अगर जनगणना आंकड़ों पर नजर डालें तो आप चौंक जाएंगे। देश में 1931 जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि यहाँ कुल जातियां 4,147 थीं लेकिन 2011 की जनगणना में जातियों का आंकड़ा बढ़कर 46 लाख से ज्यादा पहुँच गया। इस आकड़ें को खुद सरकार तक स्वीकार नहीं कर पा रही है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि यह आंकड़ा वास्तव में हो ही नहीं सकता, संभव है कि इनमें कुछ जातियां उपजातियां रही हों।सरकार ने बताया है कि जनगणना करने वाले कर्मचारियों की गलती और गणना करने के तरीके में गड़बड़ी के कारण आकंड़े विश्वसनीय नहीं रह जाते हैं।
राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा में रहे पिछड़े वर्गों की जातिगत जनगणना के मसले पर केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने 2021 की जनगणना में ओबीसी की गणना नहीं करने का फैसला किया है। SC में हलफनामा दाखिल कर सरकार ने कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से काफी जटिल काम है और इससे पूरी या सही सूचना हासिल नहीं की जा सकती है। सरकार का कहना है कि जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना नीतिगत फैसला है।