Tuesday, June 3, 2025
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आपातकाल लगाना धर्म को अपवित्र करना :  उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि आपातकाल लगाना धर्म को अपवित्र करना है जिसे न तो अनदेखा किया जा सकता है और न ही भुलाया जा सकता है। आज गुजरात विश्वविद्यालय में आठवें अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन को संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि “इस महान राष्ट्र को 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा कठोर आपातकाल की घोषणा के साथ लहूलुहान किया गया था, जिन्होंने धर्म की घोर और अपमानजनक अवहेलना करते हुए सत्ता और स्वार्थ से चिपके रहने वाले तानाशाही रूप से काम किया था। वास्तव में, यह धर्म का अपवित्रीकरण था।”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि “यह अधर्म था जिसे न तो स्वीकार किया जा सकता है और न ही माफ किया जा सकता है। वह अधर्म था जिसे अनदेखा या भुलाया नहीं जा सकता। एक लाख से ज्यादा लोगों को कैद कर लिया गया। उनमें से कुछ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपाध्यक्ष बन गए और सार्वजनिक सेवा के लिए काम किया और यह सब एक की सनक को संतुष्ट करने के लिए किया गया था।”

हाल ही में 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि “धर्म को श्रद्धांजलि के रूप में, धर्म के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में, धर्म की सेवा के रूप में, धर्म में विश्वास के रूप में, 26 नवंबर को संविधान दिवस और 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाना आवश्यक है। धर्म के उल्लंघन की गंभीर याद दिलाते हैं और संवैधानिक धर्म के उत्साही पालन का आह्वान करते हैं। इन दिनों का पालन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि लोकतंत्र के सबसे बुरे अभिशाप के दौरान सभी तरह की जांच, संतुलन और संस्थान ध्वस्त हो गए, जिसमें उच्चतम न्यायालय भी शामिल था।”

उन्होंने कहा कि “धर्म का पोषण करना आवश्यक है, धर्म को बनाए रखने के लिए हमें पर्याप्त रूप से जानकारी प्राप्त है। हमारे युवाओं, नई पीढ़ियों को इसके बारे में और अधिक स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए ताकि हम धर्म के पालन में मजबूत हो सकें और उस खतरे को बेअसर कर सकें जिसका हमने एक बार सामना किया था।”

लोगों की सेवा के लिए सौंपे गए राजनीतिक प्रतिनिधियों के बीच धर्म से बढ़ते अलगाव पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सत्ता के वरिष्ठ पदों पर बैठे लोग ईमानदारी, पारदर्शिता और न्याय के अपने पवित्र कर्तव्य से भटक रहे हैं, धर्म के मूल तत्व के विपरीत कार्यों में संलग्न हैं। उन्होंने कहा कि परेशान करने वाली प्रवृत्ति उन नागरिकों के विश्वास को कम करती है जिन्होंने इन नेताओं में अपना विश्वास व्यक्त किया है।

संसद में धर्म के पालन की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर बल देते हुए, श्री धनखड़ ने वर्तमान राजनीतिक माहौल पर चिंता व्यक्त की, जो व्यवधानों और गड़बड़ियों से चिह्नित है, जो जन प्रतिनिधियों के संवैधानिक जनादेश से समझौता करते हैं, कर्तव्य की ऐसी विफलताओं को इसके चरम पर प्रतिबिंब करते हैं।

उन्होंने नागरिकों से अपने प्रतिनिधियों को उनके संवैधानिक कर्तव्यों के बारे में बताने का आह्वान किया, उनसे धर्म की भावना को पहचानने और मानवता की भलाई को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा माहौल नहीं बनाना चाहिए या ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए जो मानवता विरोधी और राष्ट्रविरोधी हों।

समकालीन वैश्विक संदर्भ में धर्म और धम्म की बढ़ती प्रासंगिकता पर जोर देते हुए, श्री धनखड़ ने वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति द्वारा संचालित तेजी से परिवर्तनों के बीच नैतिक और सार्वजनिक सिद्धांतों का पालन करने की तात्कालिकता पर जोर दिया।

राज्य के सभी अंगों को उनके निर्धारित स्थानों में सामंजस्यपूर्ण रूप से काम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने आगाह किया कि इस रास्ते के उल्लंघन के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि “व्यक्तियों और संस्थाओं को धर्म के अनुरूप होना अनिवार्य है और शक्ति एवं अधिकार तब सर्वोत्तम रूप से प्रभावशाली होते हैं जब उस शक्ति और अधिकार की सीमाओं का एहसास होता है। परिभाषित क्षेत्र से परे जाने की प्रवृत्ति में अधर्म के क्रोध को उजागर करने की क्षमता है। हमें अपने अधिकार का प्रभावशाली ढंग से उपयोग करने के लिए अपनी सीमाओं से बंधे रहने की आवश्यकता है। यह सर्वोत्कृष्ट रूप से मौलिक है कि राज्य के सभी अंग सद्भाव और अपने परिभाषित स्थान एवं डोमेन में कार्य करें। अपराध धर्म के मार्ग से विचलन हैं तथा कभी-कभी अत्यधिक दर्दनाक और आत्मघाती हो सकते हैं।”

श्री धनखड़ ने व्यक्तिगत लाभ के लिए जनता को गुमराह करने के लिए अपने पदों का उपयोग करने वाले जागरूक व्यक्तियों की खतरनाक प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए जोर देकर कहा कि इस तरह के कार्य धर्म के विरोधी हैं, जो समाज को एक गंभीर चुनौती देते हैं।

श्री धनखड़ ने कहा कि “यह धर्म के विपरीत है जब सचेत लोग जानबूझकर लोगों को अपने राजनीतिक लाभ के लिए भटकाने की कोशिश करते हैं या राष्ट्रीय हित से समझौता करते हुए अपने स्वार्थ को पूरा करते हैं। उनकी कार्रवाई चरम सीमा में अधर्म है! यह कितना दर्दनाक है कि एक वरिष्ठ राजनेता, एक बार शासन की कुर्सी पर बैठा हुआ यह घोषणा करता है कि पड़ोस में सार्वजनिक रूप से जो हुआ वह भारत में होना तय है। समाज के लिए यह कितनी गंभीर चुनौती है कि एक जानकार व्यक्ति, एक सचेत व्यक्ति जो वास्तविकता को जानता है, वह राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए भटके हुए लोगों को प्रेरित करने के लिए अपनी प्रतिष्ठित पद का उपयोग करता है। हमारे राष्ट्रवाद और मानवता को निशाना बनाने वाली ऐसी घृणित प्रवृत्तियों और घातक इरादों को हमारे धर्म के प्रति सम्मान के रूप में उचित जवाब देने की आवश्यकता है। ऐसी ताकतों को बर्दाश्त करना धर्म का कार्य नहीं होगा। धर्म ऐसी ताकतों को बेअसर करने की मांग करता है जो धर्म को नीचा दिखाने, हमारी संस्थाओं को कलंकित करने और हमारे राष्ट्रवाद को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं।”

