Wednesday, January 29, 2025
Homeपर्यावरणजोशीमठ ही नहीं पूरे हिमालय को ‘विकास’ से बचाना होगा

जोशीमठ ही नहीं पूरे हिमालय को ‘विकास’ से बचाना होगा

देवभूमि के इसी स्थान पर कभी शंकराचार्य जी ने तप करके ज्योतिर्पीठ स्थापित की थी! यह स्थान भगवान बद्रीनाथ का प्रवेश द्वार भी है! पर हिन्दू आस्था के प्रतीक जोशीमठ की जमीन आज बेतरतीब विकास की बलि चढ़ रही है! यहाँ अब तक 600 से ज्यादा घरों टूट चुके हैं! हजारों परिवार विष्थापन की कगार पर हैं! उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने यहाँ दौरा कर आपात स्थिति का एलान कर दिया है!  केंद्र सरकार की गठित टीम अब मौके पर जाकर भयावह हालात का जायजा ले रही है! लेकिन दशकों से चले आ रहे खतरे का बावजूद विकास की अंधी दौड़ ने हिमालय के अस्तित्व को हिलाकर रख दिया है!

हिमालयी क्षेत्र में भूस्खलन होना कोई नई बात नहीं है लेकिन सामयिक और धार्मिक दृष्टि से अतिसंवेदनशील केंद्र आज मानव सभ्यता पर सवाल खड़ा कर रहा है! अगर हम 70 के दशक में सचेत हो जाते तो शायद मौजूदा हालात से बच सकते थे! 1976 के मिश्रा आयोग की रिपोर्ट से लेकर 2006 की वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की रिपोर्ट में जोशीमठ को लेकर भविष्यवाणियां की गई थीं! यहां किसी भी तरह के निर्माण और अन्य गतिविधियों को करने के खिलाफ चेतावनी दी गई थी! पर रिपोर्ट को अनदेखा कर इस भूकंपीय क्षेत्र में सुरंग के लिए ब्लास्ट कराए जाते रहे! यहां बांध बना दिए गए! इसका नतीजा यह हुआ कि जोशीमठ आज खत्म होने की कगार पर खड़ा है! ऐसे में सवाल है कि अब क्या किया जाए जिससे जोशीमठ ही नहीं बल्कि पूरे हिमालय को मिटने से रोका जा सके! अगर अब भी देश और लोगों को सुरक्षित रखना है तो हमें प्रकृति को बचाना होगा, हिमालय को बचाना होगा!

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments