Monday, December 15, 2025
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आपातकाल लगाना धर्म को अपवित्र करना :  उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि आपातकाल लगाना धर्म को अपवित्र करना है जिसे न तो अनदेखा किया जा सकता है और न ही भुलाया जा सकता है। आज गुजरात विश्वविद्यालय में आठवें अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन को संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि “इस महान राष्ट्र को 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा कठोर आपातकाल की घोषणा के साथ लहूलुहान किया गया था, जिन्होंने धर्म की घोर और अपमानजनक अवहेलना करते हुए सत्ता और स्वार्थ से चिपके रहने वाले तानाशाही रूप से काम किया था। वास्तव में, यह धर्म का अपवित्रीकरण था।”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि “यह अधर्म था जिसे न तो स्वीकार किया जा सकता है और न ही माफ किया जा सकता है। वह अधर्म था जिसे अनदेखा या भुलाया नहीं जा सकता। एक लाख से ज्यादा लोगों को कैद कर लिया गया। उनमें से कुछ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपाध्यक्ष बन गए और सार्वजनिक सेवा के लिए काम किया और यह सब एक की सनक को संतुष्ट करने के लिए किया गया था।”

हाल ही में 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि “धर्म को श्रद्धांजलि के रूप में, धर्म के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में, धर्म की सेवा के रूप में, धर्म में विश्वास के रूप में, 26 नवंबर को संविधान दिवस और 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाना आवश्यक है। धर्म के उल्लंघन की गंभीर याद दिलाते हैं और संवैधानिक धर्म के उत्साही पालन का आह्वान करते हैं। इन दिनों का पालन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि लोकतंत्र के सबसे बुरे अभिशाप के दौरान सभी तरह की जांच, संतुलन और संस्थान ध्वस्त हो गए, जिसमें उच्चतम न्यायालय भी शामिल था।”

उन्होंने कहा कि “धर्म का पोषण करना आवश्यक है, धर्म को बनाए रखने के लिए हमें पर्याप्त रूप से जानकारी प्राप्त है। हमारे युवाओं, नई पीढ़ियों को इसके बारे में और अधिक स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए ताकि हम धर्म के पालन में मजबूत हो सकें और उस खतरे को बेअसर कर सकें जिसका हमने एक बार सामना किया था।”

लोगों की सेवा के लिए सौंपे गए राजनीतिक प्रतिनिधियों के बीच धर्म से बढ़ते अलगाव पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सत्ता के वरिष्ठ पदों पर बैठे लोग ईमानदारी, पारदर्शिता और न्याय के अपने पवित्र कर्तव्य से भटक रहे हैं, धर्म के मूल तत्व के विपरीत कार्यों में संलग्न हैं। उन्होंने कहा कि परेशान करने वाली प्रवृत्ति उन नागरिकों के विश्वास को कम करती है जिन्होंने इन नेताओं में अपना विश्वास व्यक्त किया है।

संसद में धर्म के पालन की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर बल देते हुए, श्री धनखड़ ने वर्तमान राजनीतिक माहौल पर चिंता व्यक्त की, जो व्यवधानों और गड़बड़ियों से चिह्नित है, जो जन प्रतिनिधियों के संवैधानिक जनादेश से समझौता करते हैं, कर्तव्य की ऐसी विफलताओं को इसके चरम पर प्रतिबिंब करते हैं।

उन्होंने नागरिकों से अपने प्रतिनिधियों को उनके संवैधानिक कर्तव्यों के बारे में बताने का आह्वान किया, उनसे धर्म की भावना को पहचानने और मानवता की भलाई को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा माहौल नहीं बनाना चाहिए या ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए जो मानवता विरोधी और राष्ट्रविरोधी हों।

समकालीन वैश्विक संदर्भ में धर्म और धम्म की बढ़ती प्रासंगिकता पर जोर देते हुए, श्री धनखड़ ने वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति द्वारा संचालित तेजी से परिवर्तनों के बीच नैतिक और सार्वजनिक सिद्धांतों का पालन करने की तात्कालिकता पर जोर दिया।

राज्य के सभी अंगों को उनके निर्धारित स्थानों में सामंजस्यपूर्ण रूप से काम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने आगाह किया कि इस रास्ते के उल्लंघन के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि “व्यक्तियों और संस्थाओं को धर्म के अनुरूप होना अनिवार्य है और शक्ति एवं अधिकार तब सर्वोत्तम रूप से प्रभावशाली होते हैं जब उस शक्ति और अधिकार की सीमाओं का एहसास होता है। परिभाषित क्षेत्र से परे जाने की प्रवृत्ति में अधर्म के क्रोध को उजागर करने की क्षमता है। हमें अपने अधिकार का प्रभावशाली ढंग से उपयोग करने के लिए अपनी सीमाओं से बंधे रहने की आवश्यकता है। यह सर्वोत्कृष्ट रूप से मौलिक है कि राज्य के सभी अंग सद्भाव और अपने परिभाषित स्थान एवं डोमेन में कार्य करें। अपराध धर्म के मार्ग से विचलन हैं तथा कभी-कभी अत्यधिक दर्दनाक और आत्मघाती हो सकते हैं।”

श्री धनखड़ ने व्यक्तिगत लाभ के लिए जनता को गुमराह करने के लिए अपने पदों का उपयोग करने वाले जागरूक व्यक्तियों की खतरनाक प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए जोर देकर कहा कि इस तरह के कार्य धर्म के विरोधी हैं, जो समाज को एक गंभीर चुनौती देते हैं।

श्री धनखड़ ने कहा कि “यह धर्म के विपरीत है जब सचेत लोग जानबूझकर लोगों को अपने राजनीतिक लाभ के लिए भटकाने की कोशिश करते हैं या राष्ट्रीय हित से समझौता करते हुए अपने स्वार्थ को पूरा करते हैं। उनकी कार्रवाई चरम सीमा में अधर्म है! यह कितना दर्दनाक है कि एक वरिष्ठ राजनेता, एक बार शासन की कुर्सी पर बैठा हुआ यह घोषणा करता है कि पड़ोस में सार्वजनिक रूप से जो हुआ वह भारत में होना तय है। समाज के लिए यह कितनी गंभीर चुनौती है कि एक जानकार व्यक्ति, एक सचेत व्यक्ति जो वास्तविकता को जानता है, वह राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए भटके हुए लोगों को प्रेरित करने के लिए अपनी प्रतिष्ठित पद का उपयोग करता है। हमारे राष्ट्रवाद और मानवता को निशाना बनाने वाली ऐसी घृणित प्रवृत्तियों और घातक इरादों को हमारे धर्म के प्रति सम्मान के रूप में उचित जवाब देने की आवश्यकता है। ऐसी ताकतों को बर्दाश्त करना धर्म का कार्य नहीं होगा। धर्म ऐसी ताकतों को बेअसर करने की मांग करता है जो धर्म को नीचा दिखाने, हमारी संस्थाओं को कलंकित करने और हमारे राष्ट्रवाद को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं।”

