Monday, September 16, 2024
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रायबरेली : कांग्रेसी गढ़ बचाने को पुराने दिग्गज मैदान में

लहर किसी की भी हो लेकिन रायबरेली के मतदाता कांग्रेस का ये किला बचा ही लेते हैं। कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण जनता का भावनात्मक जुड़ाव गांधी परिवार से बना रहता है। हो भी क्यों न देश की सर्वकालीन लोकप्रिय नेताओं के शुमार पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक इसी सीट से चुनकर संसद जाते रहे हैं। हालांकि पिछले दो विधान सभा चुनाव में यहाँ के राजनीतिक समीकरण बदल चुके हैं। 2012 में यहाँ समाजवादी की साइकिल फुल स्पीड से दौड़कर लखनऊ पहुँच गई थी। मोदी लहर में 2017 के चुनाव में यहाँ की विधानसभाओं में खिले कमल ने भाजपा को सत्ता तक पहुंचा दिया था। 2022 के चुनाव में कांग्रेस ने अलग- अलग दलों से आए पुरानों दिग्गजों को पंजा लहराने का जिम्मा सौंपा है।

ऐसा नहीं कि कांग्रेस के इस किले में कभी सेंध न लगी हो लेकिन गांधी परिवार से रिश्ते के कारण लोगों ने फिर से कांग्रेस के किले को खड़ा किया। 1977 के आम चुनाव में आपातकाल को लेकर समूचे देश में गुस्सा था। इसका नतीजा ये हुआ था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को राजनारायण ने उनके ही गढ़ में मात दे दी थी। इसी प्रकार 2012 के विधानसभा चुनाव में जिले की सात विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को छह पर हार का सामना करना पड़ा था। वहीं 2017 में भाजपा ने छह सीटें झटक ली थीं। फिरभी रायबरेली का नाम सामने आते ही गांधी परिवार, सोनिया गांधी उनकी बेटी प्रियंका वाड्रा और बेटे राहुल गांधी का नाम ही जुबान पर आता है। ये बात अलग है कि विधानसभा चुनाव में स्था्नीय मुददे और जातिगत समीकरण इस कदर हावी हो जाते हैं कि गांधी परिवार का जादू भी फीका पड़ जाता है।

यही कारण है कि 2017 के विधानसभा चुनाव जिले में कांग्रेस को महज दो विधानसभा सीट रायबरेली (सदर) और हरचंदपुर- पर जीत मिली थी। इन सीटों पर अखिलेश सिंह की बेटी अदिति सिंह और राकेश सिंह को जीत मिली थी।  बाद में दोनों का भी कांग्रेस से मोहभंग हो गया। दोनों भाजपा में शामिल हो गये और इस बार दोनों भाजपा के पाले से कांग्रेस के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं।

रायबरेली जिले में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। बछरावां (आरक्षित), सरैनी, ऊंचाहार, सलोन (आरक्षित), सदर और हरचंदपुर। पिछले चुनाव में कांग्रेस और सपा का गठबंधन था। तब बछरावां, सरैनी और सलोन में भाजपा के राम नरेश रावत, धीरेंद्र बहादुर सिंह और दल बहादुर ने जीत हासिल की थी।  वहीं ऊंचाहार सीट से सपा के मनोज पांडेय निर्वाचित हुए थे।

अगर यहाँ की ऊंचाहार पर नजर डालें तो 2012 में सपा के मनोज पाण्डेय न सिर्फ कांग्रेस का किला ध्वस्त किया बल्कि 2017 की मोदी लहर में दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे को हराकर अपनी ताकत दिखा दी। सपा ने एकबार फिर इस ब्राहमण चेहरे पर यहाँ दांव लगाया है।

