मोदी के भाषण का निराला अंदाज सुन मुरीद हुए कनपुरिया
ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको….
जगदीश जोशी
वरिष्ठ पत्रकार
समझ तो गए हुईहें न, हम किसकी बात कर रहे हैं। अंदाज गजब का, लोकल कनेक्टीविटी लाजवाब। काशी गए तो पूर्वांचली, अयोध्या पहुंचे तो अवधी और केदारनाथ पहुंचे तो पहाड़ी में सुनने आये लोगों से सीधा संवाद। जी हां, बात मोदी जी की हो रही है, देश के प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी की। मंगलवार को कानपुर के निरालानगर में उनका कनपुरिया अंदाज तो और भी निराला दिखाई दिया। कानपुर के लोग मुरीद हो गए। चारों ओर यही चर्चा झाड़े रहे कलट्टरगंज।
मोदी जी, कानपुर में दो बड़े कार्यक्रमों में शामिल होने पहुंचे थे। पहला तो विशुद्ध एकेडेमिक, जिसमें आईआईटी के दीक्षांत समारोह में ऑनलाइन ही डिग्रियां बांटीं। डिग्रीधारकों को भविष के लिए रोडमैप सुझाया। दूसरा कार्यक्रम वह, जिसमें कानपुर के आम लोगों से सीधा जुड़ाव बना। बीना पेट्रोलियम रिफाइनरी की पाइप लाइन का कानपुर-पनकी से कनेक्टीविटी और शहर में मेट्रो कनेक्टीविटी का शुभारंभ। खुद भी मेट्रो में यात्रा कर महसूस किया कि इसमें बैठ कर कनपुरिया कैसा महसूस करेंगे। मेट्रो के चालू हो जाने के बाद आईआईटी से मोतीझील के सफर को अब जाम से मुक्ति मिला करेगी। कभी पूरब का मेनचेस्टर कहा जाने वाला यह शहर कपड़ा मिलों के पराभव के कई वर्षों बाद अब दूसरे स्वरूप में अपने गौरव को फिर से पा सकेगा। वरना तो कानपुर की ट्रैफिक व्यवस्था और कानपुर के जाम को शहरवासी तो अपनी किस्मत मान ही चुके थे। बाहरी लोग भी परेशान हुए बिना नहीं रहते। इन सब दुश्वारियों के बावजूद कानपुर शहर और शहरवासियों के उत्साह में कमी कभी नहीं देखी गई। बिलकुल वही अंदाज रहता- झाड़े रहो कलट्टरगंज।
कानपुर की इसी विशेषता को प्रधानमंत्री मोदी ने याद किया। अपने भाषण की शुरुआत में ही उन्होंने क्रांतिवीरों की धरती को नमन किया, साथ ही यह भी बताया कि आधुनिकनिक कालखंड में दीनदयाल उपाध्याय, सुंदर सिंह भंडारी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को कानपुर ने ही गढ़ा। मोदी जी की बातें सुनने बात लगा कि अटलजी की हाजिर जवाबी शायद इसी धरती पर प्रस्फुटित हुई हो। इसी हाजिर जवाबी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री पूरी तरह कनपुरिया रौ में आ गए। बोले कानपुर की हाजिर जवाबी की तो तुलना ही नहीं की जा सकती। उन्होंने जनसभा के श्रोताओं से सीधे कनेक्ट होते हुए पूछ डाला- यहीं तो यहीं तो हैं ठग्गू के लड्डू, क्या लिखा होता है वहां? फिर बात आगे बढ़ाते हैं- ऐसा कोई सगा नहीं…. ऐसा कोई सगा नहीं…. फिर वह खामोशी धारण कर लेते हैं। आगे का वाक्य जनसभा ही पूरा कर देती है, प्रधानमंत्री कहते हैं मैं तो कहूंगा कानपुर ही है- जहां ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको दुलार न मिला हो।
अब प्रधानमंत्री फ्लैश बैक में चले जाते हैं। कहते हैं- जब संगठन के काम के लिए यहां आता था तो खूब सुनता था, झाड़े रहो कलट्टरगंज। वह दोहराते हैं- झाड़े रहो कलट्टरगंज। आज की नई पीढ़ी इसे बोलती है कि नहीं। कानपुर की डबल खुशी में शामिल होने वरुण देव भी खुद आ गए। आज मंगलवार है और पनकी वाले हनुमानजी के आशीर्वाद से यूपी के विकास में एक और अध्याय जुड़ा है। कानपुर की डबल कनेक्टीविटी का दिन है। बीना पाइप लाइन और मेट्रो से कानपुर कनेक्ट हो गया है। पेट्रोलियम पाइप लाइन से यूपी के कई जिलों से कनेक्ट होगा। मोदी के इसी अंदाज से कनपुरिया बेहद खुश हैं। कनपुरिया मिजाज को अब और बड़ा प्लेटफार्म मिलेगा, बोले तो मेट्रो जैसा। ‘समझ तो गए हुईहें’ वाले अन्नू अवस्थी का अंदाज कुछ सोशल मीडिया क्रिएटरों की प्रतिभा को आगे ला रहा है। अब मोदी जी के भाषण के बाद इस फील्ड में अचानक बाढ़ आ जाई तो कौनू बात नहीं। बस, इत्तू ही कहे का है, झाड़े रहो कलट्टरगंज।