इस अवसर पर श्री आचार्य देवव्रत, गुजरात के माननीय राज्यपाल, श्री भूपेन्द्र पटेल, गुजरात के माननीय मुख्यमंत्री, श्री विदुर विक्रमनायक, माननीय श्रीलंका सरकार के बुद्धशासन, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्य मंत्री, श्री शेरिंग, माननीय गृह मंत्री, भूटान सरकार, स्वामी श्री गोविंद देव गिरि जी महाराज, कोषाध्यक्ष श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, श्री बद्री प्रसाद पांडे, संस्कृति, पर्यटन और नागर विमानन मंत्री, नेपाल सरकार, प्रोफेसर नीरजा ए गुप्ता, कुलपति, गुजरात विश्वविद्यालय एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित हुए।

भारत-यूएई का  द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर के पार

  • भारत-यूएई की तीसरी सीईपीए संयुक्त समिति की बैठक

नई दिल्ली : भारत और संयुक्‍त अरब अमीरात (यूएई) ने नई दिल्ली में भारत-यूएई सीईपीए (व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता) के अंतर्गत संयुक्त समिति की तीसरी बैठक सफलतापूर्वक आयोजित की। बैठक की सह-अध्यक्षता वाणिज्य विभाग के अपर सचिव श्री अजय भादू और यूएई के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कार्य सहायक अवर सचिव जुमा अल कैत ने की। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार में हुई तीव्र वृद्धि का स्वागत किया, जो वित्त वर्ष 2024-25 में 100.06 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया। यह 19.6 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है और भारत के प्रमुख व्यापारिक भागीदारों में से एक के रूप में यूएई की स्थिति की पुष्टि करता है। भारत-यूएई संयुक्त आयोग द्विपक्षीय व्‍यापार में प्रगति की समीक्षा, चुनौतियों का समाधान और सीईपीए को लागू करने के लिए प्राथमिक संस्थागत तंत्र के रूप में कार्य करता है।

दोनों पक्षों ने सीईपीए के अंतर्गत प्रगति की व्यापक समीक्षा की। इसके साथ ही बाजार पहुंच के मुद्दों, डेटा साझाकरण, गोल्ड टीआरक्यू के आवंटन, एंटी-डंपिंग मामलों, सेवाओं, उत्पत्ति के नियमों, बीआईएस लाइसेंसिंग आदि पर विस्तृत चर्चा की गई। भारतीय पक्ष ने पारदर्शी प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से गोल्ड टीआरक्यू आवंटित करने के अपने हालिया निर्णय के बारे में भी यूएई को जानकारी दी।

दोनों पक्षों ने हाल ही में हुई उच्च-स्तरीय बैठकों की समीक्षा की, जिनमें वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश व्यापार मंत्री डॉ. थानी बिन अहमद अल ज़ायौदी के बीच मुंबई और दुबई में हुई बैठकें शामिल हैं। उन्होंने वर्ष 2030 तक गैर-तेल/गैर-कीमती धातु व्यापार को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने के लक्ष्य की ओर अपनी साझा प्रतिबद्धता दोहराई। चर्चाओं में फार्मास्यूटिकल्स में नियामक सहयोग, उत्पत्ति प्रमाणपत्रों (वह आधिकारिक दस्तावेज़, जो यह प्रमाणित करता है कि किसी उत्पाद का निर्माण किस देश में हुआ है) से संबंधित मुद्दों का समाधान, बीआईएस समन्वय तथा कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), भारत और जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण मंत्रालय (एमओसीसीएई), संयुक्त अरब अमीरात के बीच खाद्य सुरक्षा एवं तकनीकी आवश्यकताओं पर समझौता ज्ञापन पर शीघ्र हस्ताक्षर शामिल थे। बैठक का समापन दोनों पक्षों के बीच व्यापार सुगमता, नियामक सहयोग, डेटा साझाकरण को मज़बूत करने और सेवा उपसमिति की बैठक आयोजित करने पर सहमति के साथ हुआ। यूएई प्रतिनिधिमंडल ने वाणिज्य सचिव श्री राजेश अग्रवाल के साथ भी बैठक की, जहां दोनों पक्षों ने सीईपीए के अधिकतम उपयोग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। यूएई प्रतिनिधिमंडल की यह यात्रा व्यापार संतुलन को मज़बूत करने, बाज़ार के अवसरों का विस्तार करने और सीईपीए के तहत रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने की दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

भारत के पास अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐसी क्षमता, जो दुनिया के कुछ ही देशों के पास: पीएम

  • पीएम ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हैदराबाद में स्काईरूट इन्फिनिटी कैंपस का उद्घाटन किया
  •  पीएम ने स्काईरूट के पहले ऑर्बिटल रॉकेट विक्रम-I का अनावरण किया

हैदराबाद : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हैदराबाद, तेलंगाना में स्काईरूट इन्फिनिटी कैंपस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश अंतरिक्ष क्षेत्र में एक अभूतपूर्व अवसर का साक्षी बन रहा है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि निजी क्षेत्र की बढ़ती लोकप्रियता के साथ भारत का अंतरिक्ष इको-सिस्‍टम एक बड़ी छलांग लगा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्काईरूट इन्फिनिटी कैंपस भारत की नई सोच, नवाचार और युवा शक्ति को दर्शाता है। उन्‍होंने कहा कि देश के युवाओं का नवाचार, जोखिम उठाने की क्षमता और उद्यमशीलता नई ऊंचाइयों को छू रही है। श्री मोदी ने कहा कि आज का कार्यक्रम इस बात का प्रतिबिंब है कि आने वाले समय में भारत वैश्विक उपग्रह प्रक्षेपण इको-सिस्‍टम में कैसे एक अग्रणी के रूप में उभरेगा। उन्होंने श्री पवन कुमार चंदना और श्री नागा भरत डाका को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ये दोनों युवा उद्यमी देश भर के अनगिनत युवा अंतरिक्ष उद्यमियों के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों ने खुद पर भरोसा रखा, जोखिम लेने से पीछे नहीं हटे और उसके परिणामस्वरूप आज पूरा देश उनकी सफलता का गवाह बन रहा है और देश उन पर गर्व महसूस कर रहा है।

