– मीडिया शब्दकोश परियोजना का अन्तराष्ट्रीय आभासी सम्मेलन
नोएडा | विख्यात आध्यामिक गुरु साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा है कि सोशल मीडिया और संचार के अन्य माध्यमों पर स्त्रियों का जो अपमानजनक चित्रण हो रहा है, उस पर कानूनी कार्रवाई के साथ मीडिया सजगता फैलाने से ही रोक लग सकती है। सजगता फैलाने के लिए मीडिया साक्षरता के बारे में नवीं कक्षा से ही पढ़ाया जाना चाहिए। वह मीडिया शब्दकोश परियोजना के तीन साल पूरा होने के मौके पर आयोजित अन्तराष्ट्रीय आभासी सम्मेलन को सम्बोधित कर रहीं थी।
इस सम्मेलन में अमरीका, भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के मीडिया विशेषज्ञों ने भाग लिया था। उनके सुझाव का समर्थन करते हुए महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा की पहली महिला लोकपाल प्रो. (डा.) उमा त्रिपाठी (काशी) ने कहा कि भारत में मीडिया सजगता फैलाने में पिछले तीन सालों में मीडिया शब्दकोश परियोजना ने 1500 वीडियो बनाकर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह भी 36 भाषाओं ओर बोलियों में।
वरिष्ठ शिक्षाशास्त्री प्रो. (डॉ) मंजू गुप्ता (अमेरिका) ने कहा कि अमरीका और अन्य पश्चिमी देशों में संचार प्रौद्योगिकी का जिस तेजी से विकास हो रहा है, उसके कारण हर रोज नए शब्दों की बौछार आ रही है। नई पीढ़ी को उन नए शब्दों को आम जनता तक उनकी भाषाओं और बोलियों में समझाना है। इसलिए नवीं कक्षा से ही मीडिया सजगता की शिक्षा देनी होगी। मीडिया शब्दकोश की संस्थापिका प्रो. भावना पाठक (इंदौर) ने इस प्रयास की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला।
राजस्थान विश्वविद्यालय के पत्रकारिता व जनसंचार केंद्र के पूर्व अध्यक्ष प्रो. संजीव भानावत ने कहा कि इस परियोजना ने कई राज्यों के मीडिया कर्मियों को एक मंच प्रदान कर दिया है, खास तौर से महिला मीडिया कर्मियों को। जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती रेखा उदित ने संचालन करते हुए बताया कि इस अवसर पर मीडिया सजगता फैलाने में जुटी हुई लगभग 40 युवतियों और युवकों को प्रो. (डॉ) रामजीलाल जांगिड सम्मान दिया जाएगा।
पत्रकारिता शिक्षा के भीष्म पितामह प्रो. (डा.) रामजी लाल जांगिड ने कहा कि इटली ने परसों ही चीनी कम्पनी टिकटाक पर करीब 90 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हुए आरोप लगाये है कि उसने बारबार चेतावनी देने के बाद भी बच्चों और युवाओं के लिए हानिकारक सामग्री न बंद की, न छंटनी की। यही नहीं भारत सरकार ने भी परसों अठारह ओटीटी मंचों पर चेतावनी देने के बाद भी अश्लील सामग्री परोसने के कारण रोक लगा दी है। विश्व भर में फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कम उम्र के उपयोगकर्ताओं के लिए अश्लील सामग्री डालने का विरोध हो रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता श्री अजय पाठक ने शहरी उपयोगकर्ताओं के अलावा गाँवों के उपयोगकर्ताओं के लिए उपयोगी सामग्री डालने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने अवधी में मीडिया सम्बन्धी शब्द गढ़ने की पहल की है और सामयिक मुद्दों पर तीन सौ से अधिक दोहे बना डाले हैं।
पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर (पाकिस्तान) की प्रोफेसर (डॉ) सवेरा मुजीब शमी ने पाकिस्तान में भी मीडिया शब्दकोश अभियान चलाने की जरूरत बताई। बांग्लादेश के वरिष्ट मीडिया विशेषज्ञ प्रो. (डॉ) विजय प्रसाद बरुआ ने कहा कि भारत में अलग अलग भाषाओं और बोलियों के जरिए ही हम गांवों की जरूरतों और विशेषताओं को समझ सकते हैं। डेजर्ट ट्रेल (अंग्रेजी पत्रिका), जयपुर की सम्पादिका अमृता मौर्य ने कहा कि उसको इस अभियान से जुड़कर गावों में फैली उर्जा का परिचय मिला और अपनी मातृभाषा की सेवा का मौका मिला। पंजाबी में मीडिया सम्बन्धी शब्द गढ़ने वाली प्रो. (डॉ.) विजेता तनेजा ने कहा कि उसे अपनी हम उम्र मीडिया कर्मियों से जुड़ने की खुशी इस मंच से मिली। अमरीका से जुड़ने वाले डा. जतिन श्रीवास्तव हिन्दी में मीडिया शब्दकोश में योगदान करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में अब तक उन लोगों को समझदार समझा जाता था, जो बोलते नहीं थे। मगर अब सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वालों को प्रभावी कहा जाता है। जम्मू से जुड़ी डा. अंशुला गर्ग ने कहा कि मेरे जैसी नई मीडिया शिक्षिका के लिए मीडिया शब्दकोश से जुड़ना बहुत ही नया अनुभव रहा है। इससे मुझे नई जानकारियां मिली हैं। अवधी में मीडिया शब्द गढ़ने वाले युवा पत्रकार अंकित तिवारी ने कहा कि मुझे इस बात से संतोष मिलता है कि मैं अपनी मातृभाषा की सेवा कर पा रहा हूं। हरियाणा के मुख्यमंत्री के नव नियुक्त मीडिया सलाहकार श्री मनीष कुमार को पहला प्रो. (डा.) रामजीलाल जांगिड सम्मान मीडिया साक्षरता में सक्रियता दिखाने के लिए दिया गया। डॉ. प्रीति सिंह ने ज्यादा से ज्यादा युवतियों को इस अभियान से जुड़ने का आग्रह किया।