Monday, September 16, 2024
Homeआर्थिकडिफेंस कोरिडोर से होगी आत्‍मनिर्भर सुरक्षा

डिफेंस कोरिडोर से होगी आत्‍मनिर्भर सुरक्षा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो वर्षों पहले देश को रक्षा क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए डिफेंस कोरिडोर यानि रक्षा गलियारे का ऐलान किया था। इस सपने की नींव इस वर्ष पांच फरवरी को लखनऊ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डिफेंस एक्‍सपो में रखी थी। जहां पर दुनियाभर की रक्षा कंपनियों ने कोरिडोर में निवेश के लिए एमओयू साइन किये थे। फरवरी से ले‍कर अब तक हालात बदल चुके हैं। कोरोना काल में समूचे विश्‍व में विकास की रफ़तार धीमी पड़ गई है। हालांकि पीएम के आत्‍मनिर्भर अभियान के बाद रक्षा मंत्रालय ने इस आपदा को अवसर में तब्‍दील करने का बीड़ा उठाया है। रक्षा मंत्री ने विदेशों से आयात होने वाले रक्षा उपकरणों को 90 फीसद तक कम करने का संकल्‍प जताया है। ऐसे में कॉरिडोर अलीगढ़ से शुरू होकर आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर होते हुए लखनऊ तक आने वाले डिफेंस कोरिडोर में अब ये रक्षा उपकरण बनेंगे। फिर तोप हो गोला बारूद, ड्रोन हो या  एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर, बुलेटप्रूफ जैकेट हो या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को बढ़ावा देने के उपकरण। देश की सुरक्षा अब स्‍वदेशी उपकरणों से की जा सकेगी। रक्षा मंत्री खुद प्रोजेक्‍ट पर नजर रख रहे हैं। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के सीईओ अवनीश अवस्थी ने गलियारे के निर्माण की सारी बाधाओं को दूर करने के लिए अलग विंग स्‍थापित कराया है जबकि अलीगढ़ और कानपुर से लेकर चित्रकूट तक मौके पर जाकर कोरिडोर की प्रगति का जायजा लिया है।

डिफेंस कॉरिडोर के लिए करार करने वाली रक्षा कंपनियां जल्द से जल्द अपनी उत्पादन ईकाई लगाना चाह रही हैं। कंपनियों के प्रतिनिधि कॉरिडोर की स्‍थानीय प्रशासन के साथ जमीनी तैयारियों में जुटे हैं। इसमें रक्षा उपकरणों के  निर्माण के अलावा उनकी टेस्टिंग के लिए अलग से फील्ड फायरिंग रेंज स्थापित होगी। देश की पांच आर्डिनेंस फैक्ट्री और एचएएल की तीन यूनिट इस गलियारे में खुद भी अपनी भूमिका निभाएंगी। जिससे  डिफेंस का मजबूत इकोसिस्टम कोरिडोर में तैयार हो सकेगा। स्‍वदेशी कंपनियों के अलावा जर्मन कंपनी रेनमेटल, अमेरिकन, यूक्रेन समेत अन्‍य देशों की कंपनियां भी यूनिट स्थापित करेगी। प्रदेश सरकार ने ‘डिफेंस इंडस्ट्रियल एयरो स्पेस एंड एम्प्लॉयमेंट पॉलिसी’ में संशोधन कंपनियों को जमीन खरीदने पर 25 प्रतिशत और स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत सब्सिडी भी दी है। जिससे क्षेत्र में रोजगार के असीम अवसर बढ़ने की संभावना है।

————————

जमीन उगलेगी सोना

सरकार ने डिफेंस कारीडोर के कुल छह नोड में कुल 5125.348 हेक्टेयर जमीन लेने की कवायद की है। रक्षा गलियारा के लिए सबसे अधिक जमीन गरौठा तहसील के दस गांवों में 3025 हेक्टेयर चिह्नित की है। सरकार का मकसद दशकों से विकास की राह देख रहे बुंदेलखंड का विकास कराना है। इसके अलावा कानपुर जिला की एक हजार हेक्टेयर (20 प्रतिशत), आगरा की 300 हेक्टेयर (06 प्रतिशत), अलीगढ़ की 45.84 हेक्टेयर (01 प्रतिशत), चित्रकूट की 500 हेक्टेयर (10 प्रतिशत) व लखनऊ की 200 हेक्टेयर (04 प्रतिशत) जमीन खरीदी जा रही है। जमीन की खरीद से जहां स्‍थानीय लोगों को आर्थिक रूप से फायदा होगा वहीं फैक्‍टरियों के निर्माण से रोजगार की समस्‍या भी समाप्‍त हो जाएगी।

————————————-

गलियारा  बदलेगा तकदीर

डिफेंस कॉरिडोर न सिर्फ प्रदेश बल्‍क‍ि देश की तकदीर भी बदल देगा। विकास और सुरक्षा दोनों में आत्‍मनिर्भरता का रास्‍ता यहीं से निकलेगा। इस गलियारे को बेहतर बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार 290 किमी लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे बना रही है। यह चित्रकूट को आगरा और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे को जोड़ेगी। राज्य सरकार ने रक्षा एवं वैमानिकी नीति लागू की है। इससे निजी क्षेत्र के वैमानिकी एवं रक्षा पार्कों के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

—————————

ये है डिफेंस कोरिडोर का रूट मैप

अलीगढ़

अलीगढ़ में 45 हेक्टेयर जमीन चिह्नित हो चुकी है। 10 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण पाइपलाइन में है। लघु कुटीर व मध्यम उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र में 35 उद्यमियों ने रक्षा मंत्रालय के साथ करार किया है। अलीगढ़ की तीन कंपनियों का भूमि आवंटन के लिए चयन भी हो गया है। कॉरिडोर के इस रूट पर रिसर्च सेंटर व हथियारों में लगने वाले कलपुर्जों की टेस्टिंग के लिए लैब भी बनेगा।

झांसी

कॉरिडोर के साठ फीसदी हिस्से की स्थापना झांसी में होगी। यहां गोला, बारूद, तोप बंदूक आदि का निर्माण होगा। रक्षा उपकरण बनाने के बाद यहां उनका परीक्षण भी किया जाएगा। इसके लिए अलग से फील्ड फायरिंग रेंज स्थापित होगी। हवाई जहाजों की मरम्मत होगी और हर प्रकार की राइफल के कारतूस बनेंगे। साथ ही फाइटर जेट्स की मरम्मत करने की नामी कंपनी टाइटन एविएशन एंड एयरोस्पेस इंडिया लिमिटेड ने भी झांसी में सेना के जहाजों की मेंटिनेंस, रिपेयरिंग व इंजन एक्विपमेंट्स की उत्पाद यूनिट स्थापित करने की घोषणा की है। जिसमें 20 हजार ट्रेंड व अनट्रेंड युवाओं को रोजगार मिलेगा। वहीं पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से भी इस क्षेत्र को काफी फायदा मिलेगा।

 चित्रकूट

चित्रकूट डिफेंस कोरिडोर का महत्‍वपूर्ण रूट है। यहां पर तोप का निर्माण होगा। यहां डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर कुल 500 एकड़ क्षेत्रफल में होगा। पहले चरण में कॉरिडोर के विकास के लिए कर्वी ब्लॉक अंतर्गत कर्वी-पहाड़ी मार्ग पर बक्टा गांव के पास 102 में 95 एकड़ जमीन की खरीद हो चुकी है, बाकी सात एकड़ की रजिस्ट्री जल्द होगी। चित्रकूटको झांसी व लखनऊ से सीधा जा रहा है।

कानपुर

डिफेंस कॉरिडोर में कानपुर प्रमुख केंद्र है। इसके लिए आईआईटी में भी 100 से अधिक स्टार्टअप कंपनियों को शुरू कराने का काम हो रहा है। इस क्षेत्र में पहले से काम कर रहीं कई बड़ी कंपनियां भी यहां आई हैं। आईआईटी के टेक्नोपार्क में करीब दस कंपनियों की लैब और कार्यालय खोलने को करार भी हो गया है। डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन) और आईआईटी के विशेषज्ञ पूरी परियोजना पर नजर रखेंगे।

लखनऊ

लखनऊ इस पूरे कॉरीडोर में नेटव‍र्किंग का कार्य करेगा। सारे प्रशासनिक कार्य यहीं से संचालित होंगे। यहां पर 200 हेक्‍टेयर जमीन पर डिफेंस कॉरीडोर की गतिविधियां संचालित होंगी।

————————–

आगरा

आगरा में 300 हेक्टेयर जमीन पूर्व से यूपीडा के पास है। । यहां भी उद्योगों को निवेश के लिए बुलाया गया है।

——————————————

आपदा को अवसर में बदलकर देश को आत्मनिर्भर बनाने के प्रधानमंत्री के सपने को मूर्त रूप देने में नवाचार और स्वदेशीकरण की बड़ी भूमिका है। भारतीय सेना में स्वदेशीकरण लगातार बढ़ा है। ऐसे में रक्षा गलियारा आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने की दिशा में मजबूत कदम है। यहां पर कंपनियां 20 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेंगी जबकि ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।  

राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री भारत सरकार

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments