Friday, November 22, 2024
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वाराणसी : काशी में फिर कमल खिलाने को मोदी मोर्चे पर

मनीष शुक्‍ल

हमने नमाजें भी पढ़ी है, गंगा तेरे पानी से वजू करके… ये बनारस है। मां गंगा का आंचल, जो सबको छांव देता है। क्‍वेटो बनने के सपने के बीच गली- गली में गंगा- जमुनी तहजीब जीता शहर। यह बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी है। जिसको प्रधानमंत्री मोदी ने बंधनों से मुक्त कर दिया है। अब माँ गंगा अपने शिव को निहारती हैं। पीएम के संसदीय क्षेत्र में भाजपा विकास की गंगा बहाने का दावा करती है तो विपक्ष यहाँ पर हर बार सरकार को घेरने की कोशिश करता है। इस बार भी आखिरी चरण में सात मार्च को मतदान से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से लेकर ममता बनर्जी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी यहाँ आकर डट गए हैं। तो विरोधियों से मोर्चा लेने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सामने आकर मोर्चा संभाल रहे हैं।

2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नरेंद्र मोदी यहां आए तो उन्‍होंने कहा था मां गंगा ने मुझे बुलाया है। इसके बाद पीएम लगातार अपने संसदीय क्षेत्र से जुड़े रहे। इस बीच काशी विश्वनाथ का कायाकल्प हुआ तो पूरे वाराणसी का चेहरा बदल गया। पिछली बार 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पीएम काशी में तीन दिन रुके और भाजपा ने जिले की आठों विधान सभा सीटों पर विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया। इस बार भी यहाँ सपा, बसपा और कांग्रेस यहाँ पर भाजपा को मजबूत चुनौती दे रहे हैं। राजनीतिक समीकरण यहाँ पर बदलते नजर आ रहे हैं। ऐसे में भाजपा की राह आसान करने के लिए चार और और पाँच मार्च को पीएम खुद यहाँ पर पार्टी प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पिछले दो दिनों से कार्यकर्ताओं के साथ प्रचार में जुटे हैं।  वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी प्रचार के आखिरी चार दिनों में यहाँ अपनी ताकत झोंक दी है। वो टीएमसी प्रमुख पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के साथ काशी में जनसभा और रोड शो कर रहे हैं। कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका वाड्रा किसी भी कीमत पर बीजेपी को वॉकओवर देने के मूड में नहीं हैं। उन्होने रोहनिया और कैंट विधानसभा प्रत्याशी के लिए रोड शो कर अपनी ताकत दिखाई है तो चार मार्च को अजय राय के लिए पिंडरा में रोड शो कर भाजपा के जीत के मंसूबों को चुनौती देंगी। उधर बसपा सुप्रीमो मायावती रैली करेंगी जिसको एतिहासिक बनाने के लिए बसपा के राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ कमान संभाले हैं। ऐसे में चारों ही प्रमुख दलों के शीर्ष नेताओं के प्रचार अभियान में जन समुद्र नजर आ रहा है। अब यह जन समुद्र वोट में कितना परिवर्तित होता है, इसका फैसला तो 10 मार्च को ही होगा।

अगर हम वाराणसी  की आठ विधानसभा सीटों पर नजर डालें तो पिछली बार 2017 में यहाँ भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था। वहीं इसके पहले के चुनाव में तीन सीटों शहर उत्तरी, शहर दक्षिणी और कैंट सीट पर भाजपा का कब्जा था। रोहनिया और सेवापुरी विधानसभा सीट पर समाजवादी का कब्जा था जबकि पिंडरा सीट पर कांग्रेस और अजगरा और शिवपुर सीट पर बसपा को जीत हासिल हुई थी। इस बार  वाराणसी दक्षिण विधानसभा सीट एक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। बीजेपी ने लगातार चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की है। इस बार भी बीजेपी ने राज्य मंत्री नीलकंठ तिवारी को टिकट दिया है जबकि  समाजवादी पार्टी  ने महामृत्युंजय मंदिर के महंत किशन दीक्षित को प्रत्याशी बनाकर बीजेपी के हिन्दुत्व कार्ड को चुनौती दे दी है। कांग्रेस और बसपा ने क्रमश: मुदिता कपूर और दिनेश कसौधन को मैदान में उतारा है। वाराणसी उत्तर और शिवपुर से भी भाजपा ने अपने दो मंत्रियों रवींद्र जायसवाल और  अनिल राजभर को मैदान में उतारा है। सपा ने जायसवाल के खिलाफ अशफाक अहमद डबलू को मैदान में उतारा है जबकि गुलाराना तबस्सुम वाराणसी उत्तर से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। शिवपुर से अनिल राजभर को सपा-एसबीएसपी गठबंधन के उम्मीदवार अरविंद राजभर से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। बसपा ने रवि मौर्य को मैदान में उतारा है।

