भारत में पहली शिक्षा नीति लागू करने की पहला मौलाना अबुल कलाम आजाद ने की थी। उनका जन्म आज यानि 11 नवंबर को हुआ था। इसी सम्मान के लिए आज के दिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने तकनीकी और वैज्ञानिक शिक्षा की पढ़ाई के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) जैसे संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तब से लेकर अब तक शिक्षा नीति में कई बदलाव हुए हैं। मौजूदा मोदी सरकार एकबार फिर नई प्रणाली लाई है। आइये मौलाना आजाद के दौर के बाद अब नई शिक्षा प्रणाली पर नजर डालते हैं।
नई शिक्षा प्रणाली के अनुसार विद्यार्थी शुरूआती कक्षाओं में ही आत्म निर्भर बनकर भविष्यह की राह चुन सकेंगे। ‘एक भारत- श्रेष्ठ भारत’ जैसे विषयों के प्रोजेक्टव बनाकर राष्ट्रन निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकेंगे। देवभाषा संस्कृसत और मातृभाषा से लेकर अंग्रेजी समेत अन्य् विदेशी भाषाओं में महारथ हासिल कर सकेंगे। वो भी तनाव और किताबों के बोझ से मुक्तअ होकर खुले वातावरण में पढ़ाई करके। विद्यार्थियों को हुनरमंद बनाकर आत्म निर्भर बनाने की प्रक्रिया कक्षा छह से ही शुरू हो जाएगी। कक्षा छह से आठ तक के विद्यार्थियों को सीमित अवधि का बस्ताा रहित कोर्स पढ़ाया जाएगा। न्यू नतम 10 दिनों के अभ्याधस आधारित कोर्स में विद्यार्थी व्यबवसायिक विशेषज्ञों से हुनर सीखेंगे। इस कोर्स को आगे कक्षा 12 तक बढ़ाया जाएगा। त्रिभाषा फार्मूले में छात्र अपनी अभिरूचि के अनुसार भाषा का चयन कर पढाई कर सकेंगे। जिसमें दो भारतीय भाषाओ में शिक्षा अनिवार्य होगी। साथ ही विज्ञान समेत अन्यक पाठ़यक्रम मातृभाषा में भी उपलब्ध होंगे। भारतीय साइन लैंग्वे ज लैंग्वेतज – आईएसएल- को मानकीकृत करके राष्ट्री य और राज्यं पाठ़य सामग्री तैयार की जाएगी। एनसीएफएसई और एनसीईआरटी स्था–नीय स्तरर पर व्यषवसायों की मैपिंग कर अगले सत्र तक कोर्स डिजाइन कर लागू करेगा। राष्ट्री य पाठ़यक्रम रूपरेखा एनसीएफनसीएफएसई राष्ट्री य और राज्य स्तरर पर स्लेयबस को अगले पांच वर्षों के लिए विद्यार्थियों के लिए उपलब्धई कराएगा। इसके बाद नए सिरे से कोर्स की समीक्षा की जाएगी।
प्राथमिक कक्षाओं से लेकर इंटरमीडियट तक त्रिभाषा फार्मूला जारी रहेगा। भारतीय साइन लैंग्वे ज लैंग्वेकज – आईएसएल के अनुसार दो से आठ आयु वर्ग के बच्चेभ बहुत तेजी से सीखते हैं। ऐसे में कक्षा तीन तक मातृभाषा में पढ़ाई होगी। इसके बाद विद्यार्थी अन्यव भाषा सीख सकेंगे। किसी भी राज्यव पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी। छात्र अपनी अभिरूचि के अनुसार भाषा का चयन कर सकेंगे। खासतौर दो भारतीय भाषाओ में शिक्षा अनिवार्य होगी। विशेष रूप से जो छात्र तीन में से एक भाषा को बदलना चाहते हैं वो ग्रेड- कक्षा सात तक ऐसा कर सकेंगे। ऐसे छात्रों को तीन भाषाओं में किसी एक भाषा में माध्यभमिक कक्षाओं तक साहित्यिक स्तषर पर दक्षता हासिल करनी होगी। छात्रों को अपनी चुनिंदा भाषा में दक्षता हासिल करने के लिए कम से कम दो वर्षों का समय मिलेगा। इनमें वे भाषा की नवीन विधियां और प्रौद्योगिकी सीखेंगे। माध्य मिक यानि कक्षा छह से लेकर 12वीं तक विद्यार्थियों को तीनों भाषाएं सीखने का मौका मिलेगा। जिसमें से एक भाषा में विशेषज्ञता हासिल करना अनिवार्य होगा। अगर विद्यार्थी चाहेंगे तो उच्चे शिक्षा में भी उन भाषाओं को सीख सकेंगे। उच्च स्तभर की कक्षाओं में गणित और विज्ञान का पाठ़यक्रम दो भाषाओें में मातृभाषा और अंग्रेजी में उपलब्धन कराया जाएगा।
कक्षा छह से बच्चोंा में कौशल विकास विकसित कर आत्मओनिर्भर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। कक्षा आठ तक बस्तां रहित शिक्षा के तहत विद्यार्थी 10 दिनों का प्रोजेक्ट करेंगे जिसमें स्थाअनीय स्तषर पर बढई, कुम्हायर, कलाकार, गायकों, हस्तस कलाकारों आदि से हुनर सीखेंगे। वे खुद प्रशिक्षु के तौर पर कार्य करेंगे। ये कोर्स आन लाइन भी उपलब्धन होगा। कोर्स का विस्ताेर से 12वीं कक्षा तक किया जाएगा जिसमें छात्र छुटि़टयों के दौरान भी प्रैक्टिकल का मौका मिलेगा । साथ ही प्रैक्टिकल नालेज के लिए प्रत्येगक विद्यार्थी पढ़ाई के दौरान ‘ द लैंग्वेमजेज आफ इंडिया’ पर प्रोजेक्ट् बनाएंगे। कक्षा छ से लेकर आठ तक के विद्यार्थी ‘एक भारत श्रेष्ठप भारत’ जैसे प्रोजेक्टथ को इसमें शामिल करेंगे। इसी प्रकार विद्यार्थी अन्या विषयों के भी प्रोजेक्टठ तैयार कर सकेंगे। खास बात ये हैं कि यह सबकुछ पूरी तरह से तनावरहित और व्यदवहारिक होगा।
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12वीं कक्षा तक संस्कृऔत महत्ववपूर्ण विषय
संस्कृ-त संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल एक महत्व पूर्ण भाषा है। यह भाषा प्राचीनतम होते हुए भी अति आधुनिक महत्व की भाषा है। इसका शास्ी्रके य साहित्या इतना विशाल है कि सारे लैटिन और ग्रीक भाषा मिलाकर भी इसकी तुलना नहीं की जा सकती है। संस्कृत साहित्य में गणित, दर्शन, व्या्करण,संगीत, राजनीति, चिकित्सा्, वास्तुइकला, धातु विज्ञान, नाटक, कहानी समेत विभिन्न ज्ञान प्रणालियों का खजाना है। ऐसे में संस्कृंत को त्रिभाषा फार्मूले में महत्वतपूर्ण विकल्पु के रूप में शामिल किया जाएगा। संस्कृात को 12वीं कक्षाओं के साथ ही उच्चे शिक्षा में भी महत्वुपूर्ण विषय बनाया जाएगा।। फाउंडेशन और माध्यृमिक कक्षाओं में संस्कृत की पाठ्यपुस्तकों को संस्कृत के माध्यम से संस्कृत पढाने (एसटीएस) और इसके अध्ययन को आनंददायी बनाने के शिए सरल और रोचक बनाया जाएगा। ऑडियो और वीडियो स्लेीबस तैयार किया जाएगा।
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क्षेत्रीय और विदेशी भाषाएं सीखने का मौका
संस्कृरत के अलावा तमिल, तेलगू, कन्न ड़, उड़ीया, पाली, फारसी और प्राकृत भाषाओं को भी शास्त्री्य भाषा माना गया है। इन भाषाओं का साहित्यक भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित किया जाएगा। जबकि इन भाषाओं के अध्यहयन के लिए आन लाइन माडयूल तैयार किया जाएगा। जिससे देश के प्रत्ये।क हिस्सेल में रहने वाले विद्यार्थी इन भाषाओं को सीख सकें। विशेषज्ञ शिक्षक आन लाइन ही क्लारस लेकर भारतीय भाषाओं को पढ़ा सकें। भारतीय और अंग्रेजी भाषा के अलावा कोरियाई, फ्रेंच, जापानी, थाई, पुर्तगाली,स्पेानिश, रूसी आदि भाषाएं भी माध्यीमिक कक्षाओं से सीखी जा सकेंगी।
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गणितीय सोच तैयार करेगी ग्लोबल नेतृत्व
प्रारम्भि-क कक्षाओं से ही बच्चोंत में गणित और तकनीकी के प्रति रूचि विकसित की जाएगी। आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस, डिजाइन थिंकिंग, होलेस्टिक हेल्थ, आर्गेनिक लिविंग, पर्यावरण शिक्षा, वैश्विक नागरिकता शिक्षा –जीसीईडी जैसे सम सामयिक विषयों को शुरूआती चरण में शामिल किया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार छात्रों में गणित और गणितीय सोच नेतृत्वा तैयार कर सकती है। ऐसे में शुरूआती कक्षाओं में ही गणित और कम्यूईडी टेशनल सोच को विकसित करने के लिए क्विज, गेम, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस सिखाई जाएगी। माध्यकमिक कक्षाओं तक कोडि़ग को कोर्स में सिखाना शुरू कर दिया जाएगा।