श्री मोदी ने इस बात का जिक्र किया कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा सीमित संसाधनों के साथ शुरू हुई थी, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि देश की महत्वाकांक्षाएं कभी सीमित नहीं रहीं। उन्होंने कहा कि साइकिल पर रॉकेट के पुर्जे ढोने से लेकर दुनिया के सबसे विश्वसनीय प्रक्षेपण यान विकसित करने तक, भारत ने साबित कर दिया है कि सपनों की ऊंचाई संसाधनों से नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प से तय होती है। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसरो ने दशकों से भारत की अंतरिक्ष यात्रा को नए पंख दिए हैं। उन्‍होंने इस बात पर बल दिया है कि विश्वसनीयता, क्षमता और मूल्य ने इस क्षेत्र में भारत की विशिष्ट पहचान स्थापित की है।”

बदलते समय के बारे में चर्चा करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र का विस्तार स्पष्ट है, क्योंकि यह संचार, कृषि, समुद्री निगरानी, ​​शहरी योजना, मौसम पूर्वानुमान और राष्ट्रीय सुरक्षा का आधार बन गया है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए गए, सरकार ने इसे निजी नवाचार के लिए खोल दिया और एक नई अंतरिक्ष नीति तैयार की। श्री मोदी ने यह भी कहा कि स्टार्टअप उद्यमों और उद्योगों को नवाचार से जोड़ने के प्रयास किए गए और स्टार्टअप उद्यमों को इसरो की सुविधाएं और तकनीक प्रदान करने के लिए इन-स्‍पेस की स्थापना की गई। प्रधानमंत्री ने कहा, “केवल पिछले छह-सात वर्षों में, भारत ने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को एक खुले, सहकारी और नवाचार-संचालित इको-सिस्‍टम में बदल दिया है।” उन्होंने कहा कि आज का कार्यक्रम इसी परिवर्तन का प्रतिबिंब है।

इस बात पर जोर देते हुए कि भारत के युवा हमेशा राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हैं और हर अवसर का सर्वोत्तम इस्‍तेमाल करते हैं, श्री मोदी ने कहा कि जब सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को खोला, तो देश के युवा, विशेषकर जेन-जी पीढ़ी, इसका पूरा लाभ उठाने के लिए आगे आए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज 300 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप भारत के अंतरिक्ष भविष्य को नई उम्मीदें दे रहे हैं। इसके बाद उन्‍होंने कहा कि इनमें से अधिकतर स्टार्टअप छोटी टीमों, कभी दो लोग, कभी पांच लोग, कभी एक छोटे से किराए के कमरे में, सीमित संसाधनों के साथ, लेकिन नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के दृढ़ संकल्प के साथ शुरू हुए थे। प्रधानमंत्री ने ध्‍यान दिलाते हुए कहा, “इसी भावना ने भारत में निजी अंतरिक्ष क्रांति को जन्म दिया है।” उन्होंने कहा कि जेन-जी इंजीनियर, डिजाइनर, कोडर और वैज्ञानिक नई तकनीकों का निर्माण कर रहे हैं, चाहे वह प्रोपल्‍शन प्रणाली हो, मिश्रित सामग्री हो, रॉकेट चरण हों या उपग्रह प्लेटफॉर्म हों। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के युवा ऐसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं जिनकी कुछ साल पहले तक कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। उन्होंने कहा कि भारत की निजी अंतरिक्ष प्रतिभा दुनिया भर में एक अलग पहचान बना रही है। उन्‍होंने यह भी कहा कि आज, वैश्विक निवेशकों के लिए, भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र एक आकर्षक गंतव्य बन रहा है।

दुनिया भर में छोटे उपग्रहों की मांग लगातार बढ़ रही है और प्रक्षेपणों की संख्‍या में भी वृद्धि हो रही है, इस पर जोर देते हुए श्री मोदी ने कहा कि नई कंपनियां उपग्रह सेवाएं प्रदान करने के लिए इस क्षेत्र में प्रवेश कर रही हैं। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतरिक्ष अब एक रणनीतिक परिसंपत्ति के रूप में स्थापित हो चुका है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था कई गुना बढ़ेगी। उन्‍होंने कहा कि यह भारत के युवाओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के पास अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐसी क्षमताएं हैं जो दुनिया के कुछ ही देशों के पास हैं। इसमें विशेषज्ञ इंजीनियरों की मौजूदगी, उच्च-गुणवत्ता वाला विनिर्माण तंत्र, विश्व-स्तरीय प्रक्षेपण स्थल और नवाचार को प्रोत्साहित करने वाली मानसिकता शामिल है।” उन्होंने कहा कि भारत की अंतरिक्ष क्षमता किफायती और विश्वसनीय दोनों है, यही वजह है कि दुनिया को हमारे देश से बहुत उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक कंपनियां भारत में उपग्रहों का निर्माण करना चाहती हैं, भारत से प्रक्षेपण सेवाएं प्राप्त करना चाहती हैं और भारत के साथ तकनीकी साझेदारी करना चाहती हैं, इसलिए इस अवसर का भरपूर लाभ उठाने पर हमारा ध्‍यान केंद्रित होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में हो रहे बदलाव भारत में हो रही व्यापक स्टार्टअप क्रांति का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में, फिनटेक, एग्रीटेक, हेल्थटेक, क्लाइमेटटेक, एडुटेक और डिफेंसटेक जैसे विविध क्षेत्रों में स्टार्टअप उद्योगों की एक नई लहर उभरी है, जिसमें भारत के युवा, विशेषकर जेन-जेड पीढ़ी, हर क्षेत्र में अभिनव समाधान प्रदान कर रहे हैं। भारत की जेन-जेड पीढ़ी की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी रचनात्मकता, सकारात्मक मानसिकता और क्षमता निर्माण क्षमताएं दुनिया की जेन-जेड पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकती हैं। श्री मोदी ने कहा कि भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इको-सिस्टम बन गया है। उन्‍होंने कहा कि एक समय था जब स्टार्टअप कुछ बड़े शहरों तक ही सीमित थे, लेकिन आज वे छोटे शहरों और गांवों से भी उभर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में अब 1.5 लाख से अधिक पंजीकृत स्टार्टअप हैं, जिनमें से कई ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल कर लिया है।

इस बात की चर्चा करते हुए कि भारत अब सिर्फ ऐप और सेवाओं तक सीमित नहीं है और अब डीप-टेक, मैन्युफैक्चरिंग और हार्डवेयर इनोवेशन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, प्रधानमंत्री ने जेन-जी पीढ़ी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सेमीकंडक्टर क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए ऐतिहासिक कदम भारत के तकनीकी भविष्य की नींव मजबूत कर रहे हैं। श्री मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि देश भर में सेमीकंडक्टर निर्माण इकाइयां, चिप निर्माण और डिजाइन हब विकसित हो रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि चिप्स से लेकर सिस्टम तक, भारत एक मजबूत इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखला का निर्माण कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह न केवल आत्मनिर्भरता के संकल्प का हिस्सा है, बल्कि भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक मजबूत और विश्वसनीय स्तंभ भी बनाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधारों का दायरा लगातार बढ़ रहा है और इस बात पर जोर दिया कि जिस तरह अंतरिक्ष नवाचार को निजी क्षेत्र के लिए खोला गया था, उसी तरह भारत अब परमाणु क्षेत्र को भी खोलने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र की मजबूत भूमिका सुनिश्चित की जा रही है, जिससे छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों, उन्नत रिएक्टरों और परमाणु नवाचार के क्षेत्र में अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि ये सुधार भारत की ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी नेतृत्व को नई मजबूती प्रदान करेंगे।

इस बात की चर्चा करते हुए कि भविष्य आज किए जा रहे अनुसंधान पर बहुत हद तक निर्भर करेगा, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार युवाओं को अनुसंधान के क्षेत्र में अधिकतम अवसर प्रदान करने पर केंद्रित है। उन्होंने आधुनिक अनुसंधान को समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “एक राष्ट्र, एक सदस्यता” पहल ने सभी छात्रों के लिए अंतरराष्ट्रीय जर्नलों तक पहुंच आसान बना दी है। उन्होंने कहा कि 1 लाख करोड़ रुपये का अनुसंधान, विकास और नवाचार कोष देश भर के युवाओं को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करेगा। श्री मोदी ने कहा कि छात्रों में अनुसंधान और नवाचार की भावना जगाने के लिए 10,000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में 50,000 नई लैब स्थापित करने का काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि ये प्रयास भारत में नए नवाचारों की नींव रख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि आने वाला युग भारत, उसके युवाओं और उसके नवाचारों का है। उन्होंने याद दिलाया कि कुछ महीने पहले, अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर, उन्होंने भारत की अंतरिक्ष आकांक्षाओं के बारे में एक चर्चा में कहा था कि अगले पांच वर्षों में भारत अपनी प्रक्षेपण क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और अंतरिक्ष क्षेत्र में पांच नए यूनिकॉर्न स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि स्काईरूट टीम की प्रगति यह सुनिश्चित करती है कि भारत अपने प्रत्येक निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करेगा।

प्रधानमंत्री ने हर युवा, हर स्टार्टअप, वैज्ञानिक, इंजीनियर और उद्यमी को भरोसा दिलाया कि सरकार हर कदम पर उनके साथ मजबूती से खड़ी है। उन्होंने एक बार फिर पूरी स्काईरूट टीम को बधाई दी और भारत की अंतरिक्ष यात्रा को नई गति देने वाले सभी लोगों को शुभकामनाएं दीं। अंत में उन्होंने सभी से 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने का आह्वान किया, चाहे वह धरती पर हो या अंतरिक्ष में। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का स्टार्टअप उद्योग यानी स्काईरूट इन्फिनिटी कैम्पस एक अत्याधुनिक केंद्र है, जिसमें लगभग 2,00,000 वर्ग फुट का कार्यक्षेत्र है और बहु-प्रक्षेपण वाहनों के डिजाइन, विकास, एकीकरण और परीक्षण के लिए हर महीने एक कक्षीय रॉकेट बनाने में सक्षम है।

स्काईरूट भारत की अग्रणी निजी अंतरिक्ष कंपनी है, जिसकी स्थापना पवन चंदना और भरत ढाका ने की है, जो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के पूर्व-छात्र और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक हैं और अब उद्यमी बन गए हैं। नवंबर 2022 में, स्काईरूट ने अपना सब-ऑर्बिटल रॉकेट, विक्रम-एस, लॉन्च किया, जिससे वह अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च करने वाली पहली भारतीय निजी कंपनी बन गई।

निजी अंतरिक्ष उद्यमों का तेजी से उदय पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा किए गए परिवर्तनकारी सुधारों की सफलता का प्रमाण है, जिससे एक आत्मविश्वास से परिपूर्ण और सक्षम वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत का नेतृत्व मजबूत हुआ है।

एआई के सही उपयोग से बना सकते हैं बेहतर भविष्य

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  • आशीष वर्मा और डॉ मनीष शुक्ल की किताब आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस : समाज, संचार और सूचना का पोस्टर लोकार्पण
  • कानपुर पुस्तक मेला का समापन समारोह

कानपुर : कानपुर पुस्तक मेला के समापन समारोह में तकनीक विशेषज्ञ आशीष वर्मा और लेखक डॉ मनीष शुक्ल की किताब ‘आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस : समाज, संचार और सूचना पुस्तक के पोस्टर का लोकार्पण किया गया| इस अवसर डॉ शुक्ल ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तेज रफ्तार से समाज संचार और सूचना को प्रभावित कर रहा है| एआई जहां चुनौतियाँ दे रही है| डीएवी कालेज के पूर्व प्राचार्य साइंस विशेषज्ञ डॉ अमित श्रीवास्तव ने कहा कि उम्मीद जाहिर कि अगले पाँच वर्षों में एआई प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के नए दरवाजे खुलेंगे| कानपुर विश्वविध्यालय के प्रोफेसर सिधांशु राय ने कहा एआई आने वाले वर्षों में समाज, सूचना और संचार को अपनी तकनीक से 360 डिग्री पर परिवर्तित कर सकता है| वहीं मानव समाज के लिए अवसर भी पैदा कर रही है| उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित कालेज एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने कहा कि जागरूकता और अध्ययन से युवा एआई का बेहतर उपयोग कर सकते हैं| यलो पेजेज़ कानपुर और सिसकास्मिक के रोहित त्रिवेदी ने बताया कि एआई को लेकर कई भ्रांतियाँ है जिनको दूर करने के लिए पुस्तक उचित माध्यम बन सकती है|

अभिनेता- निर्देशक चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि एआई का उपयोग आज प्रत्येक क्षेत्र में हो रहा है| फिर चाहें लेखन हो या फिल्म निर्माण| एआई दोस्त भी है और दुश्मन भी! आप कैसे इस्तेमाल करते हैं| ये आप पर निर्भर करता है| वरिष्ठ पत्रकार श्रीधर अग्निहोत्री ने कहा कि आज के डिजिटल युग में तकनीक बहुत तेजी से बादल रही है| इसको अपनाकर ही जीवन को बेहतर किया जा सकता है| इस अवसर पर मेला संचालक मनोज चंदेल ने कहा कि डिजिटल युग में युवाओं के लिए किताबों से बेहतर दोस्त नहीं नहीं है| आज के दौर में भी पुस्तक मेला जैसे आयोजन समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं| गवर्नमेंट इंटर कालेज के प्राचार्य डॉ संजय यादव ने छात्रों को तकनीक से लैस होने का आह्वान किया| संचालन लेखिका जरीन अंसारी ने किया| इस मौके पर शिल्पायन बुक्स के उमेश शर्मा ने आभार जताया| आईबी मौके प्रज्ञा अग्रवाल आदि मौजूद रहे|

लखनऊ के अंचल प्रमुख आशुतोष सिंह ने जी.डी. बिड़ला यूको यू. पी प्रीमियर लीग के विजेता को सम्मानित किया

लखनऊ : यूको बैंक द्वारा ‘जी.डी. बिड़ला यूको यू.पी प्रीमियर लीग’ का फाइनल मैच लखनऊ एवं कानपुर के मध्‍य खेला गया। जी. डी. बिड़ला यूको यू. पी प्रीमियर लीग का शुभारंभ दिनांक 21.11.2025को लखनऊ अंचल के अंचल प्रमुख एवं उपमहाप्रबंधक श्री आशुतोष सिंह की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया!

जी.डी. बिड़ला यूको यू. पी प्रीमियर लीग में लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और मेरठ की टीमों ने उत्‍साहपूर्वक प्रतिभागिता की । श्री आकाश दीप शुक्‍ल की कप्‍तानी में लखनऊ नवाब्‍स ने कानपुर वारियर्स को अत्‍यंत रोचक मुकाबले में 16 रनों से हराया। लखनऊ नवाब्‍स ने 228 रन बनाए । यह मुकाबला आर्यावर्त इंस्‍टीट्यूट आफ टेक्‍नॉलाजी में अत्‍यंत भव्‍य तरीके से हुआ।  

लखनऊ नवाब्‍स के श्री निखिल ने सर्वाधिक 120 रन बनाए। श्री निखिल ने तूफानी बल्‍लेबाजी करते हुए 11 छक्‍के और 10 चौकेजड़े। वहीं श्री आयुष सिंह ने भी 47 रनों का योगदान देकर पहले विकेट के लिए 159 रनों की साझेदारी की ।श्री दुर्गेश तिवारी और श्री सुमित नॉट ऑउट रहे।

लखनऊ अंचल के अंचल प्रमुख श्री आशुतोष सिंह एवं कानपुर अंचल के अंचल प्रमुख श्री दीपक कुमार ने टॉस किया। लखनऊ नावाब्‍स ने पहले बल्‍लेबाजी कर मैच को रोमांचक बना दिया। इस अवसर पर यूको बैंक के कार्यपालकगण एवं स्‍टाफ सदस्‍य बड़ी संख्‍या में दोनों टीमों  के  उत्‍साहवर्धन के लिए उपस्थित थे। श्री अनीश जायसवाल को मैन ऑफ द सीरीज़ एवं श्री निखिल शुक्‍ला को मैन ऑफ द मैच रहे।

परिवार के लिए सुरक्षित, संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करता है वेव्स ओटीटी

  • हम भाग्यशाली हैं कि दूरदर्शन ने ही हमें सिनेमा की दुनिया से परिचित कराया: अनुपम खेर

पिछले कुछ वर्षों में, आईएफएफआई एक साधारण फिल्म समारोह से एक भव्य उत्सव बन गया है—एक ऐसा शानदार सफ़र जो सिनेमा, संगीत और जीवन के जादू को एक साथ लाता है। पिछले साल,  आईएफएफआईईएसटीए ने इस सांस्कृतिक महायात्रा का मार्गदर्शन करने का बीड़ा उठाया और संगीत और कला को आईएफएफआई के ताने-बाने में पिरोया।

दूरदर्शन और वेव्स ओटीटी द्वारा आयोजित आईएफएफआईईएसटीए का कल शाम गोवा के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी इंडोर स्टेडियम में भव्य उद्घाटन हुआ। आईएफएफआई के 56वें ​​संस्करण ने मस्तिष्क को अलंकृत करने और संगीत, संस्कृति और लाइव प्रदर्शनों की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने की अपनी शाश्वत परंपरा को जारी रखा।

शाम सितारों से जगमगा उठी जब मंच पर अपनी कला का लोहा मनवाने वाले कई दिग्गज मौजूद थे। इनमें आदरणीय अभिनेता श्री अनुपम खेर, ऑस्कर विजेता उस्ताद श्री एम.एम. कीरवानी, असम की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री एमी बरुआ, भारतीय फिल्म महासंघ के अध्यक्ष रवि कोट्टारकरा और दक्षिण कोरिया के मधुर स्वर, एमपी जेवोन किम शामिल थे। दूरदर्शन के महानिदेशक श्री के. सतीश नंबूदिरीपाद के साथ ये सभी सिनेमा के जादू का समारोह मनाने के लिए एकत्र हुए।

महानिदेशक श्री नंबूदिरीपाद ने अपने प्रारंभिक भाषण में कहा, “हम सभी जानते हैं कि उपग्रह क्रांति के बाद के चैनल धीरे-धीरे डिजिटल क्रांति की ओर अग्रसर हो रहा है; हाथ में पकड़े जाने वाले उपकरण जहाँ लोग कभी भी कार्यक्रम देख सकते हैं। दूरदर्शन को समय की माँग के अनुसार विकसित होना ही होगा। इसने वेव्‍स ओटीटी के साथ नए डिजिटल चरण में प्रवेश करके यही किया है। वेव्‍स ओटीटी परिवार को सुरक्षित, संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करता है।” उन्होंने आगे आग्रह किया, “हम डिजिटल उपकरणों से चिपके युवाओं, पीढ़ी जी से अनुरोध करेंगे कि वे कार्यक्रम देखने के लिए दूरदर्शन पर आएँ और उस विरासत की ताकत देखें जिसका दूरदर्शन प्रतिनिधित्व करता था या यूँ कहें कि प्रतिनिधित्व करता है।

उनसे सीख लेते हुए, श्री खेर ने आईएफएफआईईएसटीए के मंच पर पुरानी यादें ताज़ा करते हुए कहा, “हम सभी ने अपनी ज़िंदगी की शुरुआत दूरदर्शन से की है। हम भाग्यशाली हैं कि दूरदर्शन ने ही हमें सिनेमा की दुनिया से परिचित कराया। मेरा जन्म दूरदर्शन की वजह से हुआ जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता। दूरदर्शन एक ऐसी खुशबू है जो हमारे जीवन में बसी है और आज भी हमें अपनी आगोश में समेटे हुए है।” रात की शुरुआत जेवोन किम द्वारा वंदे मातरम के भावपूर्ण गायन से हुई, उनकी आवाज़ राष्ट्रों के बीच सेतु का काम करती है। गीत गाने से पहले उन्होंने कहा, “मुझे यहाँ आकर बहुत खुशी हो रही है। आपके गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए धन्यवाद। मैं भारत और कोरिया के बीच फ़िल्मों और कंटेंट सहयोग के लिए उत्सुक हूँ।” इसके बाद, शाम को गायक-गीतकार ओशो जैन ने दो घंटे का प्रदर्शन किया।

ऐतिहासिक उपलब्धि: भारत में जन्मी चीता मुखी ने 5 बच्चों को जन्म दिया

  • जेनेटिकली डायवर्स चीता आबादी बढ़ाने की उम्मीद बढ़ी : भूपेन्द्र यादव  

नई दिल्ली : इतिहास में यह पहली बार है जब भारत में जन्मे चीते ने सफलतापूर्वक बच्चे पैदा किए हैं। जिससे चीतों का अस्तिव फिर से स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण सफलता मिली है| केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जानकारी दी कि इससे भारत में आत्मनिर्भर और जेनेटिकली डायवर्स चीता आबादी बढ़ाने की उम्मीद और मज़बूत हुई| उन्होने प्रोजेक्ट चीता के तहत एक ऐतिहासिक डेवलपमेंट की घोषणा की। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर की गई पोस्ट में, श्री यादव ने कहा कि मुखी भारत में जन्मी पहली मादा चीता है, इसकी उम्र 2 साल 9 महीने है। मुखी ने पांच बच्चों को जन्म दिया है, जो भारत की चीतों का अस्तिव फिर से स्थापित करने की पहल की दिशा में यह एक ऐतिहासिक पल है।

श्री यादव ने बताया कि हाल के इतिहास में यह पहली बार है जब भारत में जन्मे चीते ने सफलतापूर्वक बच्चे पैदा किए हैं। उन्होंने कहा कि यह घटना भारतीय वातावरण में इस प्रजाति के अनुकूलन, स्वास्थ्य और लंबे समय तक चलने की मज़बूत निशानियों को दिखाती है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा, “यह बड़ी बात भारत में आत्मनिर्भर और जेनेटिकली अलग-अलग तरह के चीतों की आबादी बढ़ने की उम्मीद को और पक्का करती है,” उन्होंने बताया कि मां और बच्चे ठीक हैं। श्री यादव ने खुशी के साथ कहा कि यह कामयाबी, भारत के संरक्षण प्रयासों और प्रोजेक्ट चीता के भविष्य की उम्मीदों पर भरोसें को और बढ़ाती है।

राष्ट्रीय संग्रहालय में भारत की लिपि संस्कृति का अक्षर महोत्सव  

नई दिल्ली : अक्षर महोत्सव 2025, भारतीय लिपियों और सुलेख परंपराओं पर केंद्रित तीन दिवसीय गहन कार्यशालाओं, शैक्षणिक सत्रों, प्रदर्शनों और सांस्कृतिक अनुभवों के बाद, राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में संपन्न हुआ। राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली द्वारा सुलेख फाउंडेशन के सहयोग से प्रस्तुत, यह महोत्सव “संस्कृति के स्तंभ के रूप में अक्षर” विषय पर आधारित था और इसमें कलाकारों, संग्रहालय कर्मियों, गैर-सरकारी संगठनों के बच्चों, पूर्व-बुक किए गए स्कूल समूहों, शिक्षकों, डिजाइनरों और परिवारों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

यह महोत्सव 14 नवंबर को राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक श्री गुरमीत सिंह चावला और अपर महानिदेशक डॉ. मीनाक्षी जॉली की गरिमामयी उपस्थिति में आरंभ हुआ। राष्ट्रीय संग्रहालय के पूर्व महानिदेशक प्रो. (डॉ.) बुद्ध रश्मि मणि उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि और ज्ञानभारतम मिशन के निदेशक श्री इंद्रजीत सिंह विशिष्ट अतिथि थे। गणमान्य व्यक्तियों ने सुलेखन कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जो संग्रहालय और सुलेख फाउंडेशन की एक क्यूरेटोरियल पहल है।  इसमें भारत की 100 से अधिक समकालीन सुलेख कलाकृतियों को राष्ट्रीय संग्रहालय के संग्रहों में से सावधानीपूर्वक चयनित पांडुलिपियों और शिलालेखों के साथ प्रदर्शित किया गया है। ऐतिहासिक कलाकृतियों और आधुनिक रचनात्मक परंपराओं के बीच संवाद इस प्रदर्शनी का केंद्र बिंदु था, जिसने प्राचीन और समकालीन, विद्वतापूर्ण और कलात्मकता के बीच सेतु का काम किया।

पहले दिन मोनोलाइन सुलेख, अभिव्यंजक ब्रश अक्षरांकन, डिप पेन फाउंडेशन और देवनागरी अन्वेषण पर कार्यशालाएं भी आयोजित की गईं। स्क्रिप्ट क्वेस्ट ट्रेजर हंट और सीटीटीपी बैच 1 सम्मान समारोह ने इस दिन को और भी जीवंत बना दिया, जबकि मिट्टी के बर्तन, मिट्टी के अक्षरांकन, कैरिकेचर, आभूषण निर्माण, लघु चित्रकला और स्क्रैपबुक कला जैसे रचनात्मक क्षेत्रों ने हर उम्र वर्ग के आगंतुकों को आकर्षित किया।

दूसरा दिन 15 नवंबर अकादमिक संवर्धन और सांस्कृतिक समझ पर केंद्रित था। दिन की शुरुआत प्रोफेसर मनीष अरोड़ा के सत्र “शैक्षणिक क्षेत्र में सुलेख” से हुई, जिसके बाद मेंटर रघुनिता गुप्ता, नीलाक्षी ठाकुर और अवनी खुराना के नेतृत्व में एक व्यावहारिक देवनागरी कार्यशाला हुई। शिलालेख गैलरी में, कोमल पांडे और अभिषेक वर्धन ने लेखन उपकरणों और लिपि के स्‍वरूपों के विकास पर एक सत्र का नेतृत्व किया। इसके बाद प्रतिभागियों ने “ऐतिहासिक लिपियों की पुनर्कल्पना” में भाग लिया, एक ऐसी गतिविधि जिसने प्राचीन लिपियों की रचनात्मक पुनर्व्याख्या को प्रोत्साहित किया। एक प्रमुख आकर्षण सुदीप गांधी की कार्यशाला “देवनागरी अक्षररूपों के साथ फॉर्म-प्‍ले” थी, जिसने प्रतिभागियों को देवनागरी के भीतर संरचना और गति की खोज के प्रयोगात्मक तरीकों से परिचित कराया।