अजगरा सुरक्षित सीट से भाजपा ने त्रिभुवन राम को उतारा है। यहाँ बसपा के रघुनाथ और एसपी-एसबीएसपी गठबंधन के सुनील कुमार मैदान में हैं। कैंट से कांग्रेस ने वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा को और बीजेपी ने विधायक सौरभ श्रीवास्तव को टिकट दिया है। सपा ने पूजा यादव को टिकट दिया है। रोहनिया में भाजपा-अपना दल (एस) गठबंधन से सुनील प्रत्याशी हैं। सपा-अपना दल (के) ने अभय पटेल को टिकट दिया है। पिंडरा विधानसभा सीट से कांग्रेस ने अजय राय को उम्मीदवार बनाया है। 2012 में अजय राय पिंडरा विधानसभा सीट से ही विधायक चुने गए थे और यहीं से अजय राय ने अपनी सियासत की शुरुआत भी की है। जबकि पिंडरा विधानसभा सीट से बीजेपी ने अपने विधायक अवधेश सिंह पर भरोसा जताया है और उन्हें प्रत्याशी बनाया है। बीएसपी ने बाबूलाल को तो अपना दल (कमेरावादी) ने राजेश कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है। सपा गठबंधन ने ये सीट अपना दल (कमेरावादी) को दी है। यहाँ की आठों विधान सभा सीटों पर कड़ा मुक़ाबला है। जनता सात मार्च को ईवीएम का बटन दबाकर इनके भाग्य का फैसला करेगी।   

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अजगरा सुरक्षित

अजगरा सीट के अस्तित्व में आने के बाद से दो बार विधानसभा चुनाव हुआ है। पिछली बार 2017 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से कैलाश नाथ सोनकर ने समाजवादी पार्टी के लालजी सोनकर को 21349 वोटों से हराया था। तब अजगरा में कुल 38.11 प्रतिशत वोट पड़े। उस समय भाजपा का सुभाषपा से गठबंधन था। 2012 में 16वीं विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के त्रिभुवन राम ने समाजवादी पार्टी के लालजी को हरा जीत हासिल की थी। वहीं भारतीय जनता पार्टी के हरिनाथ तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि अपना दल के संत कुमार को सिर्फ 08.89 फीसदी मतों के साथ चौथे स्थान पर रहना पड़ा था।

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अजगरा

विधानसभा संख्या- 385    

कुल मतदाता    —- 315116             

वर्तमान विधायक —- कैलाश नाथ सोनकर (सुभाषपा)

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शिवपुर

शिवपुर विधानसभा क्षेत्र चंदौली लोकसभा इलाके में आता है। इस विधानसभा में पहला चुनाव 2012 में हुआ था। पिछली बार 2017 के चुनाव में यहाँ कुल 48.47 प्रतिशत वोट पड़े थे। तब  भारतीय जनता पार्टी के अनिल राजभर ने समाजवादी पार्टी के आनंद मोहन गुड्डू यादव को 54259 वोटों से हराया था। 2012 के विधानसभा चुनाव में यहां बीएसपी के उदय लाल मौर्या ने जीत हासिल की थी। उन्होंने समाजवादी पार्टी के डॉ. पीयूष यादव को हराया था। बीएसपी के उदय लाल मौर्या ने 12632 वोटों से अपने निकटतम प्रतिद्धंदी को हराया था।

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शिवपुर

विधानसभा संख्या-    386 

कुल मतदाता       —-  तीन लाख       

वर्तमान विधायक  —- अनिल राजभर (भाजपा)

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रोहनिया

इस सीट पर अब तक तीन बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। 2012 के चुनाव में अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल को जीत मिली थी। 2014 में सांसद बनने के बाद हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के महेंद्र सिंह पटेल ने जीत हासिल की थी। जबकि 2017 में भाजपा के सुरेंद्र नारायण सिंह यहां जीत का परचम लहराया। इस क्षेत्र में पटेल-भूमिहार बहुल वोट हैं। प्रदेश में अपना दल और बीजेपी का गठबंधन है। ऐसे में भाजपा गठबंधन को फायदा मिल सकता है। 

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रोहनिया

विधानसभा संख्या-    387 

कुल मतदाता       —- सवा तीन लाख   

वर्तमान विधायक   — सुरेन्द्र नारायण सिंह (भाजपा)

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वाराणसी उत्‍तर

उत्तर सीट पर हुए पिछले चार विधानसभा चुनावों में दो- दो बार भारतीय जनता पार्टी और  समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली है। पिछले दो विधान सभा चुनाव से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है।1985 तक या सीट कांग्रेस की अभेद्य गढ़ रही। 1989 से  1993 तक लगातार 3 चुनावों में भाजपा को जीत हासिल की। वहीं 1996 से 2007 तक  समाजवादी पार्टी का इस सीट पर कब्जा रहा। 2012 में रविंद्र जायसवाल ने यहां फिर से कमल खिलाया। उन्होंने बीएसपी के सुजीत कुमार मौर्य को शिकस्त दी थी। 2017 में भी जायसवाल ही विजयी रहे।

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वाराणसी उत्‍तर

विधानसभा संख्या-      388

कुल मतदाता       —-  करीब 4 लाख  

वर्तमान विधायक   — रविंद्र जायसवाल (भाजपा)

