लेखक : दिलीप कुमार
अभिषेक बच्चन जब शुरू – शुरू में हिन्दी सिनेमा में आए तो यही कहा जाता था, अभिषेक अमिताभ बच्चन का बेटा है, बस इसी शोर में अभिषेक की अदाकारी गुम हो गई थी… कोई ख़ास पहिचान नहीं मिली, हम जैसे न जाने कितने ऐसे दर्शकों को लगता था कि अभिषेक बच्चन, अमिताभ बच्चन का बेटा है अन्यथा यह तो कुछ भी नहीं है… यही से अभिषेक बच्चन परिवारवाद का उपजा हीरो, तरह तरह से पर्सनैलिटी गढ़ी गई.. कोई नया – नया लड़का अपनी ज़िन्दगी में कहीं न कहीं शुरुआत तो करता ही है, चाहे वो किसी बड़े बाप का बेटा हो या किसी आम बाप का बेटा हो.. कहीं न कहीं ज़िन्दगी की शुरुआत तो करनी ही होती है, लेकिन बिना जांचे किसी को औसत कह देना कहाँ की ईमानदारी है!
अब कौन किसका बेटा है, इस पर तो किसी का ज़ोर नहीं है, कोई किसी भी घर में जन्म ले सकता है.. अभिषेक बच्चन, अमिताभ बच्चन का बेटा है तो इसमें उसकी क्या गलती है.. जब पूरी दुनिया में हीरो बनने का ख्वाब रखने वाला कोई भी लड़का अमिताभ बच्चन बनना चाहता है, तो अभिषेक बच्चन ने ग़र अपने पिता की तरह बनने का ख्वाब देखा तो क्या गुनाह किया?? आख़िरकार हर बेटा के लिए उसका पिता हीरो होता है…वहीँ अमिताभ बच्चन ने तो पीढ़ियों को प्रेरित किया है.
सबसे बड़ी धूर्तता यहीं हो जाती है, जब कोई परिवारवाद का आरोप लगाता है, ऐसे नारे कोई कुंठित व्यक्ति ही लगा सकता है, जिसने हमेशा अपनी नाकामियों को ढंकना चाहा है.. मान लिया ग़र पिता की साख पर प्लेटफार्म मिल भी जाता है तो क्या सफ़लता की गारंटी होती है?? और ऐसा कौन सफल पिता होगा जो न चाहता हो कि मेरा बेटा भी सफल हो. किसी का बेटा होना किसी के बस में नहीं होता… ग़र किसी को कुछ आसानी से मिल भी जाता है तो कायम वही रख सकता है, जिसमें माद्दा होता है.
हिन्दी सिनेमा में बहुतेरे ऐसे दिग्गज सुपरस्टार रहे हैं, जिन्होंने अपने बच्चों को लॉन्च किया लेकिन नहीं चल सके!! अतः देर सबेर उन्होंने हिंदी सिनेमा से अपने रास्ते अलग कर लिए..वहीँ बहुतेरे ऐसे आम लड़के सिनेमा में गए और उन्होंने अपनी ख्याति बनाई..
आज भी लोग कहते हुए मिल जाते हैं, कि अभिषेक बच्चन अपने पिता के सामने उसकी धूल भी नहीं है!!! कितना घृणित होता होगा, ऐसा आदमी जो ऐसे विचार रखे. क्या ज़रूरी है कि हर बेटा अपने पिता की तरह प्रतिभाशाली हो! क्या ज़रूरी है कि अभिषेक अपने पिता की तरह ही बने. अभिषेक बच्चन क्या बहुत से सुपरस्टार भी अमिताभ बच्चन के सामने फीके हैं तो क्या उन्हें नाकार दिया जाए?? सभी का अपना – अपना व्यक्तित्व होता है.. वहीँ बहुतेरे ऐसे छोटे छोटे किरदार करने वाले ऐक्टर रहें हैं जिनके बेटे सुपरस्टार बने.. प्रतिभा किसी के अंदर भी हो सकती है.. अभिषेक बच्चन, अपने पिता की तरह हरफ़नमौला नहीं है, लेकिन प्रतिभाशाली अभिनेता है, जिसने मुस्तकिल अभिनय से खुद को जोड़े रखा है.. अभिषेक बच्चन की बहुतेरी फ़िल्मों में उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है… अपने शुरुआती दौर से ही अभिषेक मंझे हुए अभिनेता लगे हैं… मैने इनकी अच्छी – कहानियों वाली सारी फिल्में देखी हैं.. हाँ यह सच है कि वटवृक्ष की छांव में दूसरा बड़ा वृक्ष पनपना मुश्किल है होता है… लेकिन देर सवेर अभिषेक इस कहावत को भी झुठला देंगे, क्योंकि इतना माद्दा है. अदाकारी के लिए सबसे ज्यादा संवाद अदायगी की टाइमिंग, आवाज़ ही मायने रखती है कैरेक्टर रोल में हीरोइज्म से ज्यादा इसी की आवश्यकता होती है.. अभिषेक की आवाज़ उनके कैरेक्टर रोल में वरदान सिद्ध होने वाली है.. वैसे अब अभिषेक को स्टारडम का पीछे भागने की बजाय अच्छी कहानियों का चयन करना चाहिए, वहीं जो फ़िल्मकार अच्छी कहानियों के लिए जाने जाते हैं, उनकी शरण लेना चाहिए..