उपराष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज चिंता जताई कि “समावेशिता की वह समग्र विचार प्रक्रिया जिसके लिए हमारे गुरु और राष्ट्रीय नायक अडिग रहे, उसे कुछ लोगों की उपस्थिति धर्मांतरण के लिए प्रलोभन देकर कुदरती सामाजिक स्थिरता को बाधित करने का प्रयास कर रही है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि “इससे अधिक गंभीर कुछ नहीं हो सकता कि ये दुस्साहस जैविक जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ने के लिए एक तैयार रणनीति से उत्पन्न होते हैं।”
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन में आज उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी गतिविधियाँ “स्वतंत्रता के उस बहुमूल्य अधिकार को गलत तरीके से प्रभावित करती हैं जिसका हम आनंद लेते हैं”। उन्होंने आगे कहा कि “हमें इन नापाक इरादों को रोकने, इनका प्रतिरोध करने और इन्हें निष्प्रभावी करने की आवश्यकता है क्योंकि इनमें हमारी समावेशिता और सभ्यतागत संपदा के लिए अस्तित्वगत चुनौती के रूप में उभरने की घातक क्षमता है।”
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि “अभूतपूर्व विकास देख रहे देश में नक्सलवाद के लिए कोई जगह नहीं है।” नक्सलवाद से निपटने के लिए देश और छत्तीसगढ़ राज्य में उठाए जा रहे कदमों की सराहना करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि विकास संबंधी गतिविधियाँ समाज के उपेक्षित और कमज़ोर वर्गों पर केन्द्रित हैं। उन्होंने कहा, “जब नीति ऐसी हो और ज़मीन पर ऐसे नतीजे दिखें तो नक्सलवाद के लिए कोई जगह नहीं हो सकती।” श्री धनखड़ ने कहा कि छत्तीसगढ़ में “तीन सी, सड़क संपर्क, मोबाइल संपर्क और वित्तीय संपर्क” को लागू करने से जीवन में बदलाव आ रहा है और प्रगति के नए रास्ते खुल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “छत्तीसगढ़ एक महान राज्य है और एक विकासशील राज्य से बदलकर इसका अवसरों का केन्द्र बनना इसके केन्द्रित विकास और दृढ़ नेतृत्व की शक्ति को दर्शाता है। शिक्षा इस परिवर्तन के केन्द्र में है। मुझे गर्व है कि छत्तीसगढ़ के युवा, चाहे वे शहरों से हों या राज्य के दूरदराज के आदिवासी इलाकों से, अब जीवन के हर क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्थानों से लाभ उठा सकते हैं।”
छत्तीसगढ़ की समृद्ध खनिज संपदा के संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा, “खनिज संपदा को सामूहिक समृद्धि के उच्चतम स्तर पर बदलने के लिए कुछ ठोस प्रयासों की आवश्यकता होगी। यह हास्यास्पद होगा यदि यह संपदा केवल मुट्ठी भर लोगों को लाभ पहुंचाए और राज्य के अधिकांश नागरिकों को इससे वंचित रखे। सामूहिक संपदा के कुशल प्रबंधन और आवंटन पर हमें सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।”
इस संदर्भ में उद्योग की भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, “खनिज संपदा से लाभ उठाने वाले कॉरपोरेट्स, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कार्यों से समृद्धि आनी चाहिए। जनजातीय कल्याण को उनके कामकाज के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में इनसे जोड़ा जाना चाहिए।”
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत के विकास की नींव समावेशिता में निहित है। सामाजिक और आर्थिक कल्याण के लिए शासन की नीतियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि “1.4 बिलियन की आबादी वाले देश में विकास अंतिम मील तक पहुँच गया है।” उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि ये सभी लाभ गैर-भेदभावपूर्ण थे और आबादी का हर वर्ग इससे लाभान्वित हो रहा था।
सेना दिवस के अवसर पर अपने दौरे पर, श्री धनखड़ ने सशस्त्र बलों के अटूट साहस और बलिदान का सम्मान करने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने आगे कहा, “उनका समर्पण और लचीलापन हमें देशभक्ति और निस्वार्थ सेवा की सच्ची भावना की याद दिलाता है और वे हमारे दिग्गज हमारे अनमोल, अमूल्य मानव संसाधन हैं।”
उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा, “सुशासन नई महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा दे रहा है। आपकी पीढ़ी अब ‘कर सकते हैं’ की भावना से भरी हुई है। आपको दूसरी बार सोचने की जरूरत नहीं है। कर सकते हैं, यह आपकी भावना होनी चाहिए क्योंकि सकारात्मक सोच है, हाथ थामने वाली नीतियां हैं जो उन सभी बाधाओं को दूर कर देंगी जो पहले आपके दिमाग में आने वाले किसी विचार को साकार करने के लिए हुआ करती थीं।”
उपराष्ट्रपति ने गुरु घासीदास को भी श्रद्धांजलि दी और उनकी विरासत को अमर बनाने में विश्वविद्यालय की भूमिका को स्वीकार किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “गुरु घासीदास ने सभी के बीच एकता, समावेशिता और समानता की भावना को मूर्त रूप दिया। वे हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा में एक सच्चे राष्ट्रीय प्रतीक हैं।” इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री रमन डेका, आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री , श्री तोखन साहू जी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।