हिंदी साहित्य के परम सेवी एवं साहित्यिक संस्था आगमन के वटवृक्ष संस्थापक पवन जैन के निधन पर शोक की लहर दौड़ गई| माँ सरस्वती के इस पुत्र को अंतिम विदाई देते हुए दिल्ली में श्रधांजली सभा का आयोजन किया गया जिसमें देश भर के साहित्यकारों ने भावभीनी श्रधांजली दी| इस मौके पर सभी ने प्रार्थना की|
साहित्य के परम सेवी पवन जैन ने साहित्यिक. सांस्कृतिक संस्था आगमन की स्थापना करके नवोदित रचनाकारों को मंच प्रदान किया वहीँ देश भर के जाने- मने साहित्यकारों को जोड़ने का कार्य किया| पवन जी अक्सर अपना परिचय देते हुए कहते हैं| मैं यायावर हूँ| मुझे पत्रिकाओं और किताबों का जूनून है| कागज के टुकड़े को भी उठकर पढता हूँ और साहित्य को तलाशता हूँ| वो कहते थे कि उम्र को कभी भी सोच पर हावी नहीं होने देना चाहते हैं इसीलिए हर आयु और वर्ग के लोगों से उनकी दोस्ती थी| वो “जियो और जीने दो” को जीवन का मूल मन्त्र मानते थे| पवन जी के परिवार में उनकी धर्मपत्नी, बेटे निशांत, नीरज व बेटी नेहा हैं|
वहीँ उनके निधन पर बीते 10 जून 2023 शनिवार को हिन्दी भवन आई टी ओ दिल्ली में शाम 4 बजे से श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई। शोकागुल आगमन परिवार ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक जताया। सभी ने पवन सर के साथ अपने यादगार लम्हें सांझा किये। डॉ स्वीट एंजेल जी, सूक्ष्म लता महाजन जी, ओम प्रकाश प्रजापति जी, अनुराधा जी, गौरी बिटिया (अनन्या), मनीषा जी, आकांक्षा, कविता मल्होत्रा जी, सीमा अग्रवाल जी, ममता लड़ीवाल जी, अपर्णा थपलियाल जी, रश्मि अभय जी, अशोक गुप्ता जी, ज्योत्सना सिंह जी, मनोज कामदेव जी, रेखा बोरा जी, मधु गुप्ता जी, अवधेश कनौजिया जी, राजेश प्रभाकर जी, राजपाल यादव जी, भास्कर आनंद जी, मोहिंदर शर्मा जी, विनोद पाराशर जी, प्रेम सागर प्रेम जी, राजीव तनेज़ा जी सपत्नीक , भूपेन्द्र राघव जी, ऋतु अस्थाना जी, नवेंदु भारद्वाज चाँद जी के अलावा और भी बहुत साहित्यकार थे जिन्होंने अपने अपने अनुभव सांझा किये और आदरणीय पवन जैन जी के निधन को साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया। इस सभा में स्वर्गीय पवन जैन जी के सुपुत्र आदरणीय निशांत जैन जी भी शामिल हुए। समस्त आगमन परिवार शोक की लहर में डूबा हुआ था। सभी ने अश्रुपूरित भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की|