Thursday, November 21, 2024
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पाँच जून से भूटान में लगेगा भारतीय साहित्यकारों का जमावड़ा

पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी का लेखक मिलन शिविर आयोजन

पूर्वोदय संवाददाता: “साहित्य किसी भी समाज की आत्मा का प्रतिबिंब होता है। यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्यों को भी व्यक्त करता है। भारत और भूटान के साहित्यिक संबंध दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे की संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली को समझने का अवसर प्रदान करते हैं। इस तरह की साहित्यिक यात्राएँ इन संबंधों को और भी मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।“ इसी विश्वास के साथ पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी की ओर से भूटान में लेखक मिलन शिविर का आयोजन किया जा रहा है| शिविर में देशभर के 130 से ज्यादा बुद्धिजीवी, साहित्यकार भाग लेंगे|

यह जानकारी देते हुए पूर्वोत्तर अकादमी और डॉ अकेलाभाई प्रोग्रेसिव फाउंडेशन के डॉ अकेला भाई ने बताया कि पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी की स्थापना शिलांग में 1990 के दौरान हुई थी. अकादमी यहाँ के हिंदीतर भाषी लोगों के मन में हिन्दी के प्रति लगाव की भावना जगा कर उन्हें हिन्दी से जोड़ने के लिए प्रयासरत है. ये संस्था पूर्वोत्तर की स्थानीय भाषाओं जैसे खासी, बोरो, असमी, मणिपुरी और बांग्ला के विकास और समन्वय के लिए भी काफी काम कर रही है.

भारतीयता के वृहत उद्देश्य से काम कर रही इस संस्था के उद्देश्यों में कला और संस्कृति का प्रचार भी शामिल है. अपने कार्यक्रमों के माध्यम से अकादमी उत्तर-पूर्व के राज्यों के साथ देश के अन्य राज्यों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान के द्वारा राष्ट्रीय एकता को भी विकसित कर रही है.

“अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर पर्वतीय राष्ट्र भूटान की राजधानी थिम्फू में पहली बार इस वर्ष जून माह में हिन्दी का एक कुम्भ लगेगा. हिन्दी के इस कुम्भ का आयोजन डॉ. अकेलाभाइ प्रोग्रेसिव फाउंडेशन द्वारा संचालित पूर्वोत्तर भारत में हिन्दी के लिए समर्पित संस्था पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी द्वारा किया जाएगा. इस शिविर के लिए अकादमी ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है. इसमें हिन्दी के लेखकों और हिन्दी सेवियों का सम्मान भी किया जाएगा. “

पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी द्वारा कहानी लेखन महाविद्यालय के संस्थापक डॉ. महाराज कृष्ण जैन की 23वीं पुण्य तिथि के अवसर पर आगामी 5 जून से 10 जून तक फुंटशोलिंग, पारो और थिम्फू में लेखक मिलन शिविर का आयोजन किया जाएगा. इस छः दिवसीय शिविर में देश- विदेश के हिन्दी लेखक, साहित्यकार, रचनाकार, हिन्दी सेवी  और हिन्दी प्रेमी भाग लेंगे. उल्लेखनीय है अकादमी द्वारा विगत वर्षों में आयोजित  लेखक मिलन शिविर काफी सफल रहा है. इसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री सुश्री अगाथा संगमा तथा अन्य कई गणमान्य राजनेता, उच्चाधिकारियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. 

इस शिविर में भाग लेने वाले लोग भूटान के प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक परंपराओं से रूबरू हो सके इस हेतु अकादमी ने पांचों दिन स्थानीय पर्यटन के लिए सुरक्षित रखा है. इस शिविर के रान दिन में पर्यटन तथा शाम के समय साहित्यिक आयोजन रखा गया है। इस  तरह ये शिविर हिन्दी के विकास के साथ-साथ हिन्दी भाषी समाज को भूटान से जोड़ने के लिए सेतु की भूमिका भी निभाएगा.

इस शिविर में भाग लेने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए पूर्व पंजीयन आवश्यक है. इस शिविर को बहुत से लोग राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन के नाम से भी जानते हैं। लेखक मिलन शिविर वर्ष 1992 से कहानी लेखन महाविद्यालय के संस्थापक निदेशक डॉ. महाराज कृष्ण जैन ने शुरू किया था। उनके निधन के पश्चात् सन् 2002 से पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी शिलांग द्वारा प्रतिवर्ष इस शिविर का आयोजन नियमित रूप से होता रहा है।

वर्ष 2020 एवं 2021 के दौरान कोरोना महामारी के कारण यह आयोजन स्थगित रहा है। वर्ष 2022 में बड़े धूम-धाम से शिलांग में यह आयोजन किया गया। वर्ष 2023 में अगरतला और जनकपुर, नेपाल में इस शिविर का सफल आयोजन किया गया।  इस शिविर के संयोजन डॉ. अकेलाभाइ ने बताया कि इस बार कुल 136 रचनाकार देश के 16 राज्यों तथा पड़ोसी देश नेपाल से 3 रचनाकार इस हिंदी शिविर में उपस्थित हो रहे हैं। इस शिविर के दौरान 131 रचनाकारों को अंतरराष्ट्रीय हिंदी-सेवा सम्मान-2024 प्रदान करने का प्रस्ताव रखा गया है। शिविर के दौरान गोपनीय सम्मान समिति के प्रतिवेदन के आधार पर ही रचनाकारों को सम्मानित किया जाएगा। सम्मान के दौरान किसी रचनाकार का व्यवहार, स्वभाव, कविता पाठ, लघुकथा संगोष्ठी, सेमिनार आदि में सक्रिय भागीदारी नहीं पाई गई तो उन्हें सम्मानित नहीं भी किया जा सकता है।  संस्था के अध्यक्ष श्री बिमल बजाज ने बताया कि इस आयोजन के लिए रचनाकार भी अपनी तरफ से आर्थिक सहयोग देकर इसे मजबूती प्रदान करते हैं। इस बार छः दिनों तक चलने वाला यह शिविर अपने आप में एक लोकप्रिय कार्यक्रम बन चुका है।

इस बार का यह शिविर एक ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय शिविर बनने वाला है। इस बार पुरुष और महिला रचनाकार प्रतिनिधियों का संख्या बराबर है। इस शिविर में 82 नये सदस्य जुड़ने वाले हैं, जबकि 54 पूर्व सदस्य अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर चुके हैं। इस शिविर को भारत-भूटान साहित्यिक यात्रा का नाम भी दिया जा रहा है।

भारत और भूटान के बीच सांस्कृतिक और साहित्यिक संबंधों का एक दीर्घकालिक इतिहास रहा है। दोनों देशों की साहित्यिक परंपराएं और सांस्कृतिक धरोहरें एक-दूसरे से प्रभावित होती रही हैं। पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी द्वारा आयोजित भारत-भूटान साहित्यिक यात्रा इसी परंपरा का एक सुंदर उदाहरण है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के साहित्यकारों, विद्वानों और पाठकों के बीच संवाद और सहयोग को प्रोत्साहित करना है।

साहित्य किसी भी समाज की आत्मा का प्रतिबिंब होता है। यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्यों को भी व्यक्त करता है। भारत और भूटान के साहित्यिक संबंध दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे की संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली को समझने का अवसर प्रदान करते हैं। इस तरह की साहित्यिक यात्राएँ इन संबंधों को और भी मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी ने सदैव ही हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस अकादमी द्वारा आयोजित साहित्यिक यात्राओं का उद्देश्य न केवल साहित्य का आदान-प्रदान करना है, बल्कि विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बीच संवाद को भी बढ़ावा देना है। भारत-भूटान साहित्यिक यात्रा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें दोनों देशों के साहित्यकार अपने अनुभवों, विचारों और कृतियों का आदान-प्रदान करेंगे।

इस साहित्यिक यात्रा के तहत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें साहित्यिक गोष्ठियाँ: भारत और भूटान के प्रमुख साहित्यकारों के बीच संवाद और विचार-विमर्श। नवीनतम साहित्यिक कृतियों का विमोचन और परिचर्चा। दोनों देशों की सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत करने वाले नृत्य, संगीत और नाटक।

इस साहित्यिक यात्रा से यह उम्मीद की जाती है कि दोनों देशों के साहित्यकारों के बीच एक सशक्त नेटवर्क स्थापित होगा। यह साहित्यिक संवाद आगे चलकर नए साहित्यिक प्रयोगों, अनुवाद कार्यों और सहयोग के अन्य माध्यमों को प्रोत्साहित करेगा। साथ ही, यह यात्रा भारत और भूटान के साहित्यिक परिदृश्य को और समृद्ध बनाएगी।

भारत-भूटान साहित्यिक यात्रा केवल एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि यह दो सभ्यताओं के बीच के अद्वितीय संबंधों को भी दर्शाता है। पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी की इस पहल से दोनों देशों के साहित्यिक और सांस्कृतिक संबंधों में एक नई ऊर्जा का संचार होगा। इस यात्रा के माध्यम से हम न केवल साहित्य को, बल्कि मानवता को भी एक नई दिशा में अग्रसर करने में सक्षम होंगे।

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