Thursday, November 21, 2024
Homeकानूनसुप्रीम कोर्ट : गरीब और अमीरों के लिए अलग अलग कानून प्रणाली...

सुप्रीम कोर्ट : गरीब और अमीरों के लिए अलग अलग कानून प्रणाली नहीं हो सकती

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में दो समानांतर कानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती हैं। एक अमीर लोगों के लिए जिन्हें खूब सारे संसाधन उपलब्ध हैं और वो राजनीतिक तौर पर भी ताकतवर हैं। दूसरा गरीब और छोटे लोग जो संसाधनों से वंचित हैं। न्यायालय ने ये भी कहा कि ‘जिला न्यायपालिका से औपनिवेशिक सोच’ को भी हटाना होगा, जिससे कि नागरिकों के विश्वास को बचाया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि जब न्यायाधीश ‘सही के लिए खड़े होते हैं, तो उन्हें निशाना बनाया जाता है’।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या मामले में मध्य प्रदेश में बसपा (बहुजन समाज पार्टी) विधायक के पति को दी गई जमानत को खारिज करते हुए बृहस्पतिवार को ये अहम टिप्पणियां कीं. सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

न्यायालय ने कहा कि एक स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका लोकतंत्र का आधार है और इस पर किसी प्रकार का राजनीतिक दबाव नहीं होना चाहिए. न्यायालय ने कहा, ‘भारत में अमीर, संसाधनों से युक्त और राजनीतिक रूप से ताकतवर लोगों और न्याय तक पहुंच एवं संसाधनों से वंचित ‘छोटे लोगों’ के लिए दो अलग-अलग समानांतर कानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती’. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘दोहरी व्यवस्था की मौजूदगी कानून की वैधता को ही खत्म कर देगी. कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध होने का कर्तव्य सरकारी तंत्र का भी है.’

‘जिला न्यायपालिका पर ध्यान देना होगा’

पीठ ने कहा कि जिला न्यायपालिका नागरिकों के साथ संपर्क का पहला बिंदु है. पीठ ने कहा, ‘अगर न्यायपालिका में नागरिकों का विश्वास कायम रखना है तो जिला न्यायपालिका पर ध्यान देना होगा.’ शीर्ष अदालत ने कहा कि निचली अदालतों के न्यायाधीश भयावह परिस्थितियों, बुनियादी ढांचे की कमी, अपर्याप्त सुरक्षा के बीच काम करते हैं और न्यायाधीशों को सही के लिए खड़े होने पर निशाना बनाए जाने के कई उदाहरण हैं. पीठ ने कहा कि दुख की बात है कि स्थानांतरण और पदस्थापना के लिए उच्च न्यायालयों के प्रशासन की अधीनता भी उन्हें कमजोर बनाती है.

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments