रक्षा मंत्री ने सेना कमांडरों के सम्मेलन में वरिष्ठ नेतृत्व को संबोधित किया
सेना कमांडरों के सम्मेलन में भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व ने मौजूदा सुरक्षा परिदृश्यों, सीमाओं पर स्थिति, भीतरी इलाकों और वर्तमान सुरक्षा तंत्र के लिए चुनौतियों के सभी पहलुओं पर व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया। सम्मेलन में संगठनात्मक पुनर्गठन, लॉजिस्टिक्स, प्रशासन, मानव संसाधन प्रबंधन, स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण, विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को शामिल करने और विभिन्न मौजूदा वैश्विक स्थितियों के प्रभाव के आकलन से संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। सम्मेलन के तीसरे दिन रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व को संबोधित किया। पहले सीडीएस, सीओएएस, सीएनएस और सीएएस ने सम्मेलन को संबोधन किया इस दौरान भारतीय सेना के लिए ‘‘तकनीकी समावेश और रोडमैप” से संबद्ध योजनाओं पर एक संक्षिप्त विवरण भी दिया गया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि एक अरब से भी अधिक देशवासी भारतीय सेना को सर्वाधिक भरोसेमंद और प्रेरक संगठनों में से एक मानते हैं। उन्होंने कहा कि सेना ने हर परिस्थिति में नागरिक प्रशासन को सहायता प्रदान करने के अतिरिक्त हमारी सीमाओं की रक्षा करने और आतंकवाद से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रक्षा मंत्री ने यह भी टिप्पणी की “भारतीय सेना ने सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपदा राहत, चिकित्सा सहायता से लेकर देश की स्थिर आंतरिक स्थिति को बनाए रखने तक हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज की है। राष्ट्र निर्माण के साथ-साथ समग्र राष्ट्रीय विकास में भी भारतीय सेना की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने सेना कमांडरों के सम्मेलन में उपस्थित होने के लिए अपनी प्रसन्नता व्यक्त की और राष्ट्र की ‘रक्षा और सुरक्षा’ को सफलतापूर्वक नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सेना नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के समावेश पर भारतीय सेना के दृष्टिकोण की भी प्रशंसा की।
रक्षा मंत्री ने कहा कि विश्व की वर्तमान जटिल स्थिति सभी को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि “हाइब्रिड युद्ध सहित अपरंपरागत और असीमित युद्ध भविष्य के युद्धों का हिस्सा होगा। भविष्य में साइबर, सूचना, संचार, व्यापार और वित्त संघर्षों का एक अविभाज्य हिस्से के रूप में सामने आ रहे हैं। इसके लिए आवश्यक हो गया है कि सशस्त्र बलों को योजना निर्धारण और रणनीति गठन के समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा।
उत्तरी सीमाओं पर वर्तमान स्थिति पर, माननीय रक्षा मंत्री ने पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे सैनिक दृढ़ हैं, शांतिपूर्ण समाधान के लिए चल रही वार्ता जारी रहेगी। विघटन और डी-एस्केलेशन आगे का रास्ता है। रक्षा मंत्री ने सीमा सड़क संगठन के प्रयासों की सराहना की, जिसके कारण कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए पश्चिमी और उत्तरी दोनों सीमाओं में सड़क संचार में परिमाण सुधार हुआ है।