Thursday, November 21, 2024
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नेपाल भारत साहित्य महोत्सव का पांचवां संस्करण संपन्न

पोखरा| भारतीय दूतावास काठमांडू, गंडकी प्रज्ञा प्रतिष्ठान, पोखरा प्रज्ञा प्रतिष्ठान, लेखनाथ साहित्य प्रतिष्ठान के संयुक्त तत्वावधान मे (मेरठ) भारत की क्रांतिधरा साहित्य अकादमी  द्वारा पोखरा, नेपाल के पृथ्वी नारायण कैंपस के भानुसभा हाल में आयोजित तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव  के पंचम संस्करण का भव्य उद्घाटन वरिष्ठ साहित्यकार व पूर्व कुलपति श्री सरूभक्त श्रेष्ठ, भारतीय दूतावास के प्रतिनिधि श्री सत्येन्द्र दहिया, गंडकी प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति श्री सूर्य खड़का बिखर्ची, पोखरा प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति श्री पद्मराज ढ़काल, बर्दघाट प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति डा घनश्याम न्यौपाने परिश्रमी, चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय मेरठ, भारत के इतिहास विभागाध्यक्ष और इतिहासकार प्रो. विघ्नेश कुमार, वरिष्ठ साहित्यकार व समाजसेवी श्री गणेश प्रसाद लाठ मुख्य वक्ता रहे सभी ने दीप प्रज्वलित कर किया इससे पूर्व इसका शुभारंभ नेपाल व भारत के राष्ट्रीय गीत से किया गया  ।

नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के आयोजक डा विजय पंडित ने बताया| उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता नेपाल के वरिष्ठ भविष्य वक्ता डा बलराम उपाध्याय रेगमी ने किया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि नेपाल संगीत व नाट्य प्रज्ञा प्रतिष्ठान के पूर्व कुलपति वरिष्ठ साहित्यकार श्री सरूभक्त श्रेष्ठ ने इस तरह के आयोजन से नेपाल भारत का सांस्कृतिक , साहित्यिक , धार्मिक सम्बन्ध में मिठास आएगा और दोनों देशों के लेखकों व शोधार्थियों के लिए सेतु का काम करेगा। हमारे आपके बीच का दूरीयां कम होगी। एक दूसरे का साहित्यिक सांस्कृतिक इतिहास जानने का बेहतर मंच है ये । विशिष्ट अतिथि के रूप में चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय मेरठ के इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो विघ्नेश कुमार ने कहा कि नेपाल भारत  उन्होंने कहा इस तरह के कार्यक्रम निरंतर होते रहने चाहिए । दोनो देश के बीच ऐतिहासिक, धार्मिक , साहित्यिक, सांस्कृतिक सम्बन्ध को हम अनदेखा नही कर सकते और भारत में 1857 की क्रांति और नेपाल की भूमिका सहित नेपाल भारत के ऐतिहासिक जानकारी सभी से साझा की ।

बर्दघाट प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति डॉ घनश्याम न्यौपाने परिश्रमी का उद्बोधन भारत नेपाल के सांस्कृतिक, धार्मिक, साहित्यिक भाईचारा, मैत्री कायम रखने और देवनागरी लिपि पर केंद्रित रहा।

आयोजक डा विजय पंडित ने अपने उद्बोधन में कहा भारत की क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा नेपाल भारत साहित्य महोत्सव का पंचम संस्करण वसुद्धैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ पोखरा, नेपाल मे आयोजित किया जा रहा है । आयोजन का उद्देश्य नेपाल और भारत के मध्य एक साहित्यिक सेतु का निर्माण करने के साथ परस्पर सहयोग, प्रेम, मैत्री, साहित्य का विस्तार, अनुवाद, शोध, विचारों का आदान प्रदान, युवाओं की भागीदारी से दोनों देशों के संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाना है । कार्यक्रम का संचालन पौडेल बिमुंश द्वारा नेपाली, हिन्दी दोनों भाषाओं में किया गया । नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के प्रथम संयोजक, वरिष्ठ साहित्यकार मुख्य वक्ता श्री गणेश प्रसाद लाठ ने साहित्यिक महोत्सव में कृतियों के अनुवाद, प्रकाशकों व पाठकों की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उद्घाटन समारोह में ‘नेपाल भारत साहित्य महोत्सव’ की स्मारिका का विमोचन किया गया। 

