Tuesday, September 2, 2025
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ब्रह्मांड की आयु और आकार का सटीक मानचित्रण का नया रास्ता खुल

  • आकर्षक मीरा तारे ब्रह्मांड के विस्तार की स्वतंत्र दर निर्धारित करने का आधार हैं
  • ऑक्सीजन युक्त मीरा परिवर्ती तारों का उपयोग करके सटीक माप प्राप्त किया

नई दिल्ली : मौजूदा समय में ब्रह्मांड विज्ञान के मानक मॉडल के आधार पर ब्रह्मांड उम्मीद से अधिक तेजी से विस्तार कर रहा है। वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि यह फर्क क्यों है। यह किसी नई भौतिकी की ओर इशारा कर सकता है| या फिर हमारे वर्तमान मॉडल अधूरे हैं और उनमें बदलाव की आवश्यकता है। किसी भी स्थिति में मीरा तारों और अन्य अन्य चर तारों से जुड़ी खोजें ब्रह्मांड के इन रहस्यों को सुलझाने में अहम भूमिका निभा रही हैं| इसी कवायद में इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) के प्रोफेसर अनुपम भारद्वाज के नेतृत्व में हुई हालिया क्रांतिकारी स्टडी में हमारी आकाशगंगा के 18 तारकीय समूहों (stellar clusters) में मौजूद 40 ऑक्सीजन-समृद्ध मीरा परिवर्तनशील तारों का उपयोग किया गया।

शोध दल ने इन तारों को लंबे समय तक मॉनिटर किया और उनकी औसत चमक (luminosity) व स्पंदन की अवधि (pulsation periods) को रिकॉर्ड किया। यूरोपियन स्पेस एजेंसी के गैया मिशन ने इसमें अहम भूमिका निभाई, जिसने पृथ्वी से 13,000 से 55,000 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित तारकीय समूहों की सटीक दूरी उपलब्ध कराई। इसने मीरा तारों की चमक को बिल्कुल नए स्तर पर कैलिब्रेट करने में मदद की।

इन मीरा चर तारों के लिए परिणामी “निरपेक्ष” अवधि-चमक संबंध, सेफीड चर तारों का उपयोग किए बिना,  ब्रह्मांडीय दूरी सोपान में प्रयुक्त सुपरनोवा का एक स्वतंत्र अंशांकन प्रदान करता है। इस उपलब्धि ने टीम को हबल स्थिरांक को उल्लेखनीय 3.7% परिशुद्धता के साथ निर्धारित करने में सक्षम बनाया। यह अध्ययन हाल ही में प्रतिष्ठित एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है ।

अध्ययन के प्रमुख लेखक, प्रोफेसर भारद्वाज ने कहा, “हमने पहली बार हमारी आकाशगंगा के मीरा तारों को ‘एंकर’ बनाकर ब्रह्मांड के विस्तार की दर मापी। धातुओं का प्रभाव सेफ़िड चर तारों की तुलना में मीरा तारों पर तीन गुना कम पाया गया, जिससे ये तारें हबल स्थिरांक मापने का भरोसेमंद विकल्प बन जाते हैं।”

स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट और जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के नोबेल पुरस्कार विजेता एडम रीस इस शोध के सह-लेखक हैं। उनके अनुसार, यह नया शोध इस चल रही बहस का एक सशक्त समाधान प्रस्तुत करता है: “सेफ़ीड और मीरा आधारित हबल स्थिरांक मूल्यों की संगति यह दिखाती है कि हबल टेंशन माप की त्रुटियों के कारण नहीं है, बल्कि इसके पीछे कोई नई भौतिकी हो सकती है।”

यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला की एक अन्य सह-लेखिका और स्टाफ खगोलशास्त्री डॉ. मरीना रेज्कुबा ने इस अध्ययन के महत्व को दोहराते हुए कहा, “यह स्टडी तारकीय खगोल भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान को जोड़ती है।  मुझे उम्मीद है कि इसका दीर्घकालिक प्रभाव होगा। मीरा तारों की क्षमता को हबल स्थिरांक निर्धारण का नया और सटीक एंकर बनाने में यह अध्ययन मील का पत्थर साबित होगा।”

