किसी औपचारिकता में नहीं बंध सकती : डा.विद्या विंदु सिंह
लखनऊ, 30 अप्रैल। फिल्म एण्ड टीवी अकादमी उत्तर प्रदेश के रजत जयंती वर्ष आयोजन में सुविख्यात फिल्म व रंगमंच अभिनेता डा.अनिल रस्तोगी और वरिष्ठ समीक्षक राजवीर रतन को साहित्यकार पद्मश्री डा. विद्या विंदु सिंह, राज्य ललित कला अकादमी के अध्यक्ष गिरीशचन्द्र मिश्र व फिल्मकार सुनील बत्ता ने अंगवस्त्र, स्मृतिचिह्न इत्यादि देकर दादा साहेब फाल्के आजीवन चलचित्र सेवा सम्मान-2025 से अलंकृत किया।
भारतीय सिनेमा के पितामह की 155वीं जयंती के उपलक्ष्य में यहां यूपी प्रेस क्लब में आयोजित अवार्ड समारोह में अध्यक्षीय वक्तव्य में पद्मश्री विद्याविंदु सिंह ने कहा कि साहित्य और कला किसी औपचारिकता में नहीं बंध सकती। दादा साहेब फाल्के की परंपरा को आगे बढाते रहने की ज़रूरत है। पूर्वजों की परम्परा को आगे बढ़ाते रहने की जरूरत है।
समारोह की अध्यक्षता कर रही लोककलाविद् डा.विद्या विंदु ने दोनों सम्मानित कलाकारों के कला जगत में किये योगदान को बहुमूल्य बताया। उन्होंने कहा कि चाहे लोककला हो, साहित्य हो या लगातार विकसित होती तकनीक पर आधारित फिल्म माध्यम, इन विधाओं पर जो भी व्यापक सोच और संवेदनशीलता के साथ काम करेगा, डा.रस्तोगी और राजवीर की तरह अपनी अलग पहचान बनाने में सफल होगा।
डा.अनीता सहगल वसुंधरा के संचालन में चले समारोह में अकादमी के अध्यक्ष सुनील बत्ता ने कहा- 40 साल हो गए फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में। फ़िल्म बगैर पैसे के नहीं बनती, फ़िल्म बगैर टीम के नहीं बन सकती। फ़िल्म नीति ने फाइनेंस की समस्या को कम करने की कोशिश की थी। इसका श्रेय योगेंद्र नारायण और रोहित नन्दन को जाता है। अम्मा सब्सिडी पाने वाली पहली फ़िल्म थी, अब तक 100 फिल्मों को सब्सिडी मिल चुकी है। अच्छा फिल्मी वातावरण बनाने में सरकार की मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का सहयोग मिले तो अकादमी फिल्म नीति के अनुरूप फिल्म समारोह आदि करने को तैयार है। अतिथियों और आगंतुकों का स्वागत करते हुए अकादमी की कार्यकारी सचिव अर्पिता बत्ता ने दादा साहब की गतिविधियों से परिचित कराया। दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री गिरीशचन्द्र मिश्र ने कहा कि फिल्मों के जनक की स्मृति में यह यादगार कार्यक्रम है। सुनील बत्ता, डॉ.अनिल रस्तोगी और राजवीर जैसे लोग लखनऊ की पहचान हैं।
81 वर्ष की अवस्था में भी फिल्म और रंगमंच पर सक्रिय अभिनेता डा.अनिल रस्तोगी ने सम्मान के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि छह दशक से भी अधिक समय की अभिनय यात्रा में बहुत तरह के अनुभव हुए और अलग अलग अनुभव लेना आज भी रोमांचित करता है। मेरी यात्रा सुनील के साथ शुरू हुई। लखनऊ में सुनील ही धारावाहिक और फ़िल्म बनाने वाले थे। फ़िल्म बन्धु ने ओटीटी को भी अनुदान देने का फैसला किया है। यूपी के फ़िल्म मूवमेंट में सुनील का अहम योगदान है। समीक्षक लेखक राजवीर रतन ने सुनील बत्ता को प्रदेश फिल्म जगत में नई इबारत लिखने वाला व्यक्तित्व बताया। उन्होंने कहा कि सबसे कलात्मक और सशक्त इस फिल्म माध्यम में अपार सम्भावनाएं हैं। सम्मान आभार व्यक्त करने का समय है।
फ़िल्म खर्चीला माध्यम है लेकिन इसका ठीक से उपयोग नहीं हो पा रहा है। अब कलात्मकता पर उद्योग हावी हो गया है।
इस अवसर पर आर्टिस्ट फोरम प्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों और कलाकारों की मौजूदगी में दादा साहब फाल्के सम्मानित होने वाले दोनों व्यक्तित्वों पर निर्मित फिल्मों और दृष्टि फिल्मस के धारावाहिकों के अंशों का प्रदर्शन हुआ। पद्मश्री विद्या बिंदु सिंह, डॉ. अनिल रस्तोगी, सुनील बत्ता औए अर्पिता बत्ता ने दीप प्रज्वलित किया।