Tuesday, December 3, 2024
Homeसाहित्यकविताबडी कशमकश है…

बडी कशमकश है…

कवि : देव

बडी कशमकश है बड़ी कशमकश है,

ना दिल अपने बस है ना जान अपने बस है,

बड़ी कशमकश है,

किसी ने लगाया है दौलत का चश्मा,

कहीं है लगा बस उम्मीदों का मजमा,

है मशगूल दुनिया नही कोई बस है,

 बड़ी कशमकश है बड़ी कशमकश है,

जो लगता है सबको सही वो सही है,

ज़माने का दस्तूर अब भी वही है,

ना समझे जो कोई तो उसकी समझ है,

बड़ी कशमकश है बड़ी कशमकश है,

थे जो दोस्त कल तक हुए वो पराए,

कई दीप यादों के हमने बुझाए,

कहो किसको कैसे यकीं हम दिलाए,

हुई दिल में अपने छिड़ी ये बहस है,

बड़ी कशमकश है बड़ी कशमकश है,

नही था छुपाना थी कुछ बात ऐसी,

नही था जताना थी कुछ बात ऐसी,

जता भी ना पाए छुपा भी ना पाए,

की सीने में अपने यही इक कसक है, बड़ी कशमकश है बड़ी कशमकश है।।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments