चार सौ से अधिक नेपाल भारत के साहित्य साधक और एक सौ से अधिक नेपाली छात्रों की सहभागिता रही
पोखरा, नेपाल के पृथ्वी नारायण कैंपस, गंडकी प्रज्ञा प्रतिष्ठान के भानुसभा हाल में आयोजित तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के पंचम संस्करण का भव्य उद्घाटन वरिष्ठ साहित्यकार सरूभक्त श्रेष्ठ, भारतीय दूतावास के प्रतिनिधि सत्येन्द्र दहिया, गंडकी प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति, पोखरा प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति पद्मराज ढ़काल, बर्दघाट प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति डा घनश्याम न्यौपाने परिश्रमी, चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय मेरठ, भारत के इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. वघ्नेश कुमार, वरिष्ठ साहित्यकार व समाजसेवी गणेश प्रसाद लाठ मुख्य वक्ता रहे सभी ने दीप प्रज्वलित कर किया इससे पूर्व इसका शुभारंभ नेपाल व भारत के राष्ट्रीय गीत से किया गया ।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता नेपाल के वरिष्ठ भविष्य वक्ता व साहित्यकार डा बलराम उपाध्याय रेगमी ने किया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि नेपाल संगीत व नाट्य प्रज्ञा प्रतिष्ठान के पूर्व कुलपति वरिष्ठ साहित्यकार सरूभक्त श्रेष्ठ ने इस तरह के आयोजन से नेपाल भारत का सांस्कृतिक , साहित्यिक , धार्मिक सम्बन्ध में मिठास आएगा और दोनों देशों के लेखकों व शोधार्थियों के लिए सेतु का काम करेगा। हमारे आपके बीच का दूरीयां कम होगी। एक दूसरे का साहित्यिक इतिहास जानने का बेहतर मंच है ये ।
विशिष्ट अतिथि इतिहासकार प्रो विघ्नेश कुमार ने कहा कि नेपाल भारत उन्होंने कहा इस तरह के कार्यक्रम निरंतर होते रहने चाहिए । दोनो देश के बीच ऐतिहासिक, धार्मिक , साहित्यिक, सांस्कृतिक सम्बन्ध को हम अनदेखा नही कर सकते और भारत में 1857 की क्रांति और नेपाल की भूमिका सहित नेपाल भारत के ऐतिहासिक जानकारी सभी से साझा की ।
नेपाल भारत साहित्य महोत्सव आयोजक डा . विजय पंडित ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि नेपाल भारत साहित्य महोत्सव का यह पांचवा संस्करण भारतीय दूतावास, गंडकी प्रज्ञा प्रतिष्ठान, पोखरा प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति सूर्य खड़का बिखर्ची ने प्रतिष्ठान के सहयोग व उद्देश्य पर विशेष ध्यान आकृष्ट किया।
बर्दघाट प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति डॉ घनश्याम न्यौपाने परिश्रमी का भारत नेपाल के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक, साहित्यिक भाईचारा, मैत्री कायम रखने और देवनागरी लिपि पर केंद्रित उद्बोधन रहा।
और ज्योतिष भविष्यवाणी साप्ताहिक के सहयोग से वसुद्धैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ पोखरा मे आयोजित किया जा रहा है जिसका उद्देश्य नेपाल और भारत के मध्य एक साहित्यिक सेतु का निर्माण करने के साथ परस्पर सहयोग, प्रेम, मैत्री, साहित्य का विस्तार, अनुवाद, शोध, विचारों का आदान प्रदान, युवाओं की भागीदारी से दोनों देशों के संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाना है । कार्यक्रम का संचालन पौडेल बिमुंश द्वारा नेपाली, हिन्दी दोनों भाषाओं में किया गया ।
नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के प्रथम संयोजक, वरिष्ठ साहित्यकार मुख्य वक्ता गणेश प्रसाद लाठ ने साहित्यिक महोत्सव में कृतियों के अनुवाद, प्रकाशकों व पाठकों की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला।
