देश आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर स्वतंत्रता दिवस का पर्व मना रहा है क्या आप जानते हैं कि 15 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाते हैं? इसके पीछे का कारण बेहद दिलचस्प है।
भारत के अंतिम ब्रिटिश गवर्नर-जनरल लार्ड माउंटबेटन को ब्रिटिश संसद ने 30 जून 1948 तक सत्ता ट्रांसफर करने का जनादेश दिया था। लेकिन उस समय देश में हिंसक अभियानों को दौर शुरू हो गया था। दो राष्ट्रों कि मांग चरम पर पहुँच गई थी जिसके बाद माउंटबेटन ने निर्धारित तिथि से एक वर्ष पहले 15 अगस्त 1947 को सत्ता हस्तांतरण तय किया।
देश के पहले स्वतंत्र गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी के अनुसार माउंटबेटन भारत को समय से पहले आजादी दे दी जाए जिससे देश में हो रहे रक्तपात और हिंसा को रोका जा सके। उस समय माउंटबेटन ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए भारतीय स्वतंत्रता की तारीख के रूप में 15 अगस्त को चुना।
फ़्रीडम एट मिडनाइट किताब में कहा गया है कि माउंटबेटन ने दावा किया था कि उन्होंने एकाएक इस तारीख को चुना। इस तारीख को चुनने के पीछे एक प्रश्न का उत्तर था जिसके जरिए वे यह बताना चाहते थे कि माउंटबेटन ही पूरे आयोजन के मास्टर थे। जब उनसे पूछा गया कि क्या कोई तिथि निर्धारित की गई है, तब उन्हें पता था कि जल्द ही यह होगा। उनका अनुमान था कि यह अगस्त या सितंबर में होगा, और फिर इसी कारण उन्होंने 15 अगस्त को भारत की आजादी के लिए चुन लिया। ऐसा करने के पीछे उन्होंने तर्क दिया कि 15 अगस्त को ही द्वितीय विश्व-युद्ध में जापान के सरेंडर को दो साल पूरे हो रहे थे।
माउंटबेटन के निर्णय के बाद, ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स ने 4 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता विधेयक पारित किया। इस तरह भारत 15 अगस्त 1947 को आजादी का पर्व मनाने लगा।
हालांकि तब से लेकर अब तक भारत ने विकास कि लंबी यात्रा तय कि है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की हाल ही में हुई एक बैठक में कोरोना महामारी का हवाला देते हुए बीते 20 सालों में आए बदलाव की जानकारी साझा की है। आजादी के बाद से अब तक बाल मृत्यु दर और औसत आयु में तो हालात सुधरे हैं। भारत ने इस क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल की है। आजादी के समय यानी 1947 के भारत से आज 2022 की तुलना करें तो तब देश में 30 मेडिकल कॉलेज ही थे, लेकिन अब करीब 550 कॉलेज हैं. 1947 में 2,014 सरकारी अस्पताल थे और अब इनकी संख्या साढ़े 23 हजार से ज्यादा है. देश में डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ी है. इस वक्त देश में 1,313 आबादी पर एक डॉक्टर है।
वहीं अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी देश ने लंबी छ्लांग ली है। जब अंग्रेज भारत आए थे, तब दुनिया की जीडीपी में भारत की हिस्सेदारी 22% से ज्यादा थी। लेकिन जब 1947 में देश आजाद हुआ तब ये हिस्सेदारी घटकर 3% रह गई। हालांकि 1947 में देश के आजाद होने के बाद से हमारी जीडीपी 50 गुना बढ़ी है। 1950-51 में जीडीपी का आंकड़ा 2.93 लाख करोड़ रुपये था, जो कि साल 2020-21 में 134 लाख करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह चुकी हैं कि फिलहाल भारत की आर्थिक वृद्धि में नरमी का सवाल ही नहीं है। भारत को 2022 और 2023 फाइनेंसियल ईयर में तेज के साथ बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप देखा जा रहा है। अब भारत 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के रास्ते पर है।