राम मंदिर के पुनर्निर्माण का पांच सौ वर्षों का इंतजार अब ख़त्म हो चुका है| मंदिर तेजी से अकार ले रहा है| स्बबसे ज्यादा हर्ष की बात ये है| मंदिर निर्माण के जरिये भारत नेपाल के रिश्ते एकबार फिर करीब आ रहे हैं| माँ जानकी के घर यानी नेपाल के पोखरा स्थित शालिग्रामी या काली गंडकी नदी से निकालकर दो शिलाएं अयोध्या आ रही हैं| इसी पत्थर से भगवान प्रभु श्रीराम और माता सीता की मूर्ति बनाई जाएंगी| जियोलॉजिकल और ऑर्किलॉजिकल विशेषज्ञों का दावा है कि ये शिलाएं करीब 6 करोड़ साल पुरानी हैं| भगवन राम की ससुराल से भेजी गई शिलाएँ गोरखनाथ मंदिर से अयोध्या के लिए रवाना हो चुकी हैं| इन शिलाओं को पूजन खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर सकते हैं| हालांकि, इन शिलाओं से बनी मूर्तियां गर्भगृह में रखी जाएंगी या परिसर में कहीं और स्थापित होगी? ये अभी तय नहीं है| उम्मीद है दो फरवरी को यह अहिल्या रूपी पत्थर अयोध्या पहुंचेगा| जब यह पत्थर अयोध्या पहुंचेगा तो अयोध्या के संत-महंत समेत विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी ट्रस्ट के सदस्यों की मौजूदगी में विधिवत पूजन अर्चन करेंगे| उधर राममंदिर के तीनों रास्तों को विकसित करने का काम तेजी से चल रहा है। ये तीन रास्ते रामपथ, रामजन्मभूमि पथ व भक्तिपथ हैं। इनमें से सुग्रीव किला से रामजन्मभूमि तक बन रहा जन्मभूमि पथ 31 मार्च तक तैयार हो जाएगा।