अंतिम दिन 16 नवंबर विचारशील चिंतन, तकनीकी अन्वेषण और कलात्मक प्रदर्शन लेकर आया। प्रो. जी.वी. श्रीकुमार ने अपने सत्र “कैलिग्राफी एक बहुसंवेदी अनुभव” के साथ दिन की शुरुआत की। इसमें लेखन के ध्यानात्मक और संवेदी आयामों पर प्रकाश डाला गया। इसके बाद सौरभ केसरी द्वारा एक टूल एक्सप्लोरेशन वर्कशॉप और “एआई और तात्कालिकता के युग में कैलिग्राफी की प्रासंगिकता” पर एक पैनल चर्चा हुई, जिसमें विभिन्‍न समकालीन तौर-तरीके और डिजाइन शिक्षा से बहुमूल्य दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला गया। दोपहर के सत्र के दौरान द कैलिग्राफी फाउंडेशन का वार्षिक प्रकाशन लॉन्च किया गया। प्रसिद्ध डिजाइनर महेंद्र पटेल ने अपने प्रतिष्ठित करियर की गहरी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए “भारतीय टाइपोग्राफिक डिजाइन में फॉर्म और फंक्शन” प्रस्तुत किया। बाद में, मास्टर कैलिग्राफर अच्युत पलाव ने “स्क्रिप्ट इन मोशन” नाम के एक शानदार लाइव डेमोंस्ट्रेशन से दर्शकों का मन मोह लिया। फेस्टिवल का समापन इंटरडिसिप्लिनरी परफॉर्मेंस “डांस, पेंट एंड स्क्रिप्ट इन हार्मनी” के साथ हुआ, जिसके बाद वेलेडिक्टरी और सर्टिफिकेट सेरेमनी हुई।

अक्षर महोत्सव 2025 प्रतिभागियों और आगंतुकों की ओर से हार्दिक सराहना के साथ संपन्न हुआ। तीन दिनों तक चले इस महोत्सव ने सांस्कृतिक, शैक्षिक और कलात्मक परंपरा के रूप में सुलेख के महत्व की पुष्टि करते हुए पहचान, रचनात्मकता और समकालीन अभिव्यक्ति को आकार देने में इसकी निरंतर प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

मीडिया 2047 तक विकसित भारत के विजन का समर्थन करे : उप राष्ट्रपति

  • उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन प्रथम रामोजी उत्कृष्टता पुरस्कार 2025 समारोह में शामिल हुए
  • रामोजी राव एक दूरदर्शी राष्ट्र निर्माता थे : उपराष्ट्रपति

हैदराबाद : उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने आज तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद स्थित रामोजी फिल्म सिटी में आयोजित प्रथम रामोजी उत्कृष्टता पुरस्कार 2025 के समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।

रामोजी उत्कृष्टता पुरस्कार सात श्रेणियों में प्रदान किए गए: ग्रामीण विकास के लिए श्रीमती अमला अशोक रुइया को; युवा आइकन के लिए श्री श्रीकांत बोल्ला को; विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रो. माधवी लता गली को; मानवता की सेवा के लिए श्री आकाश टंडन को; कला और संस्कृति के लिए प्रो. सथुपति प्रसन्ना श्री को; पत्रकारिता के लिए श्री जयदीप हार्डिकर को; और महिला उपलब्धि के लिए श्रीमती पल्लबी घोष को पुरस्कार प्रदान किए गए।

उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने अपने संबोधन में कहा कि रामोजी उत्कृष्टता पुरस्कार समारोह में उपस्थित होना सम्मान और सौभाग्य की बात है, जो रामोजी समूह के स्थापना दिवस और इसके संस्थापक श्री रामोजी राव की जयंती के अवसर पर आयोजित किया गया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि श्री रामोजी राव एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने विचारों को संस्थाओं में तथा सपनों को सच्चाई में बदल दिया। वे न केवल मीडिया और संचार के क्षेत्र में अग्रणी थे, बल्कि एक राष्ट्र निर्माता भी थे, जो सूचना, रचनात्मकता और उद्यम की शक्ति में गहरा विश्वास करते थे।

उपराष्ट्रपति ने जोर देते हुए कहा कि ईनाडु से लेकर रामोजी फिल्म सिटी तक, ईटीवी नेटवर्क से लेकर अनेक अन्य उपक्रमों तक, श्री रामोजी राव के कार्यों ने भारतीय पत्रकारिता, मनोरंजन और उद्यमिता में क्रांति ला दी। उन्होंने यह भी कि सत्य, नैतिकता और उत्कृष्टता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता देश भर की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

उन्होंने कहा कि रामोजी उत्कृष्टता पुरस्कार की शुरूआत ऐसी शख्सियत के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है, जो उत्कृष्टता के प्रतीक, दूसरों को प्रेरित करने वाले और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाले व्यक्तियों और संस्थानों को सम्मानित करता है।

मीडिया की भूमिका पर विचार करते हुए, उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाने वाला प्रेस एक जागरूक नागरिक वर्ग को बनाए रखने में केंद्रीय भूमिका निभाता है। सूचना की अधिकता और गलत सूचनाओं से भरे इस युग में, उपराष्ट्रपति ने सत्यनिष्ठ, नैतिक और ज़िम्मेदार पत्रकारिता के महत्वपूर्ण महत्व पर ज़ोर दिया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि जैसे-जैसे देश प्रधानमंत्री के “विकसित भारत @ 2047” के विज़न की ओर अग्रसर है, मीडिया संगठनों को नवाचार, स्टार्ट-अप, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण परिवर्तन की कहानियों को उजागर करके राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सत्य और निष्पक्षता मीडिया संस्थानों का आधार बने रहना चाहिए।

उन्होंने नशा मुक्त भारत बनाने और नागरिकों को असली और नकली समाचारों के बीच अंतर करने में मदद करने में मीडिया की प्रमुख भूमिका पर भी जोर दिया, विशेष रूप से एआई में तेजी से प्रगति के इस युग में।

उपराष्ट्रपति ने इन पुरस्कारों की स्थापना के लिए रामोजी समूह की सराहना करते हुए कहा कि वे स्मृति को प्रेरणा में तथा विरासत को उद्देश्यपूर्ण कार्य में परिवर्तित करते हैं। उन्होंने सभी पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को बधाई दी और उन्हें उत्कृष्टता का अग्रदूत बताया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी उपलब्धियां अन्य लोगों को प्रेरित करेंगी। संबोधन का समापन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस समारोह में न केवल उत्कृष्ट उपलब्धि हासिल करने वालों का जश्न मनाया गया, बल्कि इस शाश्वत सत्य को भी बल मिला कि जब उत्कृष्टता को ईमानदारी और उद्देश्यपूर्ण तरीके से अपनाया जाता है, तो यह राष्ट्र और मानवता दोनों के लिए लाभदायक होता है।

