Sunday, November 16, 2025
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ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मों की सामग्री का हो सशक्त नियमन : विजय त्रिपाठी

  • अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से उठी मांग

लखनऊ। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् अवध प्रांत द्वारा शनिवार को दारूलशफा में आयोजित प्रेस वार्ता में प्रांत अध्यक्ष विजय त्रिपाठी ने भारत की सांस्कृतिक गरिमा पर पड़ रहे विपरीत प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुए ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मों की सामग्री के सशक्त नियमन की आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया कि इस विषय पर परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव मध्य प्रदेश के रीवा में 7 से 9 नवम्बर को सम्पन्न तीन दिवसीय 17वें राष्ट्रीय अधिवेशन में अनुमोदित किया गया। अधिवेशन में राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर, राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री मनोज कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुशील चंद्र त्रिवेदी, राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. पवनपुत्र बादल तथा आरएसएस के सह-सरकार्यवाह अतुल लिमये की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। अधिवेशन का केंद्रीय भाव “आत्मबोध से विश्वबोध” रहा तथा उद्घाटन सत्र में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने भारतीय “स्व” पर आधारित प्रेरक उद्बोधन दिया।

प्रांत सह-महामंत्री डॉ. बलजीत श्रीवास्तव ने बताया कि विभिन्न सत्रों में साहित्य, संस्कृति और राष्ट्र से जुड़े विचारों पर व्यापक चर्चा हुई। अंतिम सत्र में राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने परिषद की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की, जिसमें राष्ट्रीय संगठन मंत्री मनोज कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुशील चंद्र त्रिवेदी, राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. पवनपुत्र बादल, राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. नीलम राठी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. दिनेश प्रताप सिंह एवं के.सी. अजय कुमार, राष्ट्रीय मंत्री डॉ. भरत ठाकोर और नरेंद्र कुमार, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष प्रकाश बैताला तथा केंद्रीय कार्यालय प्रमुख संजीव सिन्हा सहित विभिन्न प्रकोष्ठों के पदाधिकारी शामिल हैं। परिषद की पत्रिका ‘साहित्य परिक्रमा’ के संपादक डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष पूर्ववत् दायित्व निभाते रहेंगे। अधिवेशन में लगभग 1500 प्रतिभागियों ने सहभागिता की।

मीडिया प्रमुख डॉ. अतुल मोहन सिंह ने जानकारी दी कि परिषद के निर्णयों अनुसार अवध प्रांत में 400 स्थानों पर गोलमेज चर्चाएँ, संघ साहित्य पर विमर्श, कवि-सम्मेलन और साहित्यिक संवाद वर्षभर आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि परिषद ने ओटीटी और गेमिंग ऐप्स पर बढ़ती हिंसक, अश्लील व संस्कृति-विरुद्ध सामग्री पर कड़ी चिंता जताते हुए स्वतंत्र नियामक संस्था के गठन, संवैधानिक व सांस्कृतिक गरिमा की रक्षा हेतु कड़ी निगरानी, आयु-आधारित नियंत्रण तथा दुराचार को बढ़ावा देने वाले मंचों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। प्रेस वार्ता में डॉ. एस.के. गोपाल, राजेंद्र पाण्डेय सहित अनेक साहित्यप्रेमी एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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