मुस्कराए लखनऊ की काव्य गोष्ठी ने कवियों ने बाँधा समां
लखनऊ| पहले आपकी मुस्कान, यही तहजीब है लखनऊ की पहचान… ! ‘मुस्कराए लखनऊ’ व आगमन की ओर से राष्ट्रीय पुस्तक मेला में आयोजित काव्य गोष्ठी में कवियों ने कुछ इसी तरह की कविताओं से समां बाँध दिया| गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जाने- माने कवि सूर्य कुमार पाण्डेय ने कविता को दिल की आवाज बताया| मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार दयानंद पाण्डेय ने नारी पर आधारित कविता सुनाकर समां बांध दिया|
संयोजक मनीष शुक्ल ने कहा कि दूसरों के दर्द को समेटकर मुस्कान बिखेरना ही कवि का काम है| यही इस शहर की तहजीब है. यही पहचान है| मंजूषा श्रीवास्तव, मृदुल ने ‘ जो हैवान बन फिर रहे हैं जमी पर, खुदा ऐसे बन्दों को इंसान कर दें!” कविता से समां बाँध दिया| रश्मि लहर ने बदल देते हैं जीवन मूल्य, विस्मृत कर देते हैं बड़ी से बड़ी भूल कविता सुनाई| हैदराबाद के कवि प्रदीप देवी शरण भट्ट ने जख्म ताजा कर लिया मैंने, इश्क दोबारा कर लिया मैंने कविता पर जमकर तालियाँ बंटोरी|
चर्चित कवि धीरेन्द्र प्रताप सिंह, लोक कलाकार व गायक मुनालश्री विक्रम बिष्ट, गजल गायक सरबजीत सिंह ने अपनी नज्म से माहौल बना दिया| लखीमपुर खीरी के शायर प्रोफ़ेसर पंकज सिंह, प्रदीप बहराइजी, इटावा से श्रीप्रकाश यादव, डॉक्टर अर्चना श्रीवास्तव, मीनाक्षी शुक्ला, नमिता सुन्दर, शालिनी सिन्हा, नीरजा नीरू, सुरभि, जान्हवी, कैप्टन अभय आनंद, डॉक्टर रूबी राज सिन्हा, रुबीना हामिद, आमरीन, प्रभात त्रिपाठी, आनंद सरन ने अपनी कविताओं से मंत्रमुग्ध कर दिया|
इस मौके पर महेंद्र मिश्र, पंचानन मिश्र और डॉक्टर सरनजीत सिंह मौजूद रहे| काव्य गोष्ठी का संचालन मनोज शुक्ल ‘ मनुज’ व भावना मौर्य ने किया| आभार आगमन की वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वोरा ने जताया|