नई दिल्ली : राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) और शहरी स्थानीय निकायों की यह प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वे नदियों और अन्य जल निकायों में छोड़े जाने से पहले सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों का निर्धारित मानदंडों के अनुसार आवश्यक उपचार सुनिश्चित करें। भारत सरकार देश में नदियों के प्रदूषण को कम करने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम, राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) और अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) जैसी योजनाओं के माध्यम से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों का समर्थन कर रही है। यह जानकारी राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जल शक्ति राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी द्वारा दी गई है।
जल शक्ति राज्य मंत्री ने कहा कि स्थानीय प्राधिकरण, समुदाय और गैर सरकारी संगठन कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्यों सहित पूरे देश में नदी प्रदूषण में कमी लाने के प्रयासों में शामिल हैं। नदी संरक्षण में हितधारकों की भागीदारी के लिए की गई कुछ पहल इस प्रकार हैं:
स्वच्छ भारत मिशन के तहत नदियों की सफाई, स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए देश भर में विभिन्न पहल की गई हैं। जल शक्ति अभियान जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल संरक्षण और प्रबंधन, नदियों सहित जल निकायों को पुनर्जीवित करने, जन जागरूकता, स्थानीय निकायों और समुदायों की भागीदारी और कुशल सिंचाई को बढ़ावा देने आदि के लिए शुरू किया गया है।
जल शक्ति राज्य मंत्री ने कहा कि गंगा उत्सव पवित्र गंगा को श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है, जिसमें नदी के कायाकल्प और पर्यावरण जागरूकता पर जोर दिया जाता है। नदियों के महत्व और उनके संरक्षण के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए नवंबर 2021 में राष्ट्रव्यापी अभ्यास आयोजित किया गया था।
जन गंगा के माध्यम से, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) का उद्देश्य सामूहिक समुदाय-संचालित दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है, जो गंगा नदी की निरंतरता सुनिश्चित करता है। माननीय प्रधानमंत्री ने सभी स्थानीय ग्राम प्रधानों से जल संरक्षण के लिए कदम उठाने को कहा तथा जल संरक्षण को एक जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया।
फरवरी 2025 में जन जागरूकता अभियान के तहत नदियों के संरक्षण में जनता की जागरूकता/भागीदारी के लिए आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, केरल, मणिपुर, महाराष्ट्र, नागालैंड सिक्किम, तमिलनाडु, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड आदि में विभिन्न स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, नदियों के तट पर आरती, नदी सफाई अभियान, यात्राएं, नारे/चित्रकला/निबंध प्रतियोगिताएं आदि जैसी विभिन्न गतिविधियां आयोजित की गईं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी)/प्रदूषण नियंत्रण समितियां (पीसीसी) और एनएमसीजी अपशिष्ट निर्वहन मानकों के संबंध में उद्योगों और सीवेज उपचार संयंत्रों की निगरानी करते हैं और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 और जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के प्रावधानों के तहत गैर-अनुपालन करने वाले उद्योगों और स्थानीय निकायों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करते हैं। सीपीसीबी के अनुसार, मानक का अनुपालन न करने पर 73 अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों को बंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने पर्यावरण नियमों का पालन न करने पर विभिन्न संबंधित प्राधिकरणों पर जुर्माना भी लगाया है।