इस अवसर पर श्री आचार्य देवव्रत, गुजरात के माननीय राज्यपाल, श्री भूपेन्द्र पटेल, गुजरात के माननीय मुख्यमंत्री, श्री विदुर विक्रमनायक, माननीय श्रीलंका सरकार के बुद्धशासन, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्य मंत्री, श्री शेरिंग, माननीय गृह मंत्री, भूटान सरकार, स्वामी श्री गोविंद देव गिरि जी महाराज, कोषाध्यक्ष श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, श्री बद्री प्रसाद पांडे, संस्कृति, पर्यटन और नागर विमानन मंत्री, नेपाल सरकार, प्रोफेसर नीरजा ए गुप्ता, कुलपति, गुजरात विश्वविद्यालय एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित हुए।

जाति जनगणना समतामूलक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

  • उपराष्ट्रपति ने कहा, जबरन धर्मांतरण के जरिए आस्था को हथियार बनाने से सामाजिक सदभाव नष्ट होता है
  • उपराष्ट्रपति ने मुंबई में अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस) के 65वें और 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

मुंबई : उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा, “कुछ भौगोलिक क्षेत्रों की संरचना को बदलने के उद्देश्य से सुनियोजित, व्यवस्थित एवं गलत तरीके से परिवर्तन किए जा रहे हैं। युवा मित्रों, हमारी जनसांख्यिकी में ये सुनियोजित परिवर्तन अक्सर ऐसे राजनीतिक या रणनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित होते हैं, जो निश्चित रूप से हमारे राष्ट्र के लिए ठीक नहीं हैं। ये हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन को बाधित करते हैं। इस तरह के खतरनाक प्रवृतियों पर सतर्क निगरानी और भारत की अखंडता एवं संप्रभुता की रक्षा हेतु निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है। ये बेहद चिंताजनक प्रवृतियां हैं। धीमी और दीर्घकालिक जनसांख्यिकीय बदलावों के उलट, जो सामान्य व स्वाभाविक है, जनसांख्यिकीय परिवर्तन होते हैं। उन्हें होना ही है, लेकिन वे आमतौर पर धीमे और दीर्घकालिक होते हैं। नैसर्गिक जनसांख्यिकीय बदलाव धीरे-धीरे होते हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों की जनसांख्यिकीय संरचना में जानबूझकर एवं सुनियोजित परिवर्तन एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है।”

मुंबई स्थित अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस) के 65वें एवं 66वें दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, “शांति लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए आवश्यक एवं मौलिक है। कभी न भूलें कि शांति मजबूत स्थिति से ही हासिल होती है। लोकतंत्र तभी फल-फूल एवं समृद्ध हो सकता है, जब शक्ति, प्रभावी सुरक्षा, आर्थिक सुदृढ़ता एवं आंतरिक सदभाव से अर्जित शांति हो। इतिहास इसका प्रमाण है। आक्रमणों को विफल किया जा सकता है और शांति तभी हासिल की जा सकती है, जब हम युद्ध के लिए सदैव तैयार रहें। भारत ने विश्व को संदेश दिया है। अब हम आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम इसे समाप्त करेंगे और इसके स्रोत को नष्ट करेंगे। शांति का अर्थ संघर्ष का अभाव नहीं है। यह तैयारी की उपस्थिति है। लोकतंत्र सुरक्षा की उपजाऊ मिट्टी में पनपा एक नाजुक फूल है। यदि सुरक्षा नहीं है, तो लोकतंत्र समृद्ध नहीं हो सकता। आर्थिक अवसर की धूप और सामाजिक सदभाव के स्थिर राज के लिए भी शांति की आवश्यकता होती है।”

सुरक्षा और राष्ट्रीय दृढ़ता के मामलों पर, श्री धनखड़ ने कहा, “शांति के बिना, लोकतंत्र भय, अविश्वास और अराजकता में बदल जाता है। लेकिन हमें शांति को निष्क्रियता के रूप में नहीं समझना चाहिए। स्थायी शांति कभी दी नहीं जाती है – इसे अर्जित किया जाता है और इसका बचाव किया जाता है। एक राष्ट्र निर्णायक नीतियों द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था में सुदृढ़ता लाकर अपनी सीमाओं को सुरक्षित करता है – तब राष्ट्र शांति का किला बन जाता है। हमें इस क्षेत्र में एक शक्तिशाली सैन्य शक्ति के रूप में उभरना होगा। हाल ही में उभरे गठबंधनों का उदय, जिन्हें हमने निर्णायक रूप से पराजित किया – हमें उनके बारे में हमेशा सजग रहना होगा। हमें प्राचीन ज्ञान को अपनाना चाहिए। और ध्यान रहे, भारत अपने प्राचीन शास्त्रों के कारण ज्ञान का एक वैश्विक खजाना है। शांति का मंत्र है। यदि हम शांति में विश्वास करते हैं, तो इस राष्ट्र ने कभी विस्तार में विश्वास नहीं किया है।“

शासन में परिवर्तनकारी सुधार का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने भारत सरकार के निर्णय की सराहना की। उन्होंने कहा, “भारत सरकार द्वारा हाल ही में लिया गया निर्णय – एक परिवर्तनकारी निर्णय एवं  शासन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है – आगामी दशकीय जनगणना में जाति-आधारित गणना को शामिल करने से संबंधित है। यह परिवर्तनकारी साबित होगा। यह हमें समानता लाने हेतु न्यायसंगत तरीके से आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करेगा  और सामाजिक न्याय की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा। आंकड़े उपलब्ध होने पर यह हमें असमानताओं के बारे में हमारी समझ को समृद्ध करने में भी मदद करेगा। क्योंकि अगर असमानताएं हैं, तो वे गैर-बराबरी पैदा करती हैं और उसका प्रसार करती हैं। यह शासन का सार नहीं है। और इसलिए, ये जाति-आधारित जनगणनाएं जो आंकड़े देंगी, वे हमें लक्षित विकास के लिए मार्गदर्शन करेंगी। विकास उन क्षेत्रों में पहुंचेगा जहां इसकी आवश्यकता है। मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि आईआईपीएस जैसी संस्थाएं ऐसे आंकड़ों की व्याख्या करने और समावेशी समाधान सुझाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने हेतु असाधारण रूप से तैयार हैं।”

