Sunday, September 14, 2025
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अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गूंज रही है हिन्दी

डॉ शिल्‍पीशुक्‍ला

वरिष्‍ठ प्रबंधक राजभाषा

अंचल कार्यालय लखनऊ

हिंदी मात्र भाषा नहीं है, हिंदी जनमानस के हृदय की धड़कन है| कश्मीर से लेकर लेकर कन्याकुमारी तक बोली जाने वाली सभी भारतीय भाषाओँ को जोड़ने का सेतु है| हिंदी भारत माता के मस्तक पर सुशोभित बिंदी है| हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है| हिंदी रिश्ता है| दुनिया भर में अपनों को जोड़ने का नाता है|

यह हमारी संस्‍कृति का आधार है। सबको अपने में समेट लेने की जो बात हिंदी में है यह हिंदी भाषा की सबसे बड़ी शक्ति है। संस्‍कृत हिंदी समेत अन्‍य भारतीय भाषाओं की जननी है। हिंदी भाषा में संस्‍कृत के शब्‍दों के साथ ही साथ अनेक देशी-विदेशी भाषा के शब्‍दों का समावेश है इन शब्‍दों को हिंदी ने इस प्रकार अपनाया है कि ये शब्‍द अब हिंदी के ही हो कर रह गए हैं और हिंदी का शब्‍द भंडार निरंतर बढ़ता गया है। इन शब्‍दों का प्रयोग हम विषयानुरूप और आवश्‍यकतानुसार करते हैं। हिंदी के शब्‍दअन्‍य भाषाओं ने भी अपनाए हैं। योग, गुरु, अवतार आदिशब्‍द हिंदी से अंग्रेजी में गए हैं।

हिंदी भाषा एक वैज्ञानिक भाषा है जो वैसे ही लिखी जाती है जैसे बोली जाती है।

भक्तिकाल से बहने वाली ज्ञान और भक्ति की गंगा हिंदी का कंठाहार बनी।विभिन्‍न भारतीय भाषाओं में रचा गया भक्ति साहित्‍य हिंदी में अनुदित हो सर्वसुलभ हो गया। इससे न केवल साहित्यिक दृष्टि से हिंदी समृद्ध हुई अपितु आम-जन भी संपूर्ण भारत में प्रवाहित ज्ञान, भक्ति और भाव की त्रिवेणी में स्‍नान कर कृत-कृत्‍य हो गया।

हिंदी हमेशा से ही जनमानस की भाषा रही है जिसका भारतीय स्‍वतंत्रता संग्राम में भी योगदान रहा है। हिंदी  हमारी  नई  पीढ़ी  को  अपने  गौरवशाली अतीत  से जोड़ती है। अगर हम कहें  कि हिंदी कल आज और कल को जोड़ने का काम करती है तो अत्‍युक्ति न होगी। ज‍हां एक ओर भारतीय इतिहास और सांस्‍कृतिक विरासत को हिंदी भाषा जी रही है,वहीं आने वाले अपेक्षाकृत अधिक प्रतिस्‍पर्धी युग के अनुरूप स्‍वयं को ढाल भी रही है। आज कोई भी ऐसा विषय नहीं रह गया है जिसकी अभिव्‍यक्ति हिंदी भाषा में न की जा सके। यह हिंदी भाषा की शक्ति है। हिंदी भाषा की शक्ति को आज पूरा विश्‍व पहचान चुका है। विश्‍व के अनेक देशों के विश्‍वविद्यालयों में आज हिंदी पढ़ाई जा रही है। सभी सर्च इंजन आज हिंदी में सामग्री उपलब्‍ध करवा रहे हैं। विदेशी मल्‍टीनेश्‍नलकंपनियां आज अपने उत्‍पादों को बेचने के लिए हिंदी भाषा को भी अपने प्रचार का माध्‍यम बना रही हैं। हिंदी जानने वाले लोगों को भी इसके लिए नियुक्‍त कर रही है। आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का चलन दिनों दिन बढ़ रहा है और हिंदी भाषा भी इससे अछूती नहीं है। चैटबाट्स, चैटजीबीटी, को-पाइलेट, ग्रामर्ली, कैनवा आदि हिंदी में भी उपलब्‍ध हैं।

हिंदी केवल साहित्‍य जगत की भाषा नहीं है अपितु यह अब व्‍यवसाय जगत की भाषा भी बन चुकी है। हिंदी में रोज़गार के अवसरों में भी वृद्धि हुई है। हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्‍तराज्‍य संघ में 1977 में हिंदी भाषा में भाषण दिया था। उनके भाषण के बाद सभी नेताओं ने तालियां बजाकर और खड़े होकर उनका अभिनंदन किया था। वर्तमान सरकार द्वारा भी हिंदी भाषा को बढ़ावा दिया जा रहा है। आज हमारे माननीय प्रधानमंत्री गर्व के साथ वैश्विक मंचों पर हिंदी में भाषण देते हैं और पूरा विश्‍व उसे ध्‍यान से सुनता है।यह अंतर्राष्‍ट्रीयस्‍तर पर हिंदी की गूंज है।

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