कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भाजपा और खासकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ किसी भी सीमा पर जाकर विरोश करते नजर आ रहे हैं| फिर चाहें अपनी ही दादी और परदादा के फैसले हों या फिर गठबंधन के दोस्त, राहुल गांधी को किसी की भी परवाह नहीं है| इसीलिए वीर सावरकर को लेकर कांग्रेस की नेहरू- इंदिरा नीति के उलट राहुल गाँधी उनको माफ़ी वीर कहते जा रहे हैं|
कांग्रेस नेता अपने बयान को लेकर सहयोगी पार्टी उद्धव शिवसेना की भी परवाह नहीं कर रहे हैं| उद्धव की पार्टी जहाँ सावरकर को भारत रत्न देने की मांग करती आ रही है| वहीँ राहुल गाँधी सावरकर को देश का गद्दार साबित करने में जुटे हैं| इससे राहुल गाँधी को राजनीतिक रूप से नुकसान ही झेलने को मिल रहा है| साथ ही महाराष्ट्र की जन भावना भी दुखी हो रही है| लेकिन निश्चिंत राहुल बेफिक्र दिख रहे हैं| पूरे मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद उनको नसीहत देते दिख रहे है | राहुल गांधी की ओर से मैं गांधी हूं, सावरकर नहीं, वाले बयान पर गृह राज्य मंत्री ने कहा कि उनका आग्रह है कि राहुल पहले वीर सावरकर को पढ़ें, तब उन्हें भारत की मिट्टी और स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले बलिदानियों की कुर्बानी समझ में आएगा. बचकानी हरकत छोड़ कर आजादी के लिए वीर सावरकर के त्याग और समर्पण को समझने की जरूरत है. नहीं, तो देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा|