Thursday, November 21, 2024
Homeसाहित्यव्यंग्यव्यंग्य : मीडिया स‌र्कस का 'रंगा सियार'

व्यंग्य : मीडिया स‌र्कस का ‘रंगा सियार’

रवींद्र रंजन

मीडिया स‌र्कस का ‘सियार’ बहुत फैशनेबल है। रंगा सियार है। बूढ़ा हो चुका है। जवान दिखने की हसरत है। यह हसरत हर वक्त उसके दिल में हिलोरें मारती रहती है। कई बार तो छलक कर बाहर तक आ जाती है। पूरे रिंग पर बिखर जाती है। हसरतें उससे बहुत कुछ कराती हैं। रंगा सियार खुद को रोज अलग-अलग रंग में रंगता है। कभी लाल-हरा-गुलाबी। कभी नीला-पीला। चटकीला। भड़कीला। नया रंग उसे रंगीला बना देता है। ऎसा वह मानता है। चटकीले-भड़कीले रंगों के पीछे उसकी असलियत छिप जाती है। बुजुर्गियत का एहसास दब जाता है। उम्र की लकीरें ढक जाती है। बूढ़ा सियार जवां नजर आने लगता है। मुर्गियां धोखा खा जाती हैं। बिल्ली, लोमड़ी, कबूतरी और मोरनी धोखा खाने का दिखावा करने लगती हैं। वह खुश हो जाता है। अपने मकसद में कामयाब होकर। गोया खुदा मिल गया।

वह खुश होकर कबूतरियों, मोरनियों, मुर्गियों को नजदीक बुलाता है। मोरनियां नहीं, मुर्गियां तो आ ही जाती हैं। कभी मजबूरीवश। कभी स्वार्थवश। उनके आते ही सियार स‌र्कस के शो में ‘बिजी’ हो जाता है। जब तक आसपास मुर्गियां रहती हैं। मोरनियां रहती हैं। कबूतरियां रहती हैं। वह बिजी रहता है। लोमड़ियों को वह खास पसंद नहीं करता। वह चालाक होती हैं। उसके झांसे में नहीं आतीं। मोरनियां उसे ‘मांस’ नहीं डालतीं। इसी चक्कर में वह कई बार नकली पंख लगाकर मोर बन जाता है। नाच दिखाता है। मोरनी को लुभाने की कोशिश करता है। रिंग के बाहर-भीतर, आसपास स्टाइल से मंडराने लगता है। खुद को जन्मजात मोर स‌मझने लगता है। लेकिन इस स‌बसे मोरनियां इंप्रेस नहीं होती। सियार की ये हरकत उसके लिए उपहास का स‌बब बन जाती है।

बिल्लियां उसे खासी पसंद हैं। शायद उनसे रंगे सियार को नए-पुराने शो को और चमकाने की प्रेरणा मिलती है। आयडिया मिलता है। या फिर पता नहीं ‘क्या’ मिलता है। कई बार धोखा खाने का नाटक करना मुर्गियों और मोरनियों की मजबूरी होती है। क्योंकि मोरनी और मुर्गी पास हो तो सियार को बाकी कुछ याद नहीं रहता। शो का वक्त भी भूल जाता है। उसकी यह कमजोरी मुर्गियों के लिए मुफीद है। यही स‌च है।

कभी-कभी सियार के पास स‌जने-संवरने का वक्त नहीं होता। तब वह खाल ओढ़कर भी स‌र्कस में चला आता है। कभी शेर की तो कभी चीते की। तब उसे लगता है कि वह चीफ रिंग मास्टर बन गया है। लेकिन खाल के पीछे छिपी उसकी “असलियत” बाहर आ ही जाती है। उसकी हरकतों से। उसके हाव-भाव से। उसकी आंखों से । हाथों से। बातों से । कभी-कभार कुछ नई मुर्गियां और मोरनियां स‌चमुच धोखा खा जाती हैं। रंगे सियार को पहचान नहीं पातीं। सियार इसका पूरा फायदा उठाता है। आंखों से। हाथों से। बातों से । इस‌के बावजूद अगर वह अपनी असलियत छिपाने में कामयाब हो गया तो जैसे ही वह बिल्लियों, मोरनियों और मुर्गियों के सामने पूंछ हिलाता है, लार टपकाता है, उसकी हकीकत बेपर्दा हो जाती है। खूबसूरत रंग के पीछे छिपा स्याह रंग सबको दिख जाता है। यही उसकी विडंबना है। यही उसकी परेशानी है।

सावन के अंधे को हरा-हरा ही स‌ूझता है। स‌र्कस का कोई शो वक्त पर शुरू हो या न हो। कोई कलाकार अपनी कला दिखाए या न दिखाए। किसी कलाकार का हुनर जाया हो, होता रहे। स‌ियार को कोई फर्क नहीं पड़ता। वह अपनी दुनिया में मगन रहता है। मुर्गियों और मोरनियों के बीच खुश रहता है। वह बहुत ‘खुशमिजाज’ है। लेकिन ऎसा नहीं है कि सियार को गुस्सा नहीं आता है। वह भी गुस्सा हो जाता है। खासकर तब, जब वह ‘बिजी’ हो और कोई बंदर, लोमड़, कौवा, चूहा, भालू उसे ‘डिस्टर्ब’ करने की हिमाकत कर दे। चूहों स‌े वह बहुत चिढ़ता है। चूहों की तादाद भी ज्यादा है और वह जब-तब उस‌के सिर पर स‌वार रहते हैं। इससे सियार के “खेल” में खलल पड़ता है। तब वह जोर से हुआं-हुआं करता है। स‌ब डर जाते हैं। खामोश हो जाते हैं। मुर्गियां दड़बों में दुबक जाती हैं। जैसा दूल्हा, वैसे बाराती। बाज, चील, गिद्ध। स‌ब सियार के अच्छे दोस्त हैं। उनसे सियार की बहुत पटती है। शायद इसलिए कि सब ‘मांसाहारी’ हैं। खाने-पीने के शौकीन हैं। ‘फितरत’ भी मिलती-जुलती है। मिल-बांट कर खाते हैं। सियार सीनियर है। स‌र्कस का पुराना कलाकार है। वरिष्ठ रिंग मास्टर है। उसे बहुत सी कलाएं आती हैं। वैसे स‌र्कस के शो में उसकी दिलचस्पी कम ही होती है। सूत्रधार कौन है। कबूतरी कौन है। यह जानने में वह ज्यादा वक्त बिताता है। स‌बको लगता है। उम्मीद होती है। सियार स‌र्कस के स‌भी शो को चमका देगा। हर शो को हिट करा देगा। लेकिन वह ऎसा नहीं स‌ोचता। वह अपनी स्टाइल में काम करता है। मुर्गियों और मोरनियों से घिरा रहना उसे स‌बसे ज्यादा पसंद है। यह उसकी प्रथम वरीयता है। शायद उसका जन्मजात गुण है। वह इसे बदल नहीं स‌कता। या फिर बदलना नहीं चाहता। यही हकीकत है। यही स‌र्कस है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments