अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ द्वारा धम्मचक्र प्रवर्तन, नवयुगारम्भ के तत्वावधान और मानवीय मूल्यों की रक्षा तथा वैश्विक एकता एवं शांति हेतु धर्म सापेक्ष, पंथ निरपेक्ष, ‘राजा भवति धम्मिको’ के अभियान में संस्थान द्वारा प्रकशित श्री खुशीराम द्विवेदी ‘दिव्य’ द्वारा रचित ‘श्रीगौतमबुद्धचरित’ महाकाव्य तथा डॉक्टर करुणा पांडे द्वारा रचित ‘राष्ट्रनायक गौतम बुद्ध’ पुस्तक का विमोचन एवं धम्म सभा का आयोजन आज दिनांक 19 मई, 2023 को संस्थान के प्रेक्षागृह में संस्थान के माननीय अध्यक्ष, भदंत शांति मित्र जी के अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम का आरम्भ भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि तथा बुद्ध वंदना के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में संस्थान के माननीय अध्यक्ष, भदंत शांति मित्र जी, श्री बृजेश पाठक जी, माननीय उपमुख्यमंत्री, उ०प्र० सरकार, डॉ० महेंद्र सिंह जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश सरकार, प्रो० (डॉ०) अभय कुमार जैन जी, उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश जैन विद्या शोध संस्थान, श्री हरगोविंद कुशवाहा, उपाध्यक्ष, बौद्ध संस्थान, संस्थान के मा० सदस्यगण भिक्षु आर्यवंश, भिक्षु शील रतन, भिक्षु देवानंद वर्धन, भिक्षु वरसम्बोधि, श्री धर्मराज बौद्ध, भिक्षु धम्मानंद विवेचन, श्री तरुणेश जी तथा अन्य वक्ताओं में डॉ० शिशिर कुमार पाण्डेय, कुलपति, जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय त्रिपुरा, अगरतला से आए हुए प्रोफेसर डॉ अवधेश कुमार चौबे विभागाध्यक्ष पाली एवं दर्शन विभाग, मणिराम छावनी अयोध्या रामजन्मभूमि के उत्तराधिकारी संत कमलनयनदास, प्रो० सूर्य प्रसाद दीक्षित, अध्यक्ष, हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग, श्री गंगा प्रसाद शर्मा, श्री खुशीराम द्विवेदी, डॉ० करुणा पांडे, प्रो० पवन अग्रवाल, लखनऊ विश्वविद्यालय, महर्षि योगी संस्थान से श्री अरुणेश जी, सरदार मंजीत सिंह जी, संस्थान के निदेशक डॉ राकेश सिंह, डॉक्टर धीरेंद्र सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।
पद्म श्री विद्या बिन्दु और वरिष्ठ साहित्यकार आर्यावर्ती सरोज “आर्या” के साथ- ही- साथ अन्य बहुत से साहित्यकारों की भागीदारी रही।
अध्यक्ष भदंत शांति मित्र जी ने बताया ‘श्रीगौतमबुद्धचरित’ व ‘राष्ट्रनायक गौतम बुद्ध’ नामक जिन दो ग्रंथों का आज विमोचन हुआ दोनों ही ग्रंथ विभिन्न संप्रदायों के मध्य उत्पन्न विरोधाभास को समाप्त करने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है, आपने धर्म सापेक्ष पंथ निरपेक्ष राष्ट्र के निर्माण में, मानवीय मूल्यों की रक्षा तथा विश्व बंधुत्व की भावना, करुणा, दया, शांति की स्थापना में सभी पंथों के धर्मगुरुओं को मिलकर कार्य करने की अपील की। माननीय उपमुख्यमंत्री, बृजेश पाठक जी ने बताया भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को अपनाकर संपूर्ण विश्व में शांति स्थापित हो सकती है। आपने कहा गौतम बुद्ध ने समाज को सत्य अहिंसा मानव कल्याण तथा सहिष्णुता का संदेश दिया। डॉ० महेंद्र सिंह जी ने अपने वक्तव्य में भगवान बुद्ध के कार्य-कारण सिद्धांत पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा बताया कि मनुष्य भाग्य लेकर आता है और कर्म लेकर जाता है अतः सभी को अच्छे कर्म करने चाहिए। श्री हरगोविंद कुशवाहा जी ने कहा कि भगवान बुद्ध के आदर्शों के अनुरूप वर्तमान सरकार भी सर्वधर्म सद् भाव की भावना से कार्य कर रही है, प्रो० (डॉ०) अभय कुमार जैन जी ने भगवान बुद्ध तथा भगवान महावीर को समकालीन बताते हुए कहा कि दोनों ही ने अहिंसा, करुणा, दया का मार्ग अपनाकर समाज में सौहार्द एवं सहिष्णुता व प्रेम का संदेश दिया। प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि सभी को विखंडन की राजनीति से बचने के लिए पंथ निरपेक्ष होना चाहिए, ‘श्रीगौतमबुद्धचरित’ के रचनाकार खुशीराम द्विवेदी जी ने कहा कि हमने अपनी पुस्तक में विभिन्न संप्रदायों को एक धारा में जोड़ने पर बल दिया है। डॉ० करुणा पांडे ने बताया कि इस पुस्तक में वर्णित भगवान बुद्ध की शिक्षाएं सभी वर्ग के लोगों के लिए, विशेष रूप से नई पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण है। भिक्षु आर्य वंश जी ने सभी पंथों के प्रति सम्मान व्यक्त करने की बात कही, भिक्षु शील रतन जी ने कहा कि सभी को भगवान बुद्ध के विचारों को अपनाकर मानव कल्याण करना चाहिए, भिक्षु देवानंद वर्धन जी ने सामाजिक एकता व समरसता का संदेश अपनाने पर बल दिया, श्री तरुणेश जी ने कहा कि हम सभी को समन्वयवादी बनकर राष्ट्रहित में कार्य करना चाहिए, श्री धर्मराज बौद्ध जी ने कहा कि सभी पंथों का उद्देश्य मानव कल्याण तथा सामाजिक एकता स्थापित करना है, श्रीमती भारती गांधी जी ने कहा कि सभी पंथों के धर्मगुरुओं को एकता की भावना से कार्य करना चाहिए, निदेशक संस्थान, डॉ० राकेश सिंह ने संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम सभी को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की धारणा को अपने जीवन में अपनाकर विपश्यना, करुणा, दया के द्वारा संपूर्ण समाज में एकता एवं समरसता बढ़ानी चाहिए। श्री अरुणेश जी ने कहा की भगवान बुद्ध ने सामाजिक समानता, समरसता, एकता तथा अखंडता के लिए जीवन भर संघर्ष किया, डॉ० धीरेंद्र सिंह जी ने बताया कि भगवान बुद्ध के विचार पूर्णतया वैज्ञानिक व तार्किक है तथा आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, अंत में निदेशक संस्थान, डॉ० राकेश सिंह जी ने कार्यक्रम में आए हुए गणमान्य अतिथियों, बौद्ध भिक्षुओं, वक्ताओं, मीडिया कर्मियों एवं विद्वानों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।