लघुकथा सत्र में भारत से विभारानी श्रीवास्तव, रवि श्रीवास्तव, अमृता सिन्हा,  नीता चौधरी, ऋचा वर्मा, डा ममता पंत, मीरा प्रकाश, सीमा रानी, कृष्ण कुमार ‘आशु’, अनिता निधि नेपाल से लघुकथाकार भाषा आयोग के माननीय सदस्य डा पुष्कर राज भट्ट, कल्याण पंत, श्याम श्रेष्ठ और किशन पौडेल शामिल रहे| लघुकथा सत्र में किशन पौडेल की हिन्दी में प्रकाशित लघुकथा पुस्तक अंतर्दृष्टि का भव्य विमोचन किया गया और चर्चा की गई। कहानी सत्र में महाराष्ट्र से विपिन पंवार और डॉ हरेंद्र हर्ष शामिल रहे।

प्रथम दिन का समापन ग़ज़ल और बहुभाषी कविता के नाम रहा, मंचासीन अतिथि डा घनश्याम परिश्रमी, आर्त अकुलिन, चन्द्र पाठक,  स्वर्ण शिखा, लक्ष्मीप्रसाद मिश्र, किशोर कोइराला, यज्ञलाल सुवेदी रहे और सत्र संचालन डा देवी पंथी ने किया, कादंबिनी सहित अनेक पुस्तकों का विमोचन किया गया। हिन्दी, नेपाली, भोजपुरी, मैथिली, अंग्रेजी भाषाओं में कविता, गीत, गज़ल, चारु को समर्पित इस में  नेपाली व भारतीय कलमकारों ने शिरकत की । नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन के उद्घाटन सत्र में नेपाल के साहित्यकार श्री माधव वियोगी रहे और दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। द्वितीय दिवस का प्रथम सत्र शोध-पत्र (कार्यपत्र) का रहा जिसमें पर्यटन साहित्य: एक विमर्श लेखक श्री ऋषभ देव घिमिरे ने प्रस्तुत किया।

दूसरा कार्यपत्र साहित्यिक व कला क्षेत्र में प्रतिलिपि का अधिकार श्री विशु कुमार के. सी ने प्रस्तुत किया। तृतीय कार्यपत्र भारतीय साहित्य का नेपाल संबंध विषय पर पटना, भारत के श्री कमल किशोर वर्मा कमल ने प्रस्तुत किया। जम्मू, भारत से डा घरो चौधरी ने ‘महान स्वप्नदर्शी का यात्रा दर्शन’ विषय पर रहा। उत्तराखंड, भारत से डा ममता पंत ने ‘कुमाऊंनी लोकगीतों में स्त्री वेदना’ विषय पर शोध-पत्र प्रस्तुत किया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी की हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो उर्वशी गहलौत ‘नेपाली व भारतीय साहित्य में नारी हस्ताक्षर’ विषय पर शोध-पत्र प्रस्तुत किया और परिचर्चा में शामिल रहीं।

दूसरे सत्र में हिन्दी, नेपाली, अंग्रेजी भाषाओं की अनेक पुस्तकों का विमोचन हुआ साथ ही कवि सम्मेलन, मुशायरा व सम्मान समारोह आयोजित किया गया । भारत से डा शिवानी त्यागी, नीता गुरूंग, सीमा वर्णिका , नूतन सिन्हा Nutan Sinha  ,  रंजना सिंह, राजकांता राज, मधुरेश जी, प्रवीन श्रीवास्तव, अपराजिता रंजना, अमिता सिंह, कंन्हैया लाल भ्रमर, अरूण जी ठाकर, सुभाष चंद्र शर्मा, डा शिव दत्त शर्मा, गार्गी राय, अभिराम पाठक, अर्जुन सिंह चांद, सत्य प्रकाश सत्य, सुरेश सोनपुरे, डा हरेंद्र हर्ष, शकुन त्रिवेदी, रंजीता जोशी, श्वेता मौर्या, डा उर्वशी गहलौत, गोपीचंद चौरसिया,  डा त्रिलोक चंद फतेहपुरी, राव शिवराज सिंह पूनम कतरियार, सुनील कुमार, मौ. नसीम अख्तर, संगीता वर्मा, डा गोकुल बहादुर क्षत्रिय, डा संदेश त्यागी, डा अरूण शैहरीया ताईर, प्रो नवजोत भनोत, एडवोकेट समर बहादुर सिंह, पूनम देवा, संगीता गोविल, डा मीना कुमारी परिहार, (सीमा वर्णिका), अनुपमा सिंह, इंद्रजीत चक्रवर्ती, अरविंद तिवारी, ममता कर्ण, ललित लोहार, विष्णु भंडारी, शिव शंकर हजारिका, पदुम हजारिका, विजय बरा, हेमप्रभा हजारिका, माधव ज्योति देऊरी, राजेंद्र प्रसाद, अरविंद यादव, मनीष शुक्ला, शीतल राघव देवयानी, अनीता गुरूंग, मनमाया गुरूंग, पल्लवी पांडेय आदि उपस्थित रहे को विशेष रूप से नेपाल भारत अंतर्राष्ट्रीय साहित्य रत्न से सम्मानित किया गया ।

तृतीय दिवस समापन समारोह में मुख्य अतिथि नेपाली लोक-संस्कृति के विद्वान व नेपाली भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रा डा कुसुमाकर न्यौपाने, प्रो एस एस डोगरा, प्रा शिव त्रिपाठी, असफल गौतम, दुर्गा शाह बाबा, सरिता तिम्मिलसिना पंगेनी, वरिष्ठ पत्रकार मनीष शुक्ला, कोमल प्रसाद राठौर, अंतरराष्ट्रीय नेपाली साहित्य समाज नेपाल चैप्टर के अध्यक्ष राजेंद्र के.सी, प्रा डा षणानंद पौडयाल, साहित्यकार ऋषभ देव घिमिरे, वरिष्ठ अनुवादक राजेंद्र गुरागांई रहे।

सत्र में प्रो एस एस डोगरा की पांचवीं पुस्तक WoW ‘Words of Wisdom’ का विमोचन किया गया। सत्र में उपस्थित सभी ने ‘नेपाल भारत साहित्य महोत्सव’ को निरंतर आयोजित करने का संकल्प लिया।

तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव में तृतीय दिवस में पृथ्वी नारायण कैंपस के कानून विभाग और आईटी विभाग के एक सौ छात्र छात्राओं की विशेष भूमिका रही, ‘युवा संसद’ का आयोजन किया गया जिसमें सभी युवाओं ने हिन्दी, नेपाली, अंग्रेजी, मैथिली, भोजपुरी भाषाओं में अपने विचार, कविता व संस्मरण रखे सभी ने नेपाल भारत संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाए रखने के लिए अपना सहयोग करने का संकल्प लिया।

समापन समारोह में तीनों दिन का अनेक भाषाओं में सफल संचालन करने के लिए पौडेल विमुंश को ‘बैस्ट ऐंकरिंग अवार्ड’ प्रदान किया गया। कंप्यूटर साइंस और आईटी छात्रा लक्ष्मी शर्मा ने आयोजन की व्यवस्था में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया। नेपाल भारत साहित्य महोत्सव, पोखरा, नेपाल संयोजक डा बलराम उपाध्याय रेगमी ने सभी अतिथियों व संयुक्त तत्वावधान में आयोजित करने वाले सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया और पोखरा घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा कि आगामी नेपाल भारत साहित्य महोत्सव नेपाल के जिस भी शहर में होगा आयोजन को और भी बेहतर व सुव्यवस्थित बनायेंगे । तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव में समस्त भारत और नेपाल से 400 से अधिक शोधार्थियों, साहित्यकारों, पत्रकारों, इतिहासकार, शिक्षाविद्, छात्र छात्राओं की सहभागिता रही। नेपाली व कुमाऊंनी लोकगीत के साथ तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव संपन्न हुआ।

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