लघुकथा सत्र में भारत से विभारानी श्रीवास्तव, रवि श्रीवास्तव, अमृता सिन्हा, नीता चौधरी, ऋचा वर्मा, डा ममता पंत, मीरा प्रकाश, सीमा रानी, कृष्ण कुमार ‘आशु’, अनिता निधि नेपाल से लघुकथाकार भाषा आयोग के माननीय सदस्य डा पुष्कर राज भट्ट, कल्याण पंत, श्याम श्रेष्ठ और किशन पौडेल शामिल रहे
लघुकथा सत्र में किशन पौडेल की हिन्दी में प्रकाशित लघुकथा पुस्तक अंतर्दृष्टि का भव्य विमोचन किया गया और चर्चा की गई। कहानी सत्र में महाराष्ट्र से विपिन पंवार और डॉ हरेंद्र हर्ष शामिल रहे। भारत नेपाल विशेष रूप से उपस्थित रहे। प्रथम दिन का समापन ग़ज़ल और बहुभाषी कविता के नाम रहा। नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन पोखरा प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति पद्मराज ढकाल रहे दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया।
प्रथम सत्र शोध-पत्र का रहा जिसमें पर्यटन साहित्य: एक विमर्श ऋषभ देव घिमिरे ने प्रस्तुत किया।
दूसरा कार्यपत्र साहित्यिक व कला क्षेत्र में प्रतिलिपि का अधिकार विशु कुमार के. सी ने प्रस्तुत किया।
तृतीय कार्यपत्र भारतीय साहित्य का नेपाल संबंध विषय पर भारत के कमल किशोर वर्मा कमल ने प्रस्तुत किया।
भारत से डा घरो चौधरी ने ‘महान स्वप्नदर्शी का यात्रा दर्शन’ विषय पर रहा। डा ममता पंत ने ‘कुमाऊंनी लोकगीतों में स्त्री वेदना’ और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी की हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो उर्वशी गहलौत ने नेपाली व भारतीय साहित्य में नारी हस्ताक्षर विषय पर शोध-पत्र प्रस्तुत किया। दूसरे सत्र में हिन्दी, नेपाली, अंग्रेजी भाषाओं की अनेक पुस्तकों का विमोचन हुआ साथ ही कवि सम्मेलन, मुशायरा व सम्मान समारोह आयोजित किया गया ।
तृतीय दिवस समापन समारोह में मुख्य अतिथि नेपाली लोक-संस्कृति के विद्वान व नेपाली भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रा डा कुसुमाकर न्यौपाने, प्रो एस एस डोगरा, प्रा शिव त्रिपाठी, असफल गौतम, अभिराम पाठक, विष्णु भंडारी, सरिता तिम्मलसिना पंगेनी, वरिष्ठ पत्रकार मनीष शुक्ला, कोमल प्रसाद राठौर, गोकुल क्षत्रिय, डा देवी पंथी, अंतरराष्ट्रीय नेपाली साहित्य समाज नेपाल चैप्टर के अध्यक्ष राजेंद्र के.सी, प्रा डा षणानंद पौडयाल, साहित्यकार ऋषभ देव घिमिरे, अनुवादक राजेंद्र गुरागांई रहे और सत्र में प्रो डोगरा की पांचवीं पुस्तक WoW ‘words of wisdom’ का विमोचन किया गया। सभी ने नेपाल भारत साहित्य महोत्सव को निरंतर आयोजित करने का संकल्प लिया।
तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव में तृतीय दिवस में पृथ्वी नारायण कैंपस के कानून विभाग और आईटी विभाग के एक सौ छात्र छात्राओं की विशेष भूमिका रही, युवा संसद का आयोजन किया गया जिसमें सभी युवाओं ने हिन्दी नेपाली अंग्रेजी भाषाओं में अपने विचार, कविता व संस्मरण रखे सभी ने नेपाल भारत संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाए रखने के लिए अपना सहयोग करने का संकल्प लिया। नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के नेपाल संयोजक प्रा डा बलराम उपाध्याय रेगमी ने सभी अतिथियों व संयुक्त तत्वावधान में आयोजित करने वाले सभी सहयोगियों का विशेष रूप से आभार व्यक्त करते हुए पोखरा घोषणा पत्र जारी किया ।