साहित्य के महाकुम्भ विश्व पुस्तक मेला में आयोजित ‘संवाद’ कार्यक्रम में चर्चित कथाकार, पत्रकार व व्यंग्यकार मनीष शुक्ल के पहले कविता संग्रह ‘निलंबित मौन के स्वर’ के विमोचन समारोह में आयोजित लेखक से संवाद कार्यक्रम में पुस्तक पर चर्चा हुई| वरिष्ठ साहित्यकारों एवं राजनेताओं ने कविता को लेकर अपने संस्मरण और अनुभव साझा किये| मुख्य अतिथि भाजपा संसदीय दल के कार्यालय सचिव व राष्ट्रीय प्रमुख, भाजपा प्रकाशन विभाग डॉ शिव शक्ति बक्शी ने कहा कि कविता अंतर्मन में छिपे भाव हैं जो शब्दों के रूप में प्रकट होते हैं! कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि माँ सरस्वती की साधना से ही समाज में जागरूकता और प्रकाश फैलता है| फिर माध्यम कविता या प्रवचन कुछ भी हो सकता है| लेखक निर्देशक व नाटककार चंद्रभूषण सिंह ने कहा| कविता सीधे मर्म पर चोट करती है जिससे समाज की दिशा और दशा दोनों ही बदल सकती हैं| सामाजिक संस्था आगमन की राष्ट्रीय उपध्याक्ष ने कहा कि कवि के तौर पर मनीष पत्रकार और कथाकार की तरह ही प्रभाव छोड़ते हैं| वरिष्ठ साहित्य साधक डॉ राखी बक्शी ने कहा कि निलंबित मौन के स्वर ही सच्चे अर्थों में जन मानस की मुखर आवाज है| कवि मनीष शुक्ल ने कहा कि कल्पना और जीवन की सच्चाई को यथार्थ के साथ शब्दों में पिरोना कठिन कार्य था लेकिन जैसे- जैसे कलम चलती गई, निलंबित मौन के स्वर पुस्तक ने आकर ले लिया| शिल्पायन प्रकाशन के उमेश शर्मा ने आभार जताया| इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार विभूति मिश्र, तस्लीम अहमद, दिव्यांशु कुमार, प्रतिभा वाजपेई, पीयूष आदि मौजूद रहे|