Thursday, September 19, 2024
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स्थापना दिवस : बुलंदियों का आसमान छूता उत्तर प्रदेश

अरविंद जयतिलक

आज उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस है। आजादी के ढाई वर्ष बाद 24 जनवरी, 1950 को उत्तर प्रदेश राज्य के गठन की अधिसूचना जारी हुई। भौगोलिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश प्राचीनतम ‘गोंडवाना लैण्ड’ का एक हिस्सा है। कैम्ब्रियन युग में विन्ध्य क्रम की शैलों ने इसे धरातलीय स्वरुप दिया। भौगोलिक विविधताओं एवं सांस्कृतिक समृद्धियों से आच्छादित उत्तर प्रदेश 1836 से 1877 तक ‘उत्तर-पश्चिम प्रांत’ और 1877 से 1937 तक ‘संयुक्त प्रांत आगरा एवं अवध’ के नाम से जाना गया। 1937 में इसे एक नया नाम ‘संयुक्त प्रांत’ मिला। 1858 तक उत्तर प्रदेश की राजधानी आगरा, 1858 से 1921 तक इलाहाबाद और फिर 1921 में लखनऊ हो गयी। गौर करें तो भरपूर मानव संसाधन, उर्वर भूमि और प्राकृतिक समृद्धि-संपन्नता से लैस होने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश आर्थिक मोर्चे पर अपेक्षित मुकाम हासिल नहीं कर पाया। देखा जाता है कि जिस राज्य में कानून-व्यवस्था मजबूत और अवसंरचना का तेजी से विस्तार होता है विकास का पहिया भी वहीं घूमता है। निवेश और प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होती है और राज्य समृद्धि की ओर छलांग लगाता है। विकास का पहिया चार तरह के इंजनों के बूते दौड़ता है। एक, निजी निवेश यानी नई परियोजनाओं में निजी क्षेत्र का निवेश। दूसरा, सार्वजनिक खर्च यानी बुनियादी ढांचे वाली विकास परियोजनाओं में सरकार का निवेश। तीसरा, आंतरिक खपत यानी वस्तुओं व सेवाओं की खपत। और चैथा वाह्य खपत यानी वस्तुओं का निर्यात। अच्छी बात यह है कि उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार इन चारों इंजनों को गतिशील किए हुए है। यह संभव इसलिए हुआ है कि राज्य में कानून का शासन स्ािापित हुआ है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अवसंरचनाओं को मजबूती देने के लिए बिजनेस रिफार्म एक्शन प्लान पर अमल किया है जिससे निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिली है। सरकार ने 21 नई नीतियों के बरक्स निवेश मित्र पोर्टल बनाकर उस पर 227 सेवाएं शामिल कर उद्यमियों को निवेश के लिए आकर्षित किया है। सरकार की ‘एक जिला एक उत्पाद’ की नीति से स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा मिला है और निर्यात में तेजी आयी है। याद होगा सरकार ने 2018 में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया। इस आयोजन में सरकार और औद्योगिक घरानों के बीच कई समझौते हुए जिससे तकरीबन 1.25 लाख करोड़ लागत की औद्योगिक परियोजनाओं को जमीन पर उतारा गया। इसके अलावा सरकार ने उत्तर प्रदेश को महाराष्ट्र और गुजरात की तर्ज पर विकसित करने के लिए दो ग्राउंड बेकिंग सेरेमनी का आयोजन किया। इस पहल से 60 हजार करोड़ रुपए की लागत की 81 परियोजनाएं और 65 हजार करोड़ रुपए की 291 परियोजनाओं को जमीनी आकार दिया गया। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना काल यानी 2020 से मार्च 2021 के बीच उत्तर प्रदेश में 4861 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है। कुल निवेश 75000 करोड़ रुपए से अधिक है। देखें तो उत्तर प्रदेश सरकार ने निवेश बढ़ाने और ‘इज आॅफ डूइंग’ बिजनेश को सुधारने में उल्लेखनीय प्रगति की है। आज उत्तर प्रदेश ‘इज आॅफ डूइंग’ बिजनेस मामले में महाराष्ट्र के बाद देश में दूसरे स्थान पर है। सुक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कारोबारियों को प्रोत्साहित किया है। जनवरी 2020 तक 16,691.18 करोड़ रुपए लागत की 1,26,321 सुक्ष्म, लघु और मझोले (एमएसएमई) और भारी औद्योगिक इकाईयां स्थापित हो चुकी हैं। अर्थव्यवस्था के मामले में 2017 में पांचवे नंबर पर रहने वाला उत्तर प्रदेश अब तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात को पीछे छोड़ देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर चुका है। आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 2012-2017 के दरम्यान 11.5 लाख करोड़ था जो आज 2017-2021 में बढ़कर 21.7 लाख करोड़ रुपए हो गया है। यानी देखें तो 2017 के बाद इसमें 79 फीसद ग्रोथ हुआ है। इसी तरह 2012-2017 में प्रतिव्यक्ति आय 48,520 रुपए था जबकि 2017-2021 के दरम्यान 95,000 रुपए हुआ। यानी इसमें भी 96 फीसद का ग्रोथ हुआ है। इसी तरह 2012-2017 के बीच सिर्फ 302 किमी एक्सप्रेस वे का निर्माण हुआ जबकि 2017-2021 के दरम्यान 641 किमी