उन्होंने भारत के सामाजिक ताने-बाने को खतरे में डालने वाली गहरी चिंताजनक प्रवृत्तियों के बारे में चेतावनी देते हुए कहा, “भारत जनसांख्यिकीय बदलावों के संबंध में चिंताजनक एवं कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहा है, जो अनियंत्रित अवैध प्रवासियों द्वारा संचालित है और साथ ही एक अन्य भयावह तंत्र – आकर्षक व चालाकीपूर्ण धर्मांतरण – भी है, जो हमारे सामाजिक ताने-बाने को विकृत कर रहा है। ये सामान्य चुनौतियां नहीं हैं। ये अस्तित्व से जुड़ी ऐसी चुनौतियां हैं जिनके लिए तत्काल, दृढ़ और कारगर राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। अब कार्रवाई करने का समय है। स्पष्टता और दृढ़ विश्वास के साथ कार्रवाई करने का समय है, क्योंकि यह टाइम बम विस्फोट की कगार पर है। हमें अपनी सभ्यता की प्रामाणिकता, पवित्रता और अखंडता को बनाए रखने हेतु अटूट, अदम्य एवं दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करना होगा।”

सुनियोजित जनसांख्यिकीय हस्तक्षेप की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “जब जनसांख्यिकीय संतुलन में जैविक विकास द्वारा नहीं बल्कि भयावह सुनियोजित तरीकों द्वारा हेरफेर किया जाता हो, तो यह प्रवासन का सवाल नहीं रह जाता है – यह जनसांख्यिकीय आक्रमण का सवाल है। भारत ने इसे झेला है। लाखों अवैध प्रवासी हैं। क्या हम उनसे पीड़ित हो सकते हैं? हमें इस देश में ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो हमारी सभ्यता के प्रति प्रतिबद्ध हों, जो भारतीयता में विश्वास रखते हों, जो हमारे राष्ट्रवाद में विश्वास रखते हों, जो देश के लिए अपना जीवन बलिदान करने के लिए तैयार हों।”

उन्होंने धर्मांतरण पर आधारित उन रणनीतियों पर चिंता जताई, जो सामाजिक एकता को खंडित करती हैं। उन्होंने कहा, “जबरन या प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरण के जरिए आस्था को हथियार बनाना भी उतना ही परेशान करने वाला, कष्टप्रद और गहरी चिंता का विषय है। जहां विश्वास की जगह प्रलोभन ने ले ली हो, वहां हर विश्वास स्वैच्छिक एवं वैकल्पिक होना चाहिए। यह प्रलोभन से प्रेरित है और एजेंडा के अनुसार इसका चुनाव किया जाता है। ये छिटपुट घटनाएं नहीं हैं। वे सामाजिक सदभाव एवं सांस्कृतिक सामंजस्य को नष्ट करती हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करती हैं। हमेशा याद रखें, और भारत दुनिया में इसके लिए जाना जाता है, लोकतंत्रों को दयालु होना चाहिए, लेकिन लोकतंत्र आत्मसंतुष्ट होने का जोखिम नहीं उठा सकता।”

उपराष्ट्रपति ने भारत के सभ्यतागत मूल्यों में निहित प्रामाणिक सार्वजनिक संवाद का पुरजोर आह्वान किया। उन्होंने कहा, “प्रामाणिक संवाद हमारा मूल सभ्यतागत मूल्य है। हम बयानबाजी नहीं कर सकते। हम अंध-राष्ट्रवाद नहीं कर सकते। सार्वजनिक संवाद प्रामाणिक होना चाहिए। उपनिषदों और धर्मशास्त्रों से मिली हमारी विरासत हठधर्मिता के बजाय संवाद और क्रोध के बजाय संयम का सम्मान करती है। मुझे कभी-कभी दुख होता है जब हठधर्मिता और क्रोध हावी हो जाते हैं। देश के नौजवानों, देश के युवाओं और देश के भावी कर्णधारों को सार्वजनिक संवाद को अधिक तर्कसंगत, समझदार और हमारी सभ्यतागत मूल्यों के अनुरूप बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। जनता के साथ संवाद की प्रामाणिकता मौलिक है। सुरक्षा से जुड़े पहलुओं जैसे कुछ अपवाद हैं, लेकिन बाकी के लिए, इससे समझौता नहीं किया जा सकता है। आइए हम फिर से दोहराएं कि लोकतंत्र की आत्मा ईमानदार, सच्चे, तथ्यात्मक रूप से संतुलित और सही संवाद में बसती है।”

भारत की समावेशी भावना और सभ्यतागत मूल्यों के बारे में, उन्होंने कहा, “दुनिया में कौन सा देश समावेशी विकास, समावेशी जीवन और सदभाव का दावा कर सकता है? सभ्यतागत भावना में गहराई से निहित हिंदू धर्म का बहुमत कभी भी बहुसंख्यकवाद से निर्देशित नहीं हुआ है। लोग इसे गलत समझते हैं। हिंदू धर्म का बहुमत बहुसंख्यकवाद नहीं है। ये आवेग हमारे लिए विरोधाभासी हैं। और दुनिया भर की अन्य परंपराओं में अंतर देखें। उनकी असहिष्णुता का स्तर, उनकी कट्टरता का स्तर। वे जनसांख्यिकीय विस्फोट के जरिए नियंत्रण करने के मिशन को निर्धारित करते हैं। हिंदू धर्म में विस्तारवाद का कोई स्थान नहीं है। सनातन में इसका कोई स्थान नहीं है। यह एक विचार है क्योंकि हम जीतना नहीं, बल्कि सह-अस्तित्व चाहते हैं।”

अपने भाषण का समापन करते हुए, उपराष्ट्रपति ने विकास के लिए जनसंख्या के आंकड़ों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता। ये तीन डी नए भारत की आत्मा को परिभाषित करते हैं। ये तीन स्तंभ भारत की पहचान और आकांक्षाओं के सार को समाहित करते हैं। जनसांख्यिकी प्रगति के इंजन को ईंधन देने वाली गतिशील मानव पूंजी का प्रतिनिधित्व करती है। लोकतंत्र सामूहिक निर्णय लेने के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करता है। किसी भी अन्य शासन में, निर्णय लेने की प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी नहीं होती है। उस दृष्टिकोण से, लोकतंत्र अनूठा है। और विविधता? भारत पूरी दुनिया को दर्शाया है कि विविधता क्या होती है। हमारे पास एक शानदार परिदृश्य, संस्कृतियों, परंपराओं और दृष्टिकोणों का एक स्पेक्ट्रम है जो हमारे महान ‘भारत’ को दुनिया में अनूठा बनाता है। जनसंख्या के आयामों, इसकी वृद्धि, वितरण और संरचना को समझना, ऐसी नीतियों को तैयार करने की दृष्टि से मौलिक है जो सतत विकास, आर्थिक प्रगति और सामाजिक सदभाव सुनिश्चित करती हैं। यह पहलू राष्ट्रीय सुरक्षा और सदभाव की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। मुझे पता है कि आप चुनौतियों से अवगत हैं। आपके आंकड़े उन लोगों को जागृत करेंगे, जिन्हें राक्षसी आयाम ग्रहण कर चुकी इन चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है।”

इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल, महाराष्ट्र के प्रोटोकॉल एवं विपणन मंत्री श्री जयकुमार रावल, आईआईपीएस के निदेशक एवं वरिष्ठ प्रोफेसर (अतिरिक्त प्रभार) प्रोफेसर डी. ए. नागदेवे तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