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वाराणसी दक्षिण

यह क्षेत्र पिछले तीन दशकों से बीजेपी का अभेद्य दुर्ग है।  1989 से अबतक हर विधानसभा यहां सिर्फ कमल ही खिला है।  फिलहाल बीजेपी के डॉक्टर नीलकंठ तिवारी यहां से विधायक हैं जो योगी आदित्यनाथ सरकार में राज्यमंत्री भी हैं। इस बार उनका मुक़ाबला समाजवादी के महंत से है। 16वीं विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के श्यामदेव रॉय चौधरी ने कांग्रेस के दयाशंकर मिश्रा को हराया था। कौमी एकता दल के अतहर जमाल लारी तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि समाजवादी पार्टी के मोहम्मद इस्तकबाल को चौथे स्थान पर ही रहना पड़ा था। 15वीं विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के श्यामदेव रॉय चौधरी ने कांग्रेस के दयाशंकर मिश्रा को हरा जीत हासिल की थी। वहीं समाजवादी पार्टी के दिलीप कुमार को तीसरे स्थान पर रहना पड़ा था।  

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वाराणसी दक्षिण

विधानसभा संख्या-     389

कुल मतदाता       —-  तीन लाख

वर्तमान विधायक   —- नीलकंठ तिवारी (भाजपा)

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वाराणसी कैंट

कैंट सीट पर हुए पिछले चार चुनावों में हर बार भारतीय जनता पार्टी ने सफलता हासिल की है। फिलहाल भाजपा के सौरभ श्रीवास्तव विधायक हैं। अगर इस सीट पर नजर डालें तो पिछले 25 सालों से एक ही परिवार काबिज है। जिसमें भाजपा के अलावा समाजवादी पार्टी ने भी यहां तीन बार जीत का परचम लहराया है। पिछली बार 2017 के विधानसभा चुनाव में  सौरभ श्रीवास्तव 1,32,609 मतों के साथ कांग्रेस के प्रत्याशी अनिल श्रीवास्तव को हराया था। 2012 के चुनाव में भाजपा से ज्योत्सना श्रीवास्तव ने कांग्रेस के अनिल श्रीवास्तव को हरा कर जीत दर्ज की थी।  2007 के चुनाव में भाजपा की ज्योत्सना श्रीवास्तव ने 31642 मत के साथ जीत हासिल की थी। इसके पहले 2002 के चुनाव में हरिश्चंद्र श्रीवास्तव जीते थे। वहीं 1996 के चुनाव में  भी हरिश्चंद्र श्रीवास्तव 55240 मतों के साथ विधायक बने थे।

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वाराणसी कैंट

विधानसभा संख्या-  390   

कुल मतदाता       —-  साढ़े तीन लाख से अधिक          

वर्तमान विधायक  —- सौरभ श्रीवास्तव (भाजपा)

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सेवापुरी

सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक दो बार चुनाव हुए हैं। जिसमें एक बार भाजपा गठबंधन और एक बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली है। 2012 के परिसीमन के बाद गंगापुर और औराई का कुछ हिस्सा जोड़ाकर इस विधानसभा का निर्माण किया गया था। पिछली बार भाजपा गठबंधन से अपना दल (एस) ने जीत दर्ज की थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में अपना दल से नील रतन पटेल  उर्फ़  “नीलू”  ने समाजवादी पार्टी के सुरेंद्र सिंह पटेल को 49182 मतों के अंतर से हराया था। 16वीं विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के सुरेंद्र सिंह पटेल ने अपना दल के नील रतन पटेल को हरा जीत हासिल की थी। वहीं बहुजन समाज पार्टी के मनीष कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि कांग्रेस के हर्षवर्धन को चौथे स्थान पर रहना पड़ा था।

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विधानसभा संख्या-      391

कुल मतदाता       —-  286384         

वर्तमान विधायक   —- नील रतन पटेल (अपना दल- एस)

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पिंडरा

पिंडरा इस विधानसभा का तीसरा नाम है। सबसे पहले इसका नाम वाराणसी पश्चिम था। फिर कोलअसला हो गया। 2012 में परिसीमन के बाद  पिंडरा विधानसभा मछली शहर संसदीय क्षेत्र में आ गया। ये क्षेत्र पूर्व विधायक और दिग्गज कांग्रेस नेता अजय राय का गढ़ माना जात था । राय यहां से बीजेपी और सपा सहित निर्दलीय विधायक भी रहे हैं। वो 2014 और 2019  के लोकसभा चुनाव में पीएम  मोदी के खिलाफ कांग्रेस के प्रत्याशी थे। इस बार 2022 की विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस के प्रत्याशी हैं

पर अब इस विधान सभा पर भाजपा का कब्जा है। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से अवधेश सिंह ने बहुजन समाज पार्टी के बाबूलाल को 36849 वोटों  से हराया था। तब यहाँ कुल 44.34 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2022 के चुनाव में भी भाजपा के अवधेश सिंह यहाँ राय समेत अन्य दलों को चुनौती दे रहे हैं।  

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विधानसभा संख्या-      384

कुल मतदाता       —-  3,25,000           

वर्तमान विधायक   —- अवधेश सिंह (भाजपा)

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