इस कार्यक्रम में तेलंगाना के राज्यपाल श्री जिष्णु देव वर्मा; पूर्व उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू; तेलंगाना के मुख्यमंत्री श्री ए. रेवंत रेड्डी; आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन. चंद्रबाबू नायडू; केंद्रीय कोयला और खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी; केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री किंजरापु राममोहन नायडू; पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री एन.वी. रमना, रामोजी समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री चौधरी किरण, प्रमुख फिल्मी हस्तियां और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे

कानपुर पुस्तक मेला : मानवता की सेवा में जुटा प्रत्येक व्यक्ति स्वयंसेवक

–              वरिष्ठ पत्रकार श्रीधर अग्निहोत्री की किताब अनसुने सितारे एवं डॉ मनीष शुक्ल की किताब मैं स्वयंसेवक की पुस्तक चर्चा   

कानपुर: कानपुर पुस्तक मेले में वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार डॉ मनीष शुक्ल की किताब मैं स्वयंसेवक एवं फिल्म समीक्षक वरिष्ठ पत्रकार श्रीधर अग्निहोत्री की किताब अनसुने सितारे पर परिचर्चा का आयोजन किया गया|  लेखक मंच पर आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि अभिताभ वाजपेई ने उद्घाटन किया। परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए डॉ दिवाकर मिश्र ने कहा कि मैं स्वयंसेवक पुस्तक देश को सामाजिक, सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोती है| यह राष्ट्रीय एकता की कहानी है| पुस्तक नए भारत का दस्तावेज़ है मैं स्वयंसेवक! प्रत्येक राष्ट्र सेवक स्वयं सेवक है| भले ही वो किसी जाति, धर्म, पंथ या भाषा और प्रदेश का हो| जो भी मानवता की सेवा करता है वो स्वयं सेवक है| उन्होने वरिष्ठ पत्रकार श्रीधर अग्निहोत्री की किताब अनसुने सितारे को गुमनाम फिल्म कलाकारों को समर्पित बताया| इस मौके पर डॉ मनीष शुक्ल ने कहा स्वयंसेवक एक व्यक्ति की राष्ट्रप्रेम की कहानी है| जिसके लिए हजारों लाखों स्वयंसेवक अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं| 

पुस्तक विमोचन के अवसर पर सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सिधांशु राय ने कहा मैं स्वयं सेवक एक ऐसी पुस्तक है जो समाज के प्रत्येक वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है| यह जाति- धर्म के बंधनों को तोड़कर मानवता का पाठ पढ़ाती है| भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक डॉ दिवाकर मिश्र  ने कहा कि भारत माँ के सभी पुत्र समान है| भले ही वो किसी जाति, धर्म, भाषा और पंथ के हों| वरिष्ठ भाजपा नेता विनोद शुक्ल ने कहा कि आप कल्पना के साथ यथार्थ के रंगभर कर राष्ट्रप्रेम का खांचा खींचते हैं तो विरासत और विकास साथ- साथ होते हैं| इस किताब में यही बताया गया है| विद्योतमा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुबोध मिश्र  ने कहा कि इस कहानी के नायक सूर्य प्रकाश और रहीस हमारी सांझी सांस्कृतिक विरासत को सँजोते हैं| समाज को जाति- धर्म में बांटने वाली ताकतों को लड़कर हराते हैं|  आयोजक मनोज चंदेल ने कहा कि एक स्वयंसेवक के संघर्ष से लेकर राष्ट्र के नेतृत्वकर्ता बनने की कहानी है| इस मौके पर यलो पेजेज़ कानपुर के आशीष वर्मा, शिल्पायन प्रकाशन के उमेश शर्मा, राखी बक्शी, अमित वाजपेई ने विचार प्रकट किए|

ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मों की सामग्री का हो सशक्त नियमन : विजय त्रिपाठी

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  • अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से उठी मांग

लखनऊ। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् अवध प्रांत द्वारा शनिवार को दारूलशफा में आयोजित प्रेस वार्ता में प्रांत अध्यक्ष विजय त्रिपाठी ने भारत की सांस्कृतिक गरिमा पर पड़ रहे विपरीत प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुए ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मों की सामग्री के सशक्त नियमन की आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया कि इस विषय पर परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव मध्य प्रदेश के रीवा में 7 से 9 नवम्बर को सम्पन्न तीन दिवसीय 17वें राष्ट्रीय अधिवेशन में अनुमोदित किया गया। अधिवेशन में राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर, राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री मनोज कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुशील चंद्र त्रिवेदी, राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. पवनपुत्र बादल तथा आरएसएस के सह-सरकार्यवाह अतुल लिमये की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। अधिवेशन का केंद्रीय भाव “आत्मबोध से विश्वबोध” रहा तथा उद्घाटन सत्र में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने भारतीय “स्व” पर आधारित प्रेरक उद्बोधन दिया।

प्रांत सह-महामंत्री डॉ. बलजीत श्रीवास्तव ने बताया कि विभिन्न सत्रों में साहित्य, संस्कृति और राष्ट्र से जुड़े विचारों पर व्यापक चर्चा हुई। अंतिम सत्र में राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने परिषद की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की, जिसमें राष्ट्रीय संगठन मंत्री मनोज कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुशील चंद्र त्रिवेदी, राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. पवनपुत्र बादल, राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. नीलम राठी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. दिनेश प्रताप सिंह एवं के.सी. अजय कुमार, राष्ट्रीय मंत्री डॉ. भरत ठाकोर और नरेंद्र कुमार, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष प्रकाश बैताला तथा केंद्रीय कार्यालय प्रमुख संजीव सिन्हा सहित विभिन्न प्रकोष्ठों के पदाधिकारी शामिल हैं। परिषद की पत्रिका ‘साहित्य परिक्रमा’ के संपादक डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष पूर्ववत् दायित्व निभाते रहेंगे। अधिवेशन में लगभग 1500 प्रतिभागियों ने सहभागिता की।

मीडिया प्रमुख डॉ. अतुल मोहन सिंह ने जानकारी दी कि परिषद के निर्णयों अनुसार अवध प्रांत में 400 स्थानों पर गोलमेज चर्चाएँ, संघ साहित्य पर विमर्श, कवि-सम्मेलन और साहित्यिक संवाद वर्षभर आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि परिषद ने ओटीटी और गेमिंग ऐप्स पर बढ़ती हिंसक, अश्लील व संस्कृति-विरुद्ध सामग्री पर कड़ी चिंता जताते हुए स्वतंत्र नियामक संस्था के गठन, संवैधानिक व सांस्कृतिक गरिमा की रक्षा हेतु कड़ी निगरानी, आयु-आधारित नियंत्रण तथा दुराचार को बढ़ावा देने वाले मंचों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। प्रेस वार्ता में डॉ. एस.के. गोपाल, राजेंद्र पाण्डेय सहित अनेक साहित्यप्रेमी एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।