एक्सप्रेस वे का निमार्ण हुआ है। बुंदेलखंड में रक्षा औद्योगिक गलियारा पांच हजार हेक्टेयर में छह शहरों लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़, झांसी और चित्रकूट में विकसित किया जा रहा है। उम्मीद है कि इससे बुंदेलखंड के विकास को गति मिलेगी और स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा। गौर करें तो उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय असंतुलन अन्य राज्यों की अपेक्षा बहुत अधिक है। इस असंतुल को पाटने का सबसे बुनियादी जरुरत एक्सप्रेसवे का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होता है। सरकार इस दिशा में पहल करते हुए पूर्वांचल एक्सप्रेस वे जो कि राजधानी लखनऊ से गाजीपुर तक जुड़ा हुआ है उसका उद्घाटन कर दिया है। गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण जोरों पर है। किसी भी राज्य के विकास के लिए कनेक्टिविटी सबसे जरुरी संसाधन होता है। कनेक्टिविटी बढ़ने से राज्य के विकास को गति मिलती है। इसे ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार इंटरनेशनल एयरपोर्ट की संख्या में वृद्धि कर रही है। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन तथा जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया। उत्तर प्रदेश में तकरीबन एक दर्जन से अधिक हवाई अड्डों को आकार दिया जा रहा है। दर्जनों शहरों में मेट्रो रेल परियोजनाओं का खाका खींच दिया गया है। राज्य के बड़े शहर मसलन लखनऊ, नोएडा, कानपुर, गाजियाबाद में बढ़ती भीड़ को देखते हुए मेट्रो सेवा का विस्तार जोरों पर है। सरकार ने नागरिकों के स्वास्थ्य वर्धन के लिए जन आरोग्य योजना के तहत तकरीबन 6.47 करोड़़ लोगों को 5 लाख रुपए का बीमा कवर और मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना में 42.19 लाख लोगों को 5 लाख रुपए का बीमा कवर दिया है। आत्मनिर्भर भारत योजना में 1320696 इकाईयों को 43541 करोड़ रुपए का ऋण और 12949 मीट्रिक टन व प्रधानमंत्री गरीब अन्न योजना में 59 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का वितरण किया गया है। सरकार ने सभी को आवास से संतृप्त करने के लिए 40 लाख से अधिक प्रधानमंत्री आवास निर्मित किया है। 2.61 करोड़ शौचालयों का निर्माण होने से 10 करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं। शिक्षा में सुधार के लिए 1.35 लाख सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हुआ है। चूंकि उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है ऐसे में कृषि और किसान सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में हैं। सरकार ने गन्ना किसानों का 1.45 लाख करोड़ रुपए का भुगतान कर उनके चेहरे पर खुशियां बिखेरी है। चूंकि उत्तर प्रदेश की कृषि सूखा, बाढ़ और ओले के प्रहार से बर्बाद होती रहती है, इसका ध्यान रखते हुए सरकार ने किसानों को फसल बीमा योजना से आच्छादित किया है। अच्छी बात है कि इसके दायरें में बंटाईदारों को भी लाया गया है। सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत किसानों को दिए जाने वाले हर चैथे महीने दो हजार रुपए का भुगतान को भी सुनिश्चित किया है। इससे किसानों को बड़ी राहत मिली है। कृषि को मजबूती देने के लिए सरकार ने गोवंश की रक्षा के लिए कानून बनाए हैं और अवैध बुचड़खानों को बंद कराया है। मदरसों के पाठ्यक्रम में आमूलचुल बदलाव के लिए प्रेरित करने के साथ अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों के विवाह के लिए बजट का प्रावधान किया है। तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को सरकारी मदद के दायरे में लाया है। ये ऐसे कार्य हैं जो सरकार के चेहरे को मानवीय और संवेदनशील बनाते हैं। सरकार राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थानों के विकास के लिए दृढ़संकल्पित है। 2017 से लगातार रामनगरी अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम संपन्न हो रहा है उससे विश्व में अयोध्या की ख्याति पुनः स्थापित हुई है। बीते साढ़े चार साल में तीर्थराज प्रयागराज का खूब विकास हुआ है। कुंभ-2019 में देश-दुनिा के तकरीबन 25 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगायी। प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ काॅरिडोर का लोकापर्ण कर काशी की महिमा को पुनः स्थापित किया है। सरकार अयोध्या और काशी के अलावा मथुरा, वृंदावन और चित्रकूट जैसे धार्मिक नगरों का भी विकास कर रही है। कहना गलत नहीं होगा कि उत्तर प्रदेश विकास के बुलंदियों का आसमान छू रहा है।

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