साध्वी प्रज्ञा भारती
22 जनवरी 2024 आधुनिक भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण तिथि बन गई है| उस दिन अयोध्या धाम में राम जन्म भूमि मंदिर में रामलला विराजमान होने से विश्वभर का ध्यान भारत के गौरवशाली अतीत की ओर चला गया था| पूरा देश राम माय हो गया था| क्योंकि राम भारतीय संस्कृति के केंद्र में समाए हुए हैं| श्री राम का जियाव्न विश्वभर को यह प्रेरणा देता रहा है कि हम अपने जियाव्न को श्रेष्ठ, मर्यादापूर्ण, अनुशासित और कल्याणकारी कैसे बना सकते हैं| श्री राम का जीवन यह भी सिखाता है कि अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में किस प्रकार से धैर्य रखा जा सकता है| सत्य, मर्यादा, करुणा और समाज के हर व्यक्ति के प्रति सम्मान उन्हें सबका बना देता है| वह राजा सुग्रीव, राजकुमार विभीषण, महाबली हनुमान, ऋषि मुनियों, अहिल्या शबरी, केवट, जटायु, भालुओं, वानरों के तो हैं ही तथा अवध कि जनता के भी अपने हैं| उनका व्यवहार यह भी सिखाता है कि क्रोध को विनम्रता से कैसे जीता जा सकता है| विवेक, विनय और वीरता ने अयोध्या के राजा राम को लोकनायक राम बना दिया है| राम ने अयोध्या से श्रीलंका तक यात्रा करके समूचे भारत को एक सूत्र में बांध दिया| आस्थावान लोगों का मानना है कि उन्हें दैवीय शक्तियाँ प्राप्त थीं लेकिन उन्होने हर काम को आम आदमी की भांति पूरा किया| अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर हर व्यक्ति को उनकी अद्भुत संगठन क्षमता की याद दिलाएगा| अयोध्या से जाते समय श्री राम केवल अपनी पत्नी और छोटे भाई के साथ वन गए थे लेकिन चौदह वर्ष बाद वह, मनुष्यों, वानरों और भालुओं की विशाल सेना लेकर लौटे थे| श्री राम जन्मभूमि मंदिर पूरे विश्व को अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देगा| भव्य मंदिर हर व्यक्ति को यह प्रेरणा देगा कि हमें कैसा व्यवहार करना है और कैसा नहीं! यह वास्तुकला का अनूठा नमूना हमें मित्र कैसा होना चाहिए, इसकी सीख भी देगा| श्री राम द्वारा निषादराज, सुग्रीव और विभीषण के प्रति दिखाए गए सम्मान की याद यह मंदिर सदा दिलाएगा कि जिससे भी मैत्री की, उसे पूरे दिल से निभाई| यह मंदिर यह भी प्रेरणा देगा कि श्री राम अपने वचन के कितने पक्के थे| यह मंदिर त्याग, प्रेम, समर्पण और निष्ठाजैसी भावनाओं का महत्व सदियों तक बताता रहेगा| श्री राम का शासन धर्म और सत्य पर आधारित था, इसलिए आज भी आदर्श माना जाता है| यह मंदिर विश्व के शासकों को रामराज की याद दिलाता रहेगा|
आगे बढ़ने के पहले हम इस प्रेरणादायी प्रतीक की भव्यता के बारे में जान लें। इस मंदिर का परिसर 70 एकड़ में फैला हुआ है। इसका सत्तर प्रतिशत भाग हरीतमा के लिए रखा गया है। इस मंदिर को 2.77 एकड़ में बनाया गया है। यह 380 फुट लम्बा, 250 फुट चौड़ा और 161 फुट ऊंचा रहेगा । इसकी तीन मंजिलें होंगी। इसको 392 खंभों पर खड़ा किया जा रहा है। इसमें प्रवेश के लिए 44 द्वार होंगे। भारतीय नागर शैली की इस अद्भुत कलाकृति के लगभग 2000 फुट नीचे एक ‘टाइम कैप्सूल’ गाड़ा गया है। इस
टाइम कैप्सूल’ में एक ताम्रपत्र रखा गया है। इस ताम्रपत्र पर श्रीराम, इस मंदिर और अयोध्या नगरी की जानकारी अंकित की गई है। इस टाइम कैप्सूल को गाड़ने का उद्देश्य भावी पीढ़ियों को इस मंदिर की पहचान से परिचित कराना है।
ऐसा प्रयास किया गया है कि मंदिर का भवन लगभग 2500 वर्षों तक बना रहे। इस पर भूकम्प का दुष्प्रभाव न पड़े, यह ध्यान भी रखा गया है। इस मंदिर की मूर्तियाँ नेपाल की गंडकी नदी के किनारे की 6 करोड़ वर्षों पुरानी शालीग्राम चट्टानों से बनी है। इस मंदिर में अष्ट धातु (सोना, चांदी तांबा, जस्ता, सीसा, टिन, लोहा और पारा) का 2100 किलो का घंटा लगाया गया है। इसकी आवाज़ पंद्रह किलोमीटर तक सुनी जा
सकती है।
इस परिसर में आठ खंड हैं। पहले खंड में. मलमूत्र विसर्जन की व्यवस्था है। दूसरे खंड में जल आपूर्ति का प्रबंध है। तीसरे खंड मै अग्नि शमन केंद्र है। चौथे खंड में विद्युत उत्पादन व्यवस्था है। पांचवें खंड में 25 हजार दर्शनार्थियों के लिए लाकर और चिकित्सा का ध्यान रखा गया है।
छटे खंड में स्नान और कपड़े धोने का प्रबंध है। इसमें शौचालय वाशबेसिन और टोंटियां है। सातवें हिस्से में बिजली न गिरने के उपाय किए गए हैं। आठवें खंड को सांस्कृतिक और शैक्षिक केंद्र बनाने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। इसमें श्रीराम और रामायण की जानकारी देने वाली कलाकृतियां रखी जाएंगी।
इस भव्य मंदिर के निर्माण में विश्वकर्मा समाज के सात विशेषज्ञों का विशेष योगदान है। पहले तीन भवन निर्माण विशेषज्ञ (सर्वश्री चंद्रकांत सोमपुरा, निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा) गुजरात के उस परिवार के सदस्य है, जिसने स्वतंत्रता के बाद सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्वार कियाथा। यह परिवार मंदिर निर्माण का विशेषज्ञ माना जाता है। इस परिवार ने बहुत सारे मंदिर बनाकर कीर्ति कमाई है।
जयश्री राम !!