हालाँकि दूरी की सीढ़ी के पहले चरण में मीरा तारों का अंशांकन अब सेफ़ीड मानक के बराबर है, मीरा-आधारित हबल स्थिरांक मापन में समग्र अनिश्चितता अभी भी उन आकाशगंगाओं की सीमित संख्या से प्रभावित है जिनमें मीरा तारे ज्ञात हैं (आज तक, मीरा तारे केवल दो सुपरनोवा मेजबान आकाशगंगाओं में ही पाए गए हैं)। हालाँकि, यह उम्मीद की जाती है कि रुबिन वेधशाला सुपरनोवा मेजबान आकाशगंगाओं में बड़ी संख्या में मीरा तारों की खोज करेगी, जिससे ब्रह्मांड की आयु और आकार का सटीक मानचित्रण करने का एक नया रास्ता खुल जाएगा।

पृष्ठभूमि

मीरा, जिसे ओमिक्रॉन सेटी के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा तारा है जो एक नियमित पैटर्न में समय के साथ अपनी चमक को उल्लेखनीय रूप से बदलता है। 17वीं शताब्दी में खगोलविदों द्वारा पहली बार इसकी परिवर्तनशीलता को मापा गया था, मीरा एक “चर तारा” का पहला ज्ञात उदाहरण था – एक ऐसा तारा जो एक स्थिर चमक के साथ नहीं चमकता है। मीरा नाम का अर्थ लैटिन में “अद्भुत” है, और इसने मीरा चर तारों के रूप में जाने जाने वाले तारों के एक पूरे वर्ग के लिए प्रोटोटाइप बनकर उस नाम को सार्थक किया।

मीरा चर तारे एक प्रकार के विशाल तारे हैं जो विस्तार और संकुचन के नियमित चक्रों से गुजरते हैं। ये चक्र उनकी चमक को एक अनुमानित तरीके से भिन्न करने का कारण बनते हैं, आमतौर पर 100 से 1,000 दिनों तक की अवधि में। ये तारे अपेक्षाकृत शांत होते हैं, जिनकी सतह का तापमान लगभग 3,000 केल्विन (सूर्य की सतह के तापमान का लगभग आधा) होता है, और वे अपने जीवन के अंतिम चरणों में होते हैं। मीरा चर तारों के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बातों में से एक यह है कि उनकी चमक और उनके स्पंदन चक्रों की अवधि के बीच एक मजबूत संबंध है। यह संबंध खगोलविदों को उन्हें “मानक मोमबत्तियों” के रूप में उपयोग करने की अनुमति देता है।

एक मानक मोमबत्ती (स्टैंडर्ड कैंडल) अंतरिक्ष में एक ऐसी वस्तु है जिसकी वास्तविक चमक ज्ञात होती है। जब उसकी पृथ्वी से दिखाई देने वाली चमक की तुलना उसकी वास्तविक चमक से की जाती है, तो वैज्ञानिक उसकी दूरी का सटीक अनुमान लगा सकते हैं। यह तरीका ब्रह्मांड की दूरी नापने की एक अहम तकनीक है, जिसे खगोलशास्त्री “एक्स्ट्रा-गैलेक्टिक डिस्टेंस लैडर”  का हिस्सा मानते हैं। जैसे-जैसे हम ब्रह्मांड में और गहराई तक देखते जाते हैं, खगोलविद अलग-अलग प्रकार की स्टैंडर्ड कैंडल्स का इस्तेमाल करते हैं और इस तरह “सीढ़ी” पर आगे बढ़ते हुए अंततः उस स्तर तक पहुँचते हैं जहाँ ब्रह्मांड का विस्तार, जिसे हबल फ्लो कहते हैं—को मापा जा सकता है।

जब ब्रह्मांड जिस दर से विस्तार कर रहा है, उसे हबल स्थिरांक कहा जाता है। यह मान (Value) ब्रह्मांड विज्ञान में बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हमें ब्रह्मांड का आकार और उसकी उम्र का पता चलता है। लेकिन वर्तमान में वैज्ञानिक समुदाय के सामने एक बड़ी पहेली है जिसे ‘हबल टेंशन’  कहा जाता है। जब खगोलविद पास के तारों, जैसे सेफीड चर तारों और फटने वाले तारों (टाइप ला सुपरनोवा) से हबल स्थिरांक मापते हैं, तो उन्हें इसका उच्च मान मिलता है। लेकिन जब वे शुरुआती ब्रह्मांड के अवलोकन—जैसे कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड (CMB) डेटा और अन्य अप्रत्यक्ष तरीकों—का उपयोग करते हैं, तो मान काफी कम आता है। यही अंतर हाल के वर्षों में सबसे बड़ी बहस का विषय रहा है,  जिसमें अलग-अलग माप विधियों से अलग-अलग मान प्राप्त हुए हैं, जिससे “हबल तनाव” के रूप में जाना जाता है।

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