नई दिल्ली : विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग पर भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) की बैठक 27 फरवरी 2025 को भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय, विज्ञान भवन एनेक्सी, नई दिल्ली में आयोजित की गई। यह बैठक कॉलेज ऑफ कमिशनर्स के साथ यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष महामहिम सुश्री उर्सुला वॉन डेर लेयेन की दो दिवसीय भारत यात्रा के मद्देनजर आयोजित की जा रही विभिन्न क्षेत्रीय बैठकों का हिस्सा थी। बैठक की सह-अध्यक्षता भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद और यूरोपीय संघ की स्टार्टअप, अनुसंधान और नवाचार आयुक्त सुश्री एकातेरिना ज़हरिवा ने की।
भारत की ओर से, इस बैठक में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश एस. गोखले, वैज्ञानिक ‘एच’, डीबीटी डॉ. संजय मिश्रा, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के सलाहकार डॉ. मोनोरंजन मोहंती, डीएसटी के अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रमुख डॉ. प्रवीण कुमार एस, डॉ. अपर्णा शुक्ला, वैज्ञानिक ‘ई’, एमओईएस और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के डॉ. हफ्सा अहमद, वैज्ञानिक ‘डी’ ने भाग लिया। यूरोपीय आयोग से सुश्री ज़हरिवा के साथ अनुसंधान और नवाचार महानिदेशालय के महानिदेशक श्री मार्क लेमेत्रे, अंतरराष्ट्रीय सहयोग इकाई के प्रमुख सुश्री निएनके बुइसमैन, आयुक्त ज़हरिवा की कैबिनेट के उप प्रमुख सुश्री सोफी अलेक्जेंड्रोवा, आयुक्त ज़हरिवा की कैबिनेट के सदस्य श्री इवान डिमोव, प्रथम परामर्शदाता और अनुसंधान और नवाचार अनुभाग के प्रमुख श्री पियरिक फ़िलोन-आशिदा, भारत के लिए ईयू प्रतिनिधिमंडल तथा भारत में यूरोपीय संघ प्रतिनिधिमंडल अनुसंधान एवं नवाचार अनुभाग के नीति अधिकारी डॉ. विवेक धाम शामिल हुए। इस बैठक का उद्देश्य भारत-यूरोपीय संघ अनुसंधान साझेदारी को मजबूत करना और स्वच्छ ऊर्जा, पानी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन अनुसंधान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देना है।
चर्चा के दौरान, दोनों पक्षों ने लंबे समय से चले आ रहे भारत-ईयू विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौते को स्वीकार किया, जिस पर मूल रूप से 2001 में हस्ताक्षर किए गए थे और 2015 और 2020 में नवीनीकृत किया गया था, जो अब 2025-2030 तक विस्तार के लिए निर्धारित है। इस साझेदारी ने जल संसाधन प्रबंधन, स्मार्ट ग्रिड, स्वच्छ ऊर्जा, वैक्सीन विकास और जलवायु परिवर्तन और ध्रुवीय अनुसंधान में अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बैठक में अपशिष्ट जल उपचार, वैक्सीन नवाचार और गहरे समुद्र में खोज में महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर बल दिया गया, जो दोनों क्षेत्रों के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों के रूप में उभरे हैं।
भारत का तेजी से बढ़ता इनोवेशन इकोसिस्टम स्टार्टअप और यूनिकॉर्न निर्माण में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। इनोवेशन इकोसिस्टम स्टार्टअप को सहयोग के पीछे प्रेरक शक्ति के रूप में मान्यता दी गई। चर्चा नवीकरणीय ऊर्जा, बायोफार्मास्यूटिकल्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बायोमैन्युफैक्चरिंग और जैव प्रौद्योगिकी आदि में भारत की उभरती विशेषज्ञता पर भी केंद्रित रही।