चों पर नज़र रखनी होगी. अगर आपका बच्चा भी जिम जाता है तो उसके जिम बैग या उसके रूम में किसी तरह की दवा की गोलियां या इंजेक्शंस मिलने पर तुरंत उससे पूछ-ताछ करनी होगी. अगर आपको उसके चेहरे पर अकस्मात् मुहांसे दिखें, उसके बालों का झड़ना दिखे या उसके स्वाभाव में आक्रामकता या चिड़चिड़ापन दिखे तो इसकी गंभीरता से जांच कीजिये. ये इन दवाओं से होने वाले शुरूआती लक्षण होतें है. इस स्थिति में इन दवाओं से होने वाले गंभीर दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है और कई नौजवानों की जान बचाई जा सकती है. इन सबके साथ मैं एक अपील फ़िल्मी कलाकारों से भी करना चाहता हूँ कि जहाँ तक हो सके वो ख़ुद भी इन दवाओं से दूर रहें और अगर वो इनका प्रयोग करते हैं तो इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करें जिससे नौजवान अपने शरीर परिवर्तन के लिए एक संभाविक और सुरक्षित लक्ष्य बना सकें. ये उनका सामाजिक और नैतिक कर्तव्य है और इससे उनके प्रशंसकों में उनके प्रति सम्मान और प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी.

अगर आपको ये लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर कर ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाएं और समाजहित में मेरी इस छोटी सी कोशिश को सार्थक बनाने में मदद करें जिससे भटके हुए नौजवानों को सही राह दिखाई जा सके.

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