शिक्षा के भविष्य को आकार देने में एआई की होगी अहम भूमिका

  • अब वक्त आ गया है कि देश की मानवीय बुद्धिमत्ता एआई क्रांति का नेतृत्व करे : प्रधान

नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज नई दिल्ली में सेंटर ऑफ पॉलिसी रिसर्च एंड गवर्नेंस (सीपीआरजी) द्वारा आयोजित ‘पढ़ाई: शिक्षा में एआई पर सम्मेलन’ के समापन सत्र में समापन भाषण दिया। इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्रालय की भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष श्री चमू कृष्ण शास्त्री, सीपीआरजी के निदेशक डॉ. रामानंद और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस महज़ एक तकनीक नहीं, बल्कि शक्ति को कई गुना बढ़ाने वाला और नवाचार की प्रेरणा देने वाला कारक है। उन्होंने कहा कि यह सहानुभूति और तकनीक के बीच का एक सेतु है। श्री प्रधान ने ज़ोर देते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि देश की मानव बुद्धिमत्ता, मौजूदा वक्त में एआई क्रांति का नेतृत्व करे।

प्रधान ने एआई पर सरकार द्वारा की गई अहम पहलों का भी ज़िक्र किया, जिनमें एआई में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना और भारतीय भाषाओं में एआई का लाभ उठाने और कक्षाओं में आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने की घोषणा शामिल है, जोकि एक ऐसी पहल है जो चॉकबोर्ड से चिपसेट तक के सफर में तमाम बदलावों को लाने में मददगार साबित हो रही हैं। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि स्कूली शिक्षा में एआई को एकीकृत करना अब विकल्प नहीं, बल्कि बेहद ज़रुरी हो गया है। उन्होंने शिक्षाविदों और तकनीकी विशेषज्ञों से इन विचारों पर मंथन करने और एआई पर नीतिगत सिफारिशें करने का आह्वान किया।

दो दिनों तक चले इस पढाई कॉन्क्लेव में भारतीय शिक्षा के भविष्य को आकार देने में एआई की भूमिका को लेकर विभिन्न विचार सामने आए। वक्ताओं ने चर्चा करते हुए बताया कि किस तरह एआई कक्षाओं से परे, सीखने की विचारधारा का विस्तार कर रहा है, उच्च शिक्षा को बदल रहा है और मौजूदा संस्थानों में मुश्किलों को दूर कर रहा है।

कार्यक्रम में शामिल प्रख्यात वक्ताओं में भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद, दिल्ली सरकार के गृह, बिजली, शहरी विकास, शिक्षा, उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री आशीष सूद, भारत सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डॉ. विनीत जोशी, इंडियाएआई मिशन के सीईओ श्री अभिषेक सिंह, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. पंकज अरोड़ा, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे, दिल्ली विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. योगेश सिंह, इन्फो एज के सह-संस्थापक श्री संजीव बिकचंदानी और दिल्ली के हिगाशी ऑटिज्म स्कूल की अध्यक्ष डॉ. रश्मि दास भी शामिल थे।

विवादों के सरताज, लालू के लाल तेज प्रताप

पटना : कभी सत्ता पर कसकर अपनी लगाम लगाने वाले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का परिवार बेलगाम नजर आ रहा है| लालू के बड़े पुत्र और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव की सोशल मीडिया पोस्ट आने के बाद यह विवाद सार्वजनिक हो गया है| तेज प्रताप की तथाकथित गर्लफ्रेंड की फोटो सामने आने के बाद लालू परिवार के साथ-साथ बिहार के सियासी गलियारे में खलबली मची हुई है| राजद सुप्रीमो ने अपने तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है|  लालू यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर तेज के व्यवहार को नैतिक मूल्यों की अवहेलना पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों के खिलाफ बताया| हालांकि लालू के इस डेमेज कंट्रोल के बावजूद कयास और चर्चाओं का दौर जारी है| लालू के भतीजे ने जहां तेज प्रताप को सीधा- साधा बताते हुए तंत्र- मंत्र की साजिश का दावा किया तो तेजप्रताप की एक और गर्लफ्रेंड होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं| इसको लेकर केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने ट्वीट कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि किसी “सिन्हा” के चक्कर में लालू परिवार अनुष्का यादव की ज़िंदगी भी बर्बाद करवा दे?

गौरतलब है कि यह कार्रवाई तेज प्रताप की एक विवादास्पद फेसबुक पोस्ट के बाद हुई, जिसमें उन्होंने अनुष्का यादव के साथ 12 साल के रिश्ते का दावा किया था| वहीं तेजप्रताप-अनुष्का की इस लव स्टोरी पर सियासी दलों की प्रतिक्रिया के साथ-साथ नए अपडेट भी सामने आ रहे हैं| जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने इसे “लालू परिवार की पुरानी आदत” करार देते हुए कहा कि पोस्ट डिलीट करना और सफाई देना राजद की रणनीति है| उधर तेज प्रताप के छोटे भाई ने भी उनसे पल्ला झाड लिया है| पूर्व डिप्टी सीएम भाई तेजस्वी यादव ने कहा कि हमें ऐसी चीजें न तो पसंद हैं और न बर्दाश्त|

 पूरे मामले पर तेज प्रताप की पत्नी ऐश्वर्या राय की भी प्रतिक्रिया आई है| कोर्ट में फिलहाल दोनों के तलाक का मुकदमा चल रहा है| ऐश्वर्या राय ने कहा है कि जब परिवार को पता था तो फिर मेरी जिंदगी क्यों बर्बाद की| ये लोग सब मिले हुए हैं| उन्होने कहा कि उनके तलाक की जानकारी भी मीडिया से मिली थी|  लालू परिवार का सामाजिक न्याय कहाँ था जब ऐश्वर्या राय मारा गया पीटा गया!!

देश में फैलेगा जलमार्ग नेटवर्क, 47 नए राष्ट्रीय जलमार्ग 2027 तक

अंतर्देशीय जलमार्ग 11 राज्यों से बढ़कर 23 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों तक विस्तारित होंगे: सर्बानंद सोनोवाल

  • पूर्वोत्तर में अंतर्देशीय जलमार्ग विकास के लिए अगले 5 वर्षों में ₹5,000 करोड़ का रोडमैप जल्द

मुंबई : केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज मुंबई में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन पर परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में यह बात सामने आई कि 2027 तक 76 जलमार्गों को चालू करने का लक्ष्य रखा गया है, और वित्तीय वर्ष 2026 के अंत तक कार्गो मात्रा 156 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) तक बढ़ने की उम्मीद है। मंत्रालय के तहत नोडल एजेंसी, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने प्रमुख परियोजनाओं, भविष्य के अनुमानों और आगे के रोडमैप की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत की। बैठक में उपस्थित सांसदों ने प्रगति की सराहना की और इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए बजटीय आवंटन में बढ़ोतरी का समर्थन किया।

अंतर्देशीय जल परिवहन का दायरा वित्तीय वर्ष 2024 में 11 राज्यों से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2027 तक 23 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों तक विस्तारित होने की उम्मीद है। इस बढ़ोतरी को समर्थन देने के लिए, 10 जनवरी 2025 को आयोजित अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (आईडब्ल्यूडीसी) की बैठक के दौरान ₹1,400 करोड़ की परियोजनाओं की शुरुआत या घोषणा की गई। इसके अतिरिक्त, आईडब्ल्यूएआई हर महीने 10,000 किमी की देशांतरीय सर्वेक्षण कर रहा है ताकि नौवहन क्षमता में सुधार के लिए न्यूनतम उपलब्ध गहराई (एलएडी) का आकलन किया जा सके। कार्गो वॉल्यूम में मार्च 2026 तक 156 एमटीपीए तक की बढ़ोतरी होने की संभावना है, जो मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 के 200 एमटीपीए के लक्ष्य के करीब है।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “अंतर्देशीय जलमार्ग भारत के लॉजिस्टिक्स और परिवहन पारिस्थितिकी तंत्र में एक निर्णायक क्षण के रूप में उभर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, हम राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016, अंतर्देशीय पोत अधिनियम 2021 और जल मार्ग विकास परियोजना, अर्थ गंगा, जलवाहक योजना, जल समृद्धि योजना, जलयान और नाविक जैसे कई कार्यक्रमों के साथ एक परिवर्तनकारी बदलाव देख रहे हैं। समुद्री भारत दृष्टिकोण 2030 और समुद्री अमृत काल दृष्टिकोण 2047 के माध्यम से, ये रोडमैप केवल नीतिगत दस्तावेज नहीं हैं बल्कि ये भारत को वैश्विक समुद्री महाशक्ति बनाने की दिशा में उत्प्रेरक हैं। आज सम्मानित संसद सदस्यों के साथ बैठक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और हमारी नदियों और तटों की अपार आर्थिक क्षमता को उजागर करने की एकीकृत प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया जाए और हमारी नदियों और तटों की अपार आर्थिक संभावनाओं को अनलॉक किया जाए। बढ़े हुए बजटीय समर्थन और सहकारी संघवाद के साथ, हम देश भर में हरित, अधिक कुशल और भविष्य के लिए तैयार जलमार्ग नेटवर्क का निर्माण कर रहे हैं।”

क्षेत्रीय जलमार्ग ग्रिड का उद्देश्य वाराणसी से डिब्रूगढ़, करीमगंज और बदरपुर तक आईबीपी मार्ग के माध्यम से निर्बाध पोत आवागमन सुनिश्चित करके आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है, जिससे 4,067 किमी का आर्थिक गलियारा बनेगा। जंगीपुर नेविगेशन लॉक के नवीकरण के लिए एक ट्रैफिक अध्ययन और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्रक्रिया में है। इस परियोजना की कार्गो क्षमता 2033 तक 32.2 एमटीपीए होने का अनुमान है।

राष्ट्रीय जलमार्ग 1 (गंगा) पर, 1,390 किमी का एक समर्पित जलमार्ग गलियारा विकसित किया जा रहा है ताकि पोतों की निर्बाध आवाजाही सक्षम हो, जिससे अंतर्देशीय परिवहन की दक्षता बढ़े। इस पहल के हिस्से के रूप में, राष्ट्रीय जलमार्ग -1 की क्षमता वृद्धि की जा रही है ताकि 1,500–2,000 डीडब्ल्यूटी पोतों की नौवहन को समर्थन दिया जा सके, साथ ही वाराणसी (एमएमटी), कलुघाट (आईएमटी), साहिबगंज (एमएमटी) और हल्दिया (एमएमटी) में प्रमुख कार्गो हैंडलिंग सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है।

पूर्वोत्तर में अंतर्देशीय जलमार्ग की प्रमुख परियोजनाएं हैं। अगले पांच वर्षों में ₹5,000 करोड़ का रोडमैप नियोजित है। राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (ब्रह्मपुत्र) पर, चार स्थायी टर्मिनल—धुबरी, जोगीघोपा, पांडु और बोगीबी—और 13 अस्थायी टर्मिनल नौवहन और फेयरवे अपग्रेड द्वारा समर्थित हैं। पांडु में ₹208 करोड़ की जहाज मरम्मत सुविधा और ₹180 करोड़ की वैकल्पिक सड़क क्रमशः 2026 और 2025 तक पूरी होने वाली हैं। राष्ट्रीय जलमार्ग-16 (बराक) पर, करीमगंज और बदरपुर में टर्मिनल सक्रिय हैं, जबकि राष्ट्रीय जलमार्ग-31 (धनसिरी) का विकास NRL के विस्तार को समर्थन देने के लिए विकसित किया जा रहा है।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आगे कहा, “हरित नौका दिशानिर्देशों के अनुरूप, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण हरित और टिकाऊ परिवहन समाधानों के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें इलेक्ट्रिक कैटामरैन और हाइड्रोजन ईंधन सेल-संचालित पोतों की खरीद शामिल है। वाटर मेट्रो परियोजनाओं के माध्यम से शहरी जल परिवहन को मजबूत करके और पर्यावरण-अनुकूल क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देकर, हम अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन में एक स्वच्छ, हरित भविष्य की दिशा में मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। क्षेत्रीय जलमार्ग ग्रिड का लक्ष्य असम और पूर्वोत्तर को अंतर्देशीय जलमार्गों के एकीकृत नेटवर्क के माध्यम से भारत के बाकी हिस्सों से निर्बाध रूप से जोड़ना है। यह क्षेत्रीय व्यापार, पर्यटन और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा, साथ ही ब्रह्मपुत्र और बराक नदी प्रणालियों में आर्थिक संभावनाओं को खोलेगा। सरकार अगले पांच वर्षों में पूर्वोत्तर में अंतर्देशीय जलमार्ग विकास के लिए ₹5,000 करोड़ के रोडमैप पर भी काम कर रही है।”

समिति ने राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा), राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (ब्रह्मपुत्र) के साथ-साथ ओडिशा, जम्मू और कश्मीर, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे अन्य राज्यों में चल रहे कार्यों की भी समीक्षा की।

भारत में नदी क्रूज़ पर्यटन तेज़ी से फल-फूल रहा है। वर्तमान में 13 राष्ट्रीय जलमार्गों पर फैले 9 राज्यों में 15 रिवर क्रूज़ सर्किट सक्रिय हैं। 2013-14 में जहां केवल 3 राष्ट्रीय जलमार्गों पर क्रूज़ सेवाएं थीं, वहीं 2024-25 में इनकी संख्या बढ़कर 13 हो गई है। इसी अवधि में लक्ज़री रिवर क्रूज़ जहाजों की संख्या भी 3 से बढ़कर 25 हो चुकी है। अंतर्देशीय जल-आधारित पर्यटन को और बढ़ावा देने के लिए 2027 तक 47 राष्ट्रीय जलमार्गों पर 51 अतिरिक्त क्रूज़ सर्किट विकसित किए जाएंगे। इसके साथ ही तीन विश्व स्तरीय रिवर क्रूज़ टर्मिनल भी बनाए जा रहे हैं—कोलकाता में निर्माण कार्य जारी है, जबकि वाराणसी और गुवाहाटी में टर्मिनलों की व्यवहार्यता रिपोर्ट (Feasibility Studies) आईआईटी मद्रास द्वारा तैयार की जा रही है। इसके अलावा, सिलघाट, बिश्वनाथ घाट, नेमती और गुजान में भी 2027 तक चार और टर्मिनलों का विकास प्रस्तावित है।

इस अवसर पर पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्यमंत्री श्री शंतनु ठाकुर ने कहा: “भारत में रिवर क्रूज़ पर्यटन को आगे बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें आधुनिक क्रूज़ टर्मिनल और संबंधित बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है। निजी उद्यमों के साथ रणनीतिक साझेदारियों और समझौतों (MoUs) के माध्यम से हम गंगा और ब्रह्मपुत्र पर लक्ज़री रिवर क्रूज़ को प्रोत्साहित कर रहे हैं, साथ ही यमुना, नर्मदा और जम्मू-कश्मीर की प्रमुख नदियों पर भी क्रूज़ पर्यटन का विस्तार किया जा रहा है। ये पहल न केवल पर्यटन को बढ़ावा देती हैं, बल्कि हमारे कार्यक्षेत्र वाले क्षेत्रों में टिकाऊ आर्थिक विकास में भी योगदान करती हैं।”

परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने की, जबकि पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री श्री शांतनु ठाकुर भी मौजूद थे. बैठक में शत्रुघ्न प्रसाद सिन्हा, लोकसभा सांसद (आसनसोल, पश्चिम बंगाल), बिभु प्रसाद तराई, लोकसभा सांसद (जगदीशपुर, ओडिशा), हिबी ईडन, लोकसभा सांसद (एर्नाकुलम, केरल), एम.के. राघवन, लोकसभा सांसद (कोझिकोड, केरल), नबा चरण माझी, लोकसभा सांसद (मयूरभंज, ओडिशा), अभिमन्यु सेठी, लोकसभा सांसद (ओडिशा) और सीमा द्विवेदी (राज्यसभा सांसद, उत्तर प्रदेश) ने भी हिस्सा लिया।

आत्मबोध से विकसित होगी विश्वबोध की भावना

  • अखिल भारतीय साहित्य परिषद, महानगर लखनऊ की संगोष्ठी

लखनऊ:  अखिल भारतीय साहित्य परिषद, महानगर लखनऊ के द्वारा संगोष्ठी का आयोजन  किया गया आत्मबोध से विश्वबोध विषय पर चिंतन करते हुए वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये। अध्यक्ष निर्भय नारायण गुप्त,  की उपस्थित मे एवं  डा ममता पंकज के संचालन मे प्रवीण कुमार,श्रीवास्तव प्रेम,पायल लक्ष्मी सोनी,डाॅ अलका अस्थाना अमृतमयी’, ज्योति किरन रतन, शैलेन्द्र प्रताप अवस्थी,आशीष पाण्डेय, माधुरी महाकाश,दिनेश सिंह,डॉ ममता पंकज, मृगांक श्रीवास्तव,महेन्द्र भीष्म, ज्योत्स्ना विपाठी, आर्यावर्ती सरोज आर्या, गोपाल नारायण श्रीवास्तव निर्भय नारायण गुप्त, संतोष कुमार कौशल , सजीव श्रीवास्तव,मानस मुकुल त्रिपाठी। 

संस्कारो, आचार-विचार, लव जिहाद जैसी बातो को उठाते हुए  संगोष्ठी  प्रारंभ हुई। गोस्वामी जी के मानस मे राम और रावण के चरित्रों के  माध्यम से विश्व स्तर पर आत्म बोध के प्रचार प्रसार से विश्वबंधुतव की भावना का विकास कैसे किया जा सके ।इस पर गहन चर्चा हुई।  शंकराचार्य,  स्वामी विवेकानंद, महात्मा बुद्ध,  जैसे महान चरित्रो के आत्म बोध चिंतन को आधार बनाकर सारगर्भित विस्तृत चर्चा हुई।

ऐतिहासिक सफलता: संयुक्त दल ने फतह की माउंट एवरेस्ट

नई दिल्ली : देश के प्रमुख पर्वतारोहण संस्थानों जवाहर पर्वतारोहण एवं शीतकालीन खेल संस्थान (जेआईएमएंडडब्ल्यूएस) पहलगाम, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम) उत्तरकाशी और हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान (एचएमआई) दार्जिलिंग के प्रशिक्षकों के एक संयुक्त अभियान दल ने 23 मई, 2025 को माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की।

रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ ने 26 मार्च, 2025 को नई दिल्ली से इस अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। इस अभियान का नेतृत्व एनआईएम उत्तरकाशी के प्रिंसिपल कर्नल अंशुमन भदौरिया और जेआईएम एंड डब्ल्यूएस पहलगाम के प्रिंसिपल कर्नल हेम चंद्र सिंह ने किया और इसमें पांच प्रशिक्षकों: हवलदार राजेंद्र मुखिया (जेआईएम एंड डब्ल्यूएस), श्री राकेश सिंह राणा (एनआईएम), सुब बहादुर पाहन (एनआईएम), श्री पासंग तेनजिंग शेरपा (एचएमआई), और हवलदार थुपस्तान  त्सेवांग (एचएमआई) की एक विशिष्ट टीम शामिल थी। इस दल ने अपने जलवायु अनुकूलन के भाग के रूप में 18 अप्रैल, 2025 को माउंट लोबुचे (6,119 मीटर) की चोटी पर भी चढ़ाई की थी।

पर्वतारोहियों ने कठिन मौसम और अत्यधिक ऊंचाई वाली परिस्थितियों का सामना करते हुए असाधारण साहस, लचीलेपन और टीम वर्क का प्रदर्शन किया, जिससे भारत के पर्वतारोहण इतिहास में एक नया मानदंड स्थापित हुआ है। एवरेस्ट बेस कैंप तक सुरक्षित उतरने के बाद टीम अब काठमांडू के लिए रवाना हो गई है।

खेलो इंडिया बीच गेम्स में 811 एथलीटों ने दिखाई प्रतिभा

खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने मणिपुर और नागालैंड को पोडियम फिनिश के लिए बधाई दी

भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने पहले खेलो इंडिया बीच गेम्स 2025 की सफल मेज़बानी के लिए दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव को हार्दिक बधाई दी। ये प्रतियोगिता 19 मई से शुरू हुई थी और शनिवार को आधिकारिक रूप से सम्पन्न हुई। समापन समारोह दीव के ऐतिहासिक आईएनएस खुखरी मेमोरियल पर आयोजित किया गया।

डॉ. मांडविया ने कहा, “दीव हमेशा मेरे दिल के करीब रहा है और मैं इस केंद्र शासित प्रदेश को खेलो इंडिया बीच गेम्स 2025 के सफल आयोजन के लिए दिल से बधाई देता हूं। यह हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का सपना है कि दीव भारत में बीच गेम्स का मुख्य केंद्र बने, और मुझे लगता है कि आयोजकों ने खिलाड़ियों को जो सहयोग, सुविधा और ध्यान दिया है, वह सराहनीय है।”

उन्होंने आगे कहा, “मणिपुर को पहले स्थान पर रहने के लिए विशेष बधाई। उसके बाद महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर और नागालैंड तीसरे स्थान पर रहा। मैं नागालैंड को पहली बार किसी खेलो इंडिया प्रतियोगिता में टॉप-3 में आने के लिए विशेष रूप से बधाई देता हूं। मणिपुर ने विशेष रूप से पेंचक सिलाट में जबरदस्त साहस और कौशल दिखाया है। मैं दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव (DNHDD) तथा जम्मू-कश्मीर को भी उनकी खेल प्रतिभा को बढ़ावा देने और उत्कृष्टता की संस्कृति को मजबूत करने के लिए बधाई देता हूं।”

खेलो इंडिया बीच गेम्स के इस संस्करण में कुल 811 एथलीटों ने भाग लिया, जो छह पदक खेलों – पेंचक सिलाट, सेपक टकरॉ, बीच सॉकर, बीच वॉलीबॉल, ओपन वॉटर स्विमिंग और कबड्डी  में प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। मल्लखंभ और रस्साकशी को प्रदर्शन खेलों के रूप में शामिल किया गया था। कुल 46 स्वर्ण पदकों के लिए प्रतिस्पर्धा हुई और पूरे भारत से 31 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने भाग लिया।

डॉ. मांडविया ने यह भी कहा, “पदक तालिका से परे, यह याद रखना जरूरी है कि खेलों में कोई हारता नहीं है – या तो आप जीतते हैं या सीखते हैं। यह पहली बार था कि बीच गेम्स को खेलो इंडिया के अंतर्गत आयोजित किया गया, और मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूं कि आपने स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और राष्ट्रीय गर्व की भावना को मजबूत किया।”

खेल राज्य मंत्री श्रीमती रक्षा निखिल खडसे, जो समापन समारोह की मुख्य अतिथि थीं, ने कहा, “खेलो इंडिया बीच गेम्स ने एक नए युग की शुरुआत की है। हमारे युवाओं ने दिऊ के तटों को अपनी प्रतिभा की चमक से रोशन कर दिया है।”

उन्होंने खेलो इंडिया मिशन के उद्देश्यों को दोहराते हुए कहा, “खेलो इंडिया पहल का उद्देश्य देशभर में जमीनी स्तर पर खेल संस्कृति को मजबूत करना है। खेलो इंडिया बीच गेम्स इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं। इन खेलों ने कई रोमांचक और कम प्रसिद्ध तटीय और जल क्रीड़ाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है।”

पूर्वोत्तर भारत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मणिपुर, नागालैंड और असम जैसे राज्यों ने शानदार प्रदर्शन किया है। “पूर्वोत्तर भारत में खेल प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और हमारी सरकार की प्राथमिकता है कि इस प्रतिभा का पूरा उपयोग हो। इन राज्यों का मजबूत प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि यदि उन्हें उचित अवसर और प्रोत्साहन मिले, तो वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कमाल कर सकते हैं,” उन्होंने कहा।

खेलो इंडिया बीच गेम्स के बारे में खेलो इंडिया बैनर के तहत आयोजित यह पहला बीच गेम्स है। खेलो इंडिया योजना के खेल प्रतियोगिता और प्रतिभा विकास के तहत 19 मई से 24 मई, 2025 तक दीव, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव में खेल आयोजित किए जा रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य बीच गेम्स को बढ़ावा देना और बीच गेम्स की पहुँच और लोकप्रियता को बढ़ाना है। इस संस्करण में छह पदक वाले खेल बीच सॉकर, बीच वॉलीबॉल, बीच सेपक टकरा, बीच कबड्डी, पेनकैक सिलाट और ओपन वॉटर स्विमिंग शामिल हैं। दो (गैर-पदक) डेमो गेम- मल्लखंब और रस्साकशी को भी दीव खेलो इंडिया बीच गेम्स में शामिल किया गया है।

ब्राजील की ब्रिक्स संस्कृति में महकेगी भारत की खुशबू

केंद्रीय मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे

नई दिल्ली : 26 मई 2025 को ब्राजील के ब्रासीलिया में होने वाली आगामी ब्रिक्स संस्कृति मंत्रियों की बैठक में भारत सक्रिय रूप से भाग लेगा। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे और उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय बैठक में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।

ब्रिक्स सांस्कृतिक मंत्रियों का सम्मेलन ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के सदस्य देशों के बीच आपसी समझ, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सहयोगात्मक पहल को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। इस वर्ष की बैठक में सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करने, संस्थागत सहयोग को बढ़ाने और ब्रिक्स देशों की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित करने और उसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से संयुक्त सांस्कृतिक परियोजनाएं विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत सांस्कृतिक नीतियों, विरासत संरक्षण और लोगों के बीच संपर्क के प्रति भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालेंगे। इसके साथ ही वह वैश्विक सांस्कृतिक क्षेत्र में भारत के अद्वितीय योगदान और हालिया उपक्रमों को भी प्रस्तुत करेंगे।

यह सम्मेलन भारत को रंगमंच, दृश्य कला, साहित्य, विरासत संरक्षण और रचनात्मक उद्योग जैसे क्षेत्रों में सहयोग के नए अवसर भी प्रदान करेगा। भारत ब्रिक्स के माध्यम से बहुपक्षीय सहयोग और समावेशी सांस्कृतिक प्रगति को बढ़ावा देगा।

मंत्रिस्तरीय वार्ता के अलावा भारतीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा सांस्कृतिक साझेदारी, आदान-प्रदान कार्यक्रमों और सहयोगात्मक उत्सवों पर चर्चा करने के लिए ब्रिक्स देशों के समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकों में भाग लेने की भी उम्मीद है।

भारत मजबूत सांस्कृतिक संरचनाओं के निर्माण, अंतर-सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देने तथा अधिक समावेशी और सामंजस्यपूर्ण वैश्विक व्यवस्था के निर्माण के लिए ब्रिक्स भागीदारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

नए भारत की नई शौर्य गाथा का शुभारंभ

  • डॉ मनीष शुक्ल

आतंक का कोई धर्म नहीं है| सच है! पर आतंक की जड़ें जरूर होती हैं जो समाज को खोखला करती हैं| देश की सीमाओं से निकलकर समूचे विश्व को तबाह करने की साजिश रचती हैं| अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनियाँ भर के देशों ने ये साजिश झेली है| भारत पिछले चालीस वर्षों से पाकिस्तान की आतंकी साजिश से पीड़ित है|

हरियाणा की यू ट्यूबर ज्योति मल्होत्रा आतंक की इसी जड़ में जकड़ ली गई है| जिसको पानी देने वाले आतंक के आका पाकिस्तान में फले- फूले हैं| भारत के खिलाफ युद्ध में हर कोई निशाने पर है। आतंकवाद पाकिस्तान की राष्ट्रीय नीति है| इस नीति पर चलकर पिछले 75 सालों में वो गर्त में पहुंच चुका है| फिर ऐठन बाकी है| पाक के मंसूबे खुद तबाह होकर भारत को तबाह करने के हैं| भारत ने सैन्य ‘ऑपरेशन सिंदूर’के जरिये पाकिस्तान की इसी लाइलाज बीमारी का इलाज शुरू किया है|  बीती 22 अप्रैल को पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हमला पाक सेना और आतंकियों की साझा साजिश थी| इस हमले में देश भर के 26 नागरिक मारे गए| ये सभी अपने ही देश के स्वर्ग कश्मीर को देखने गए थे| पाक ने भारत पर न तो पहला आतंकी हमला किया था न ही आखिरी होगा| इससे पहले देश ने कश्मीर के मूल निवासियों के खिलाफ आतंकी युद्ध देखा| अस्सी के दशक के अंत में आतंकियों ने धर्म पूछकर कश्मीरी पंडितों को मार डाला| हजारों लोगों को अपना घर छोडकर रातों- रातों अपने ही देश के दूसरे स्थानों पर शरण लेनी पड़ी| पहलगाम में धर्म पूछकर बेगुनाहों को मारा गया| इससे पहले भारत की संसद पर हमला किया गया| दिल्ली लहूलुहान की गई| मुंबई पर दिये गए 26/ 11 आतंकी हमले के घाव आज तक नहीं भरे हैं| पुलावामा सैनिकों पर हुए हमलों से दहल गया| ये सिलसिला अंतहीन हैं| सैन्य शक्ति में हारने के बाद पाकिस्तान ने भारत पर आतंकी युद्ध रचे| साथ ही देश के अंदर ज्योति मल्होत्रा जैसे सर्पों को दूध पिलाकर भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया| हर बार देश की एकता अखंडता और संप्रभुता को चुनौती दी गई|

पर, ये नया भारत है| जो गोली का जवाब गोले से देता है| ये उसी भाषा में सबक सिखाता है जिस भाषा में सामने वाले को समझ में आता है| नागपुर में संघ मुख्यालय पर हमले की साजिश रचने वाले लश्कर- ए- तैयबा के आतंकी रजाउल्ला की पाकिस्तान में ही हत्या कर दी| नेपाल में सक्रिय इस आंतकी ने भारत में सीआरपीएफ के कैंप समेत कई हमले कराए थे| उसका अंत आतंक के गढ़ में ही गया| ये तो शुरुआत भर है| पाकिस्तान में पनाह लेने वाले आतंकियों के बीच वजूद बचाए रखने के लिए लड़ाई शुरू हो गई है| आतंक के आका अपने ही बुने जाल में फंस चुके हैं| सेना में दो फाड़ हो चुके हैं| पाकिस्तान के अलग- अलग क्षेत्र अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं| ये पाकिस्तान की आतंकी नीति का परिणाम है| जिसमें वो जल रहा है|

भारत एक जिम्मेदार संप्रभु राष्ट्र है| जो अपना हर कदम राष्ट्रहित और वैश्विक हित को ध्यान में रखकर उठाता है| ‘वसुधेव कुटुंबकम’ हमारा मूल मंत्र है| इसी कारण भारत ने प्रत्येक आतंकी हमले के बाद धैर्य का परिचय दिया| कूटनीतिक तरीके से पाकिस्तान को जवाब दिया| लेकिन वर्ष 2014 में देश की सत्ता में परिवर्तन के बाद भारत ने भी आतंक के खिलाफ अपनी नीति बदल दी है| उरी और पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक ने समूचे विश्व ने बदलते भारत की नई नीति देखी थी| पर पाकिस्तान ने तबाह होने का रास्ता ही चुना| इसी कारण एकबार फिर पाक के आतंकियों ने सेना और आईएसआई के साथ मिलकर पहलगाम हमले की साजिश रची| भारत कि बेटियों का सिंदूर मिटाने का दुस्साहस किया| इस बार भारत ने धैर्य की जगह शक्ति और शौर्य के प्रदर्शन का फैसला लिया| पीएम मोदी ने ऐलान किया कि आतंकियों को मिट्टी में मिला दिया जाएगा| ऐलान किया कि ‘शठे शाठ्यम समाचरेत’ भी हमारा ही मंत्र है| पाकिस्तान को उसकी भाषा में जवाब देने का फैसला लिया गया| फिर सात मई को शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर| भारत के इस ऑपरेशन ने न सिर्फ आतंकियों के ठिकाने नेस्तनाबूत कर दिये| हाफ़िज़ सईद और अज़हर मसूद जैसे आतंक के आकाओं की जड़ें हिला दी| मुख्य साजिशकर्ता पाकिस्तान के सेना प्रमुख को घंटों तक बंकर में छिपने पर मजबूर कर दिया| लाहौर, रावलपिंडी से लेकर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद ने भारत की ताकत देखी| उनके सैन्य ठिकाने ध्वस्त हो गए| पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने किराना हिल्स को लेकर दुनियाँ भर में कानाफूसी हो रही है| पाकिस्तान ने हमारी ब्रह्मोस मिसाइल का जलवा देखा| हमारे अभेद्य एयर डिफेंस सिस्टम की शक्ति महसूस की| चीन और तुर्की के ड्रोन व अन्य हथियारों की दुर्दशा देखी| अमेरिका और यूरोप के समाचार पत्र भारत की सैन्य शक्ति का गुणगान कर रहे हैं| ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान में गहरा गई आतंक की जड़ों पर हमला है| केंद्र की मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि ऑपरेशन अभी रुका नहीं है| रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान प्रोबेशन पर है| उसकी हर गतिविधि पर भारत की नजर है| पाकिस्तान का एक भी गलत कदम भारत के खिलाफ हमला माना जाएगा| और अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा| ये नया भारत है| पाकिस्तान को ये स्वीकार कर आतंकी नीति को छोडना ही होगा| तभी पाकिस्तान बच पाएगा वरना आने वाले समय में बलूचिस्तान समेत कई टुकड़े तो दिखेंगे लेकिन पाकिस्तान इतिहास बन जाएगा|