अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने एकबार फिर संस्कृति और संस्कारों की जड़ों को हिला दिया है। संत की आत्महत्या को देश स्वीकार नहीं कर पा रहा है। वहीं शिष्य के आरोपी होने से गुरु शिष्य रिश्ते भी तार- तार हो गए हैं। महंत के कमरे से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। बात एक वीडियो, लड़की और संपत्ति की भी हो रही है। सारा फसाद ही माया- मोह और लालच से जुड़ा नजर आ रहा है।
इसके अलावा उसमें उनके शिष्य आनंद गिरि पर गंभीर आरोप लगाए गए। एक नजर में देखें सब फसादों की जड़ अखाड़े की अकूत संपत्ति थी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी महंत नरेंद्र गिरि संभाल रहे थे।
प्रयागराज में मठ, जमीन और आश्रम प्रयागराज के अल्लापुर में बाघम्बरी गद्दी और मठ स्थित है। वहां पर निरंजनी अखाड़े के नाम एक स्कूल और गोशाला है। साथ ही अल्लापुर में ही 5 से 6 बीघे जमीन मठ के नाम पर बताई जा रही है। वहीं दारागंज इलाके में भी अखाड़े की जमीन है, जो काफी पहले ली गई थी। मठ से जुड़े एक सदस्य की मानें तो प्रयागराज के मांडा में ही 100 बीघा जमीन है। जिसकी कीमत करोड़ों में होगी। बाघम्बरी मठ के अनुयायी दुनियाभर में फैले हैं। प्रयागराज के अलावा भी यूपी के कई जिलों में मठ की जमीनें हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक मिर्जापुर के महुआरी में भी 400 बीघे, नैडी में 70 और सिगड़ा में 70 बीघा जमीन अखाड़े के नाम पर है। अगर निरंजनी अखाड़े के मठ, मंदिर और जमीन की कुल कीमत आंके तो आंकड़ा 300 करोड़ के पार चला जाएगा। वहीं अगर इसमें हरिद्वार और दूसरे राज्यों की संपत्ति को जोड़ लिया जाए, तो संपत्ति 1000 करोड़ से ज्यादा की होगी। बड़े शहरों में भी जमीन निरंजनी अखाड़े की मध्य प्रदेश के उज्जैन और ओंकारेश्वर में 250 बीघा जमीन है। इसके अलावा कई मठ और आश्रम भी हैं, जहां पर अखाड़े के शिष्य रहते हैं। नासिक में भी कुंभ लगता है, जिस वजह से नरेंद्र गिरि वहां जाते रहते थे, ऐसे में वहां पर भी 100 बीघा से ज्यादा की जमीन है। हरिद्वार, जयपुर, वाराणसी, बड़ोदरा में भी मठ के नाम पर काफी जमीन रजिस्टर है। कौन होगा उत्तराधिकारी? सुसाइड नोट में ही नरेंद्र गिरि ने अपनी वसीयत लिख दी थी। जिसमें उन्होंने अपना उत्तराधिकारी बलवीर गिरि को बनाया है। बलवीर अभी तक अखाड़े के उप महंत थे और वो हरिद्वार स्थित बिल्केश्वर महादेव मंदिर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्होंने सुसाइड नोट में अपील करते हुए लिखा कि बलवीर तुम मठ की जिम्मेदारी वैसे ही संभालना जैसे मैंने किया। इसके अलावा अपने सभी शिष्यों से बलवीर का सहयोग करने की अपील की है।