दिल्ली-एनसीआर में शनिवार को एक हफ्ते में दूसरी बार भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। जैसे ही लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए वह घरों व ऑफिसों से बाहर निकलने लगे। करीब 30 से 40 सेकंड तक यह भूकंप के झटके महसूस किए गए। कमरों में पंखे हिलने लगे और गिलास में रखा पानी हिल रहा था। यूपी-उत्तराखंड के कई जिलों में यह झटके महसूस किए गए हैं। बताया जा रहा है कि भूकंप की तीव्रता 5.4 मापी गई थी। भूकंप का केंद्र नेपाल का शिलांग बताया गया है।
इससे पहले उत्तराखंड में बुधवार सुबह करीब 6.27 बजे पिथौरागढ़ में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.3 मापी गई थी। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप की गहराई जमीन से 5 किमी नीचे थी। उधर, मंगलवार रात दिल्ली एनसीआऱ समेत नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। नेपाल में भूकंप के झटकों के बाद एक बिल्डिंग गिर गई जिसके मलबे में दबकर छह लोगों की मौत हो गई थी।
बार-बार आने वाला भूकंप क्या किसी खतरे की ओर इशारा कर रहा है। एक्सपर्ट्स भी इस आशंका को मना नहीं करते हैं। एक्सपर्ट यह भी कहते हैं कि दिल्ली को सबसे बड़ा खतरा हिमालय रीजन की बेल्ट से है। नैशनल सेंटर फॉर सिस्मॉलॉजी (एनसीएस) के अनुसार दिल्ली में बड़े भूकंप की आशंका कम है, लेकिन इससे पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता। दिल्ली को सबसे बड़ा खतरा इस समय हिमालय रीजन की बेल्ट से है। आखिर दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में आए इस भूकंप की वजह क्या है। आइए जानते हैं।
पृथ्वी के अंदर असल में 7 प्लेटलेट्स हैं। यह प्लेटलेट्स लगातार घूमती रहती हैं। जिस जगह पर प्लेटलेट्स टकराते हैं उसे हम फॉल्ट लाइन कहते हैं। टकराव के कारण उसके कोने मुड़ने लगते हैं। यही नहीं ज्यादा दवाब के चलते ये प्लेटलेट्स टूटने भी लगती हैं। प्लेटलेट्स टूटने के काण पैदा हुई ऊर्जा बाहर निकलने लगती है। इस वजह से उतपन्न डिस्टर्बेंस की वजह से भूकंप आता है।
पांच जोन में बांटा गया है
भारत को पांच भूकंपीय जोनों में बांटा गया है। सबसे ज्यादा खतरनाक जोन पांच है। इस क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 9 तीव्रता का भूकंप आ सकता है। जोन-5 में पूरा पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड गुजरात में कच्छ का रन, उत्तर बिहार का कुछ हिस्सा और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल है। इस क्षेत्र में अक्सर भूकंप आते रहते हैं। जोन-4 में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बाकी हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग, सिंधु-गंगा थाला, बिहार और पश्चिम बंगाल, गुजरात के कुछ हिस्से और पश्चिमी तट के समीप महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और राजस्थान शामिल है।
इन जोन में कम खतरा
जोन-3 में केरल, गोवा, लक्षद्वीप द्वीपसमूह, उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्से, गुजरात और पश्चिम बंगाल, पंजाब के हिस्से, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं। जोन-2 भूकंप की दृष्टि से सबसे कम सक्रिय क्षेत्र है। इसे सबसे कम तबाही के खतरे वाले क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया है। जोन-1 में देश का बाकी हिस्से शामिल हैं।