रायबरेली सदर सीट पर लंबे समय से बाहुबली विधायक अखिलेश सिंह का कब्जा रहा था। सरकार किसी की हो लहर कोई भी हो सीट उनके की खाते में आती। 2017 में अदिति सिंह अपने पिता की विरासत संभालने को मैदान में उतरी और कांग्रेस से जीत हासिल की। लेकिन बाद में अदिति का कांग्रेस से मोह भंग हो गया और वो भाजपा के पाले में आ गईं। कुछ समय पहले ही भाजपा में शामिल हुईं अदिति सिंह के खिलाफ भले ही उनकी पुरानी पार्टी कांग्रेस ने काबिल चिकित्सक को मैदान में उतारा है। डॉ. मनीष सिंह चौहान भी युवा हैं। सपा ने रायबरेली सदर से अदिति के खिलाफ आरपी यादव को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में आरपी सिंह ने अदिति सिंह को अच्छी चुनौती दी थी। ऐसे में आरपी यादव के साथ अदिति का मुकाबला नजदीकी होने की उम्मीद है।  

बछरावा सीट की बात करें तो यहाँ लगातार आठ बार कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया था लेकिन 1993 की राम लहर में पहली बार भाजपा ने कांग्रेस का विजय रथ रोक दिया था। 1996 में पहली बार बसपा का यहाँ खाता खुला था। 2002 में सपा को जीत मिली लेकिन 2007 में एकबार फिर यहाँ कांग्रेस की वापसी हुई। 2012 में सपा को फिर मौका मिला और रामलाल अकेला दोबारा विधायक बने। 2017 में सपा को हटाकर जनता ने भाजपा को मौका दिया और रामनरेश रावत को विधायक बनाया। सपा ने इस बार यहाँ पूर्व विधायक श्याम सुंदर भारती को टिकट दिया है। कांग्रेस ने क्षेत्र के दिग्गज नेता सुशील पासी को उम्मीदवार बनाकर मुक़ाबला रोचक कर दिया है।

हरचंदपुर विधानसभा सीट 2012 में अस्तित्व में आई थी। तब समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार सुरेंद्र विक्रम सिंह जीते थे। पर 2017 में कांग्रेस कब्जा करने में कामयाब रही थी। इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर हुई थी। तब कांग्रेस के राकेश सिंह ने भाजपा के कंचन लोढ़ी को 3652 वोट से हरा दिया था। राकेश सिंह अब भाजपा से यहाँ चुनाव लड़ रहे हैं जबकि सपा के पुराने दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री सुरेंद्र विक्रम सिंह अब कांग्रेस के टिकट पर सिंह को चुनौती दे रहे हैं। सपा ने राहुल लोधी और बसपा ने शेर बहादुर सिंह लोधी को टिकट दिया है।

सलोन की सीट सुरक्षित सीट है। सलोन विधान सभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटरों के अलावा ब्राह्मण और राजपूत वोटरों की बड़ी संख्या है। इस सीट पर दिवंगत विधायक दल बहादुर कोरी के बेटे अशोक कोरी को भाजपा ने मैदान में उतारा है। पिता की विरासत संभालने को वे मैदान में उतरे हैं। पिता के विधायक रहते हुए भी सामाजिक रूप से काफी सक्रिय रहते थे। इस सीट पर तमाम उठापटक के बाद आखिरकार पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है।

सरैनी विधानसभा को कांग्रेस पार्टी के मजबूत गढ़ के रूप में जाना जाता था। एक जमाने में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों को ही विधायक बनाने वाली सीट पर 1991 में बीजेपी ने जीत हासिल की थी। सरेनी सीट पर कांग्रेस ने इस बार ब्राह्मण चेहरे के रूप में सुधा द्विवेदी को मैदान में उतारा है। सुधा श्री फाउण्डेशन के चेयरमैन मनोज द्विवेदी की पत्नी है। सरेनी सीट पर भाजपा विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह को दोबारा जीत हासिल करने की जिम्मेदारी दी गई है। सपा का पहले ही क्षत्रिय उम्मीदवार मैदान में हैं। बसपा ने यादव उम्मीदवार को मैदान में उतार रखा है। ऐसे में यहाँ भी मुक़ाबला रोचक हो गया है। 

