नेताजी कहें, धरतीपुत्र कहें, राजनीति के अखाड़े के दिग्गज खिलाडी कहें… अनेक नामों से अपने प्रशंसकों के बीच लोकप्रिय समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का लंबी बीमारी के बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। नेताजी के पुत्र और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरे पिता जी और आपके सबके प्रिय नेताजी नहीं रहे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने नेताजी ने निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक का एलान किया है! सीएम ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.
तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में रक्षामंत्री रहे मुलायम सिंह को देश के दिग्गज राजनेताओं में से एक कहा जाता था। मुलायम सिंह को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने पर मेदांता अस्पताल के आईसीयू में शिफ्ट किया गया था।लेकिन हालत बिगड़ने के बाद उनका जीवन नहीं बचाया जा सका और मुलायम ने सुबह 8.16 पर आखिरी सांस ली।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद मेदांता अस्पताल पहुंचे थे। अखिलेश यादव और मुलायम सिंह के बहू अपर्णा यादव को लखनऊ में मुलायम की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिली थी, जिसके बाद वह 2 अक्टूबर को ही स्पेशल विमान से दिल्ली के रास्ते गुरुग्राम पहुंचे। अखिलेश से पहले शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव दिल्ली में ही मौजूद थे। अखिलेश के साथ उनकी पत्नी डिंपल और बच्चे भी गुरुग्राम में ही हैं.
22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई में जन्मे मुलायम ने करीब 6 दशक तक सक्रिय राजनीति में हिस्सा लिया। वो कई बार यूपी विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य रहे। इसके अलावा उन्होंने संसद के सदस्य के रूप में ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा में हिस्सा भी लिया। मुलायम सिंह यादव 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में कुल 8 बार विधानसभा के सदस्य बने। इसके अलावा वह 1982 से 1985 तक यूपी विधानसभा के सदस्य भी रहे।
मुलायम सिंह यादव ने तीन बार यूपी के सीएम के रूप में काम किया। वो पहली बार 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991, दूसरी बार 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और तीसरी बार 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के सीएम रहे। इन कार्यकालों के अलावा उन्होंने 1996 में एचडी देवगौड़ा की संयुक्त गठबंधन वाली सरकार में रक्षामंत्री के रूप में भी काम किया। अपने सर्वस्पर्शी रिश्तों के कारण मुलायम सिंह को नेताजी की उपाधि भी दी जाती थी। मुलायम को उन नेताओं में जाना जाता था, जो यूपी और देश की राजनीति की नब्ज समझते थे और सभी दलों के लिए सम्मानित भी थे।