
लेखक : दिलीप कुमार
हिन्दी सिनेमा में दादा साहब फाल्के पुरूस्कार के बाद फिल्मफेयर पुरूस्कार सबसे बड़ा माना जाता है. हालाँकि दादा साहेब फाल्के पुरूस्कार की पात्रता बहुत कठिन है, हिंदी सिनेमा में सक्रिय 50 साल का सफ़ल कॅरियर होना सबसे बड़ी पात्रता है. वहीँ फिल्मफेयर हर साल आयोजित होता है. जिसे मिल गया तो सोना है, जिसे न मिला तो मिट्टी है… कई लोग कहते रहते हैं, फिल्मफेयर पुरूस्कार पैसे से खरीदा जा सकता है. अक्षय कुमार ने कहा कि जो लोग फिल्मफेयर में नाचते हैं, उन्हें ही अवॉर्ड मिलता है!! हर किसी को नहीं मिलता. भारतभूषण, दिलीप साहब, अशोक कुमार, सुनील दत्त, देवानंद साहब, अमिताभ बच्चन, नसीरुद्दीन शाह, संजीव कुमार जी तो कभी फिल्मफेयर में नहीं नाचे उन्हें क्यों मिला?? नाचना पात्रता नहीं हो सकती! यह तर्क अज़ीब है.
धरम जी इतने उम्दा ऐक्टर रहे हैं उन्हें आजतक एक भी अवॉर्ड नहीं मिला मुझे इस बात पर वाकई दुःख होता है. क्योंकि धर्म जी कई फ़िल्मों के लिए अवॉर्ड डिजर्व करते थे. दुःखद यह है कि उन्हें एक भी नेशनल अवॉर्ड भी नहीं मिला! क्या नेशनल अवॉर्ड भी मुँह देखकर दिए जाते हैं? 60 साल से लम्बा फिल्मी कॅरियर हिन्दी सिनेमा में आज भी सबसे ज्यादा सुपरहिट फ़िल्में देने का रिकॉर्ड धरम जी के पास है, लेकिन आजतक दादा साहेब फाल्के पुरूस्कार से सम्मानित नहीं किया गया!! वहीदा रहमान जी को इतने सालो बाद दादा साहेब फाल्के पुरूस्कार दिया गया था, जो सवालिया निशान था. लोगों को पूछना चाहिए, फिल्मफेयर पुरूस्कार से ज्यादा इन पर भी उँगलियाँ उठती रहीं हैं.
कई फिल्मी हस्तियों के मुँह से सुना गया है, कि शाहरुख खान को तो यूँ ही बड़े आराम से फिल्मफेयर अवॉर्ड मिल जाता है. उन्हें बता दूँ 2010 के बाद शाहरुख खान को फिल्मफेयर नहीं मिला. इस साल शाहरुख की तीन फ़िल्में आईं दो फ़िल्मों जवान, डंकी के लिए नॉमिनेट किया गया. इस बार जवान फिल्म के लिए उम्मीद बताई जा रही थी, लेकिन नहीं मिला. आख़िरकार चौथी बार बेस्ट ऐक्टर का अवॉर्ड रणबीर कपूर को एनिमल के लिए दिया गया है. कपूर खानदान में सबसे ज्यादा कुलमिलाकर 6, बेस्ट ऐक्टर के लिए 4 अवॉर्ड रणबीर कपूर को ही मिले हैं…रणबीर का रोल बहुत हिंसक था इससे कोई भी इंकार नहीं कर सकता, लेकिन यह अवॉर्ड उनकी अदाकारी के लिए मिला है. किसी भी स्टार के फैन बेमतलब की बहस शुरू कर देते हैं. शाहरुख खान के फैन्स को लग रहा है, और वो लिख भी रहे हैं, फिल्मफेयर बिकाऊ है!!! क्योंकि जवान को नहीं मिला. यही बात दूसरों के फैन्स बोलते हैं तो शाहरुख के फैन्स को खल जाता है!! मुझे लगता है, फैन्स बहुत भावुक होते हैं, जो बिना तर्क नतीजे तक पहुंच जाते हैं. शाहरुख खान के फैन्स अगर मानते हैं इतने सारे फिल्मफेयर अवॉर्ड उनकी काबिलियत से मिले हैं, तो वो यह क्यों नहीं मान पा रहे कि शाहरुख से अच्छा अभिनय इस साल रणबीर कपूर का रहा है. चुनने वाली ज्यूरी की भी अपनी पसंद हो सकती है, चूंकि उनकी पसंद मायने रखती है, आपकी नहीं बस इतनी सी बात है, जो भावुक फैन्स नहीं समझ सकते. अब तक रणबीर से ज्यादा दिलीप साहब बेस्ट ऐक्टर 8, कुलमिलाकर 15, शाहरुख खान बेस्ट ऐक्टर 8, कुलमिलाकर 16, अमिताभ बच्चन बेस्ट ऐक्टर 5 कुलमिलाकर 08… फ़िल्म फेयर का अब तक का यही इतिहास है.. यही वो अवॉर्ड है जिसका विरोध तो कई करते हैं, लेकिन मिलने पर लेने से मना कोई नहीं करता. सवाल पूछा जाना चाहिए ग़र वो प्लेटफ़ॉर्म इतना भ्रष्ट है तो आप उस मंच में क्यों जाते हैं? पूर्णतः बहिष्कार क्यों नहीं करते? वैसे इस अवॉर्ड की महत्ता यह भी है कि मरने के बाद सबसे ज्यादा यही काउंट होता है, और जनता का प्यार….सबसे ज्यादा हास्यास्पद यह है कि इसका विरोध तो कई सुपरस्टार जमकर करते हैं, लेकिन मिल जाता है तो अपनी स्टडी में सजाकर रख लेते हैं, और ग्रहण करने से मना नहीं कर पाते…आम लोग भावुक होते रहते हैं. उनको भड़का कर क्या मिलता है? हम लोग नोबेल पुरस्कार, ऑस्कर को गरियाते रहते हैं, क्योंकि नोबेल पुरस्कार हमें कभी – कभार ही मिलता है, वो भी ज्यादातर प्रवासी भारतीयों को ही मिलता है. ऑस्कर के लेवल का आजतक हम फिल्म पुरूस्कार स्थपित नहीं कर पाए, इसलिए हमारे लिए यही अब तक का बेस्ट अवॉर्ड है… रही बात पुरूस्करो की विश्वसनीयता की तो वो तो नोबेल पुरस्कार को भी हम गरियाते है. इतनी सी ही कहानी है इतना सा ही फ़साना है.