जिले की छह विधानसभा सीटों में से पांच पर चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान होगा जबकि सलोन  विधानसभा क्षेत्र में 27 फरवरी को पांचवें चरण में मतदान होना है। आइये नजर डालते हैं इन सीटों पर भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा के सियासी समीकरण पर।  

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बछरांवा सुरक्षित

बछरांवा सीट पर पिछले चार विधानसभा चुनावों में इस सीट पर दो बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली है। जबकि एक- एक बार भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली है। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से राम नरेश रावत ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस साहब शरण को 22309 वोटों से हराया था। तब यहाँ कुल 32.97 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के राम लाल अकेला ने आरएसपीबी ने सुशील कुमार पासी को पराजित किया था। कांग्रेस के राजा राम त्यागी तीसरे स्थान पर रहे थे। 2007 के चुनावों में कांग्रेस के राजा राम ने समाजवादी पार्टी के रामलाल अकेला को मात दी थी। बीएसपी के अजय पासी तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि आरएसपीबी के सुशील कुमार पासी चौथे स्थान पर रहे थे। 2002 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के राम लाल अकेला ने बीएसपी के श्याम सुंदर भारती को हराया था। निर्दलीय प्रत्याशी सुशील कुमार पासी तीसरे स्थान पर रहे थे।

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बछरांवा

विधानसभा संख्या- 177 

कुल मतदाता       —- सवा तीन लाख (लगभग)   

वर्तमान विधायक   —- राम नरेश रावत (भाजपा)

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हरचंद्रपुर

हरचंद्रपुर सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक दो बार ही विधानसभा चुनाव हुआ है। 2017 विधान सभा चुनाव में हरचंदपुर में कुल 35.10 प्रतिशत वोट पड़े थे । इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से राकेश सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के कंचन लोधी को 3652 वोटों से हराया था। 2012 की 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के लिए सुरेंद्र विक्रम सिंह ने कांग्रेस के शिव गणेश लोधी को शिकस्त दी थी। तीसरे स्थान पर पीइसीपी के मनीष कुमार सिंह रहे थे। जबकि बीएसपी के जय नरायण चौथे स्थान पर रहे थे।

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विधानसभा संख्या — 179  

कुल मतदाता       —- 2.75 लाख (अनुमानित)

वर्तमान विधायक- राकेश सिंह (कांग्रेस- अब भाजपा से उम्मीदवार)

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रायबरेली

रायबरेली सीट पर हुए पिछले चार विधानसभा चुनावों में दो बार कांग्रेस को जीत मिली है। जबकि एक-एक बार पीइसीपी एवं निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली है। गांधी परिवार का गढ़ होने के बावजूद रायबरेली सीट पर बाहुबली अखिलेश सिंह का प्रभाव है। वह लगातार यहां से विजयी रहे हैं। पिछले विधान सभा चुनाव से पहले पिता की विरासत को बेटी अदिति सिंह ने सँभाल लिया था। 2017 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अदिति सिंह ने बहुजन समाज पार्टी के मोहम्मद शाहबाज खान को 89163 वोटों से हराया था। तब यहाँ कुल कुल 61.89 प्रतिशत वोट पड़े थे। अदिति ने अब भाजपा का दमन थाम लिया है जिससे कांग्रेस का समीकरण बिगड़ गया है। 2012 के विधानसभा के चुनावों में पीइसीपी ने अखिलेश कुमार सिंह ने समाजवादी पार्टी के राम प्रताप यादव को हराया था। कांग्रेस के अवधेश बहादुर सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीएसपी के पुष्पेंद्र सिंह चौथे स्थान पर रहे थे। 2007 के चुनाव में अखिलेश सिंह ने निर्दलीय यह सीट जीती थी। 2002 के चुनावों में अखिलेश कांग्रेस के बैनर तले चुनाव जीते थे।

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रायबरेली

विधानसभा संख्या-  180

कुल मतदाता       —- 316564  

वर्तमान विधायक     —- अदिति सिंह (कांग्रेस छोडकर अब भाजपा में हैं)

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सलोन सुरक्षित

पिछले तीन विधानसभा चुनावों में दो बार यहां समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की। एक- एक  बार भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली है । 2017 के विधान सभा चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी से दल बहादुर ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सुरेश चौधरी को 16055 वोटों से हराया था। इस चुनाव में यहाँ कुल 40.44 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी की आशा किशोर ने कांग्रेस के शिव बालक पासी को हराया था। बीएसपी के विजय अंबेडकर तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीजेपी के दल बहादुर चौथे स्थान पर रहे थे। 2007 के चुनावों में कांग्रेस के शिव बालक पासी ने समाजवादी पार्टी की आशा किशोर को हराया था। बीएसपी क दल बहादुर तीसरे स्थान पर रहे थे। एडी के सिद्धार्थ चौथे स्थान पर रहे थे। 2002 में भी यहां पर आशा किशोर को ही जीत मिली थी।

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सलोन सुरक्षित

विधानसभा संख्या- 181   

कुल मतदाता       —- 340713 

वर्तमान विधायक  —- स्वर्गीय दल बहादुर कोरी (भाजपा)

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सरेनी

पिछले चार विधानसभा चुनावों में दो बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। एक-एक बार यहाँ भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली है। 2017 में सरैनी में भारतीय जनता पार्टी के धीरेंद्र बहादुर सिंह ने बहुजन समाज पार्टी के ठाकुर प्रसाद यादव को 13007 वोटों से हराया था। उस चुनाव में कुल 32.16 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2012 के चुनावों में समाजवादी पार्टी के देवेंद्र प्रताप सिंह ने बीएसपी के सुशील कुमार को मात दी थी। कांग्रेस के अशोक कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि पीइसीपी के सुरेंद्र बहादुर सिंह चौथे स्थान पर रहे थे। 2007 के चुनावों में कांग्रेस के अशोक कुमार सिंह ने बीएसपी के उमा शंकर को मात दी थी। समाजवादी पार्टी के देवेंद्र प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीजेपी के बजरंग बहादुर सिंह चौथे स्थान पर रहे थे। 2002 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के देवेंद्र प्रताप ने कांग्रेस के अशोक कुमार सिंह को हराया था। बीजेपी के गिरीश नरायण तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीएसपी के राज बहादुर कन्नौजिया चौथे स्थान पर रहे थे।

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सरेनी

विधानसभा संख्या-   182

कुल मतदाता       —- 318439

वर्तमान विधायक   —- धीरेंद्र बहादुर सिंह (भाजपा)

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ऊंचाहार

इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक दो बार विधानसभा चुनाव हुआ है। 2017 में समाजवादी पार्टी से मनोज कुमार पांडे ने भारतीय जनता पार्टी के उत्कृष्ट मौर्या को 1934 वोटों से हराया था। मौर्य के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य हैं जो भाजपा से सपा में आ गए हैं। बेटे को सपा ने भी टिकट नहीं दिया है। इस बार सपा ने यहाँ मनोज पांडे पर विश्वास जताया है। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में भी समाजवादी पार्टी के मनोज कुमार पांडेय ने बीएसपी के उत्कृष्ट मौर्य को पराजित किया था। कांग्रेस के अजय पाल सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि निर्दलीय उम्मीदवार जितेंद्र बहादुर सिंह चौथे स्थान पर रहे थे।

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ऊंचाहार

विधानसभा संख्या-   183

कुल मतदाता       —- सवा तीन लाख मतदाता  

वर्तमान विधायक   —- मनोज कुमार पांडे (सपा)

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