मेघालय की राजधानी शिलोंग में हिंदी भाषा के विकास एवं संवर्धन को समर्पित पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलॉग, के तत्वावधान में आयोजित त्रि -दिवसीय 19वें राष्ट्रीय लेखक मिलन शिविर (30 मई 2025 से 1 जून 2025 तक) में पंडोगा के वरिष्ठ साहित्यकार शांति कुमार स्याल को हिंदी साहित्य शिरोमणि सम्मान मानद उपाधि से सम्मानित किया गया l यह सम्मान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. (श्रीमती) स्ट्रीमलेट डकार, खासी विभाग, पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविदयालय, शिलोंग तथा उद्योगपति व समाजसेवी पवन टिबड़ेवाला एवं प्रयागयाज के शिक्षाविद मदनमोहन शंखधर द्वारा प्रदान किया गया | स्याल को यह उपाधि उनकी विगत वर्षों कि सम्पादित-कार्यान्वित विशिष्ट सेवाओं, वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा और साहित्य में उत्कृष्ट उपलब्धियों तथा विविध साहित्यिक यात्राओं में सक्रिय रूप से सम्मिलित हेतु पॖदान किया गया| आप वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा एवं साहित्य के उन्नयन हेतु पूर्णत: समर्पित हैं| आप भारत में हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार एवं आलोचक हैं | उल्लेखनीय है कि स्याल द्वारा अभी तक विभिन्न विषयों पर चार दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकीं हैंl इनकी लेखनी अभी भी जारी है l यह हिमाचल प्रदेश खासकर ऊना जनपद के हिंदी जगत लिए गौरव की बात है| इस कार्यक्रम में हिंदी साहित्य में प्रेम और सदभावना के प्रसंग विषय पर संगोष्ठी का सत्र भी रखा गया था l संगोष्ठी के मुख्य वक्ता मिजोरम विश्वविद्यालय के विभागध्यक्ष प्रो. सुशील कुमार शर्मा ने कहा कि भाषा, साहित्य एवं संस्कृति किसी भी समाज का दर्पण होता है l प्रेम जीवन का आधार है प्रेम और सदभावना परस्पर पूरक है l प्रेम, सदभावना, त्याग सत्य, अहिंसा आदि मानव-मूल्यों का हमें अपने व्यवहार एवं कार्य संस्कृति में अनुपालन करना चाहिए l अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक राज्यों के प्रीतिनिधियों ने गीत, नृत्य और भजन कि प्रस्तुति दी l अंतिम दिन पर्यटन शिविर के तहत रमणीय प्रसिद्द स्थल चिरापूंजी सहित अनेक स्थलों का अवलोकन किया गया l