121 करोड़ लोगों के टीकाकरण के बाद उठ रहे इसके कारगर होने पर सवाल
आनन्द अग्निहोत्री
सब कुछ सामान्य, निर्बाध कार्यक्रम और समारोह, गैरप्रतिबंधित आवागमन, अतर्राष्ट्रीय उड़ाने शुरू, कहीं कोई दहशत नहीं, खुशनुमा ढर्रे पर चलने लगी दिनचर्या के बीच एक बार फिर कोरना के नये वैरियंट ओमिक्रॉन की दस्तक, सिहरन पैदा करने के लिए काफी है। भले ही अभी तक भारत में इसका पदार्पण नहीं हुआ लेकिन दुनिया के कई देश इसकी चपेट में आने लगे हैं। कई देशों ने दक्षिण अफ्रीका से आने वालों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस वैरियंट का प्रसार दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुआ है। गनीमत है कि दक्षिण अफ्रीका से बंगलुरु आये दो यात्रियों में ओमिक्रॉन की पुष्टि नहीं हुई, वे डेल्टा वैरियंट से ही पीड़ित हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम निरापद हैं। पिछली दो लहरें बताती हैं कि इस वायरस का प्रसार बहुत तेजी से होता है। पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर के डेल्टा वैरियंट ने देश में जितना कहर ढाया, उसे लोग कभी भूल नहीं सकते। तीसरा वैरियंट ओमिक्रॉन कितना घातक है, इसका अंदाज इस बात से लगाया जाता है कि डेल्टा वैरियंट ने 100 दिन में जितने क्षेत्र को दायरे में लिया, नये वैरियंट ने 15 दिन में ही उतने क्षेत्र को चपेट में ले लिया है। खास बात यह कि इस वैरियंट ने तब दस्तक दी है जब अगले साल की शुरुआत में भारत के पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं और चुनावी गहमागहमी बढ़ने लगी है।
यह सर्वविदित है कि पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव और उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में इससे निपटने की गाइडलाइंस की किस तरह धज्जियां उड़ायी गयीं और इसका कितना खामियाजा हमने भुगता। दूसरी लहर में हुई मौतों की टीस बनी हुई है। भले ही जिम्मेदार लोगों ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि सब कुछ चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुरूप हुआ लेकिन यह बात किसी से छिपी नहीं है कि चुनाव जीतने के लिए गाइडलाइंस को हाशिये पर रख दिया गया। फिर वही हालात हैं। भले ही अभी चुनाव घोषित नहीं हुए हैं लेकिन अगर घोषित कर दिये गये तो विजय की लालसा हमें एक बार फिर खतरे के मुहाने पर लाकर खड़ा कर सकती है। हालांकि केन्द्र सरकार इस वैरियंट का संज्ञान ले लिया है और उससे बचने की कवायद शुरू कर दी गयी है। महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों ने तो प्रतिबंध भी लागू कर दिये हैं। वैसे भी देश अभी कोरोना के डेल्टा वैरियंट से पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ है। महाराष्ट्र, केरल और कुछ उत्तर पूर्वी राज्यों में कोविड के रोगी अनवरत मिल रहे हैं।
माना जा रहा था कि कोरोना की तीसरी लहर नहीं आयेगी और आयी भी तो भारत इसका सामना कर लेगा क्योंकि देश में अब तक 121 करोड़ लोगों को कोविशील्ड और कोवैक्सीन के टीके लगाये जा चुके हैं। इस लिहाज से लोगों की इम्युनिटी पावर बढ़ चुकी है, लेकिन ओमिक्रॉन की घातक शक्ति के देखते हुए यह कहना अभी मुश्किल है कि ये टीके इस वैरियंट के खिलाफ कितने कारगर सिद्ध होंगे। स्वयं कोविशील्ड और कोवैक्सीन के निर्माताओं ने इस ओर इशारा किया है और अपने वैज्ञानिकों को इस बारे में अध्ययन करने के निर्देश दिये हैं। भारत इस वैरियंट से कहां तक सुरक्षित रह सकेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। यह जरूर है कि सरकार सचेत रही और नागरिकों ने पूरी तरह सहयोग किया तो इस पर काबू पाया जा सकता है। देश में जो माहौल चल रहा है उसमें अगर एक भी ओमिक्रॉन पीड़त यहां पहुंचा तो इसका प्रसार होते देर नहीं लगेगी। अगर ऐसी स्थिति पैदा हो तो चुनाव कुछ समय के लिए टाल देना श्रेयस्कर रहेगा, अन्य प्रतिबंधों का तो स्वेच्छा से पालन